नई दिल्लीः दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) विनय कुमार सक्सेना ने आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार की बिजली सब्सिडी योजना में कथित अनिमियतता की जांच के आदेश दिए हैं. इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पूरे मामले को गुजरात चुनाव से जोड़ा और दावा किया कि जांच के आदेश देने का मकसद मुफ्त बिजली पहल को रोकना है. 


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मुख्य सचिव से एक सप्ताह में मांगी गई है रिपोर्ट
उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के अनुसार, मुख्य सचिव नरेश कुमार को एक सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल सचिवालय को एक शिकायत मिली थी, जिसमें केजरीवाल सरकार की बिजली सब्सिडी योजना में "खामियों और विसंगतियों" को उठाया गया है. इसके बाद एलजी ने इस पर कार्रवाई की. 


एलजी दफ्तर के एक सूत्र ने बताया, “एलजी ने मुख्य सचिव को आप सरकार की ओर से बीएसईएस वितरण कंपनी (डिस्कॉम) को दी जाने वाली बिजली सब्सिडी राशि में कथित अनियमितताओं की जांच करने को कहा है और सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है.” 


डीबीटी को लेकर भी दिए जांच के आदेश
सूत्रों ने बताया कि सक्सेना ने उपभोक्ताओं को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से बिजली सब्सिडी के भुगतान का क्रियान्वयन कथित रूप से नहीं होने की भी जांच करने के मुख्य सचिव को निर्देश दिए हैं. दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) ने 2018 में सब्सिडी उपभोक्ताओं के खाते में भेजने के आदेश दिए थे. 


'गुजरात को पसंद आ रही मुफ्त बिजली गारंटी'
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जांच को गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़ा, जहां वह प्रचार में लगे हुए हैं, और आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उनकी सरकार की मुफ्त बिजली योजना में बाधा डालने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा, “गुजरात को आप की मुफ्त बिजली गारंटी खूब पसंद आ रही है. इसलिए भाजपा दिल्ली में फ्री बिजली रोकना चाहती है.” 


बिजली सब्सिडी योजना में घोटाले का आरोप
केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली के लोगों, भरोसा रखना. मैं आपकी फ्री (मुफ्त) बिजली किसी हालत में रुकने नहीं दूंगा.” उन्होंने गुजरात के लोगों को आवश्वस्त किया, “सरकार बनने पर एक मार्च से आपकी भी बिजली फ्री होगी.” सूत्रों ने दावा किया, शिकायतकर्ताओं में प्रख्यात वकील और विधिवेत्ता शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया है कि बिजली सब्सिडी योजना में बड़ा घोटाला हुआ है. 


बीएसईएस की ओर से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया
बीएसईएस की ओर से आरोपों पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. सूत्रों के मुताबिक, शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि ‘आप’ सरकार ने सरकारी बिजली उत्पादन कंपनियों से खरीदी गई बिजली के लिए बीएसईएस डिस्कॉम पर कथित रूप से बकाया 21,200 करोड़ रुपये की वसूली करने के बजाय, उन्हें (डिस्कॉम को) सब्सिडी के बदले मिलने वाले भुगतान से इस बकाए का निपटान करने की अनुमति दे दी. 


यह भी आरोप लगाया गया है कि डिस्कॉम को उपभोक्तओं से 18 प्रतिशत की दर पर ‘विलंब भुगतान प्रभार’ (एलपीएससी) वसूलने की अनुमति दी गई जबकि वे खुद दिल्ली सरकार के स्वामित्व वाली बिजली उत्पादन कंपनियों को 12 प्रतिशत की दर पर एलपीएससी का भुगतान करती हैं. 


डिस्कॉम को लाभ पहुंचाने का आरोप
शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस प्रक्रिया में डिस्कॉम को सरकारी खजाने की कीमत पर 8500 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया गया. दूसरा आरोप है कि डीईआरसी की ओर से उपभोक्ताओं को डीबीटी के माध्यम से सब्सिडी का भुगतान करने के निर्देश को ‘आप’ सरकार ने बाधित किया जिसका मकसद सब्सिडी लाभार्थियों की सटीक संख्या को ‘छुपाना’ था और डिस्कॉम को ‘असत्यापित राशि’ का भुगतान किया गया.


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