Maratha reservation: मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने 3 मार्च को राज्यव्यापी 'रास्ता रोको' की घोषणा की है. जारांगे ने 'Sage Soyare' अध्यादेश अधिसूचना को लागू करने की मांग को लेकर रास्ता रोको प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.
कार्यकर्ता मनोज जारांगे ने बुधवार को दावा किया कि मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक कानूनी तौर पर खड़ा नहीं हो पाएगा और उन्होंने अपनी मांग दोहराई कि कुनबी मराठों के 'रक्त संबंधियों' पर महाराष्ट्र सरकार की मसौदा अधिसूचना को कानून में बदल दिया जाए.
महाराष्ट्र विधानमंडल ने मंगलवार को एक दिवसीय विशेष सत्र के दौरान सर्वसम्मति से एक अलग श्रेणी के तहत शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाला विधेयक पारित किया, लेकिन जारांगे OBC श्रेणी के तहत समुदाय के लिए कोटा की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं.
बड़ी संख्या में जातियों और समूहों को पहले से ही आरक्षित श्रेणी में रखा गया है, जिन्हें कुल मिलाकर लगभग 52 प्रतिशत आरक्षण मिलता है. विधेयक में कहा गया है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) श्रेणी में रखना पूरी तरह से असमान होगा.
पिछले महीने राज्य सरकार द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना के अनुसार, यदि किसी मराठा व्यक्ति के पास यह दिखाने के लिए सबूत है कि वह कुनबी जाति से है, तो उस व्यक्ति के रक्त संबंधियों को भी कुनबी के रूप में मान्यता दी जाएगी. बता दें कि कुनबी OBC श्रेणी में आते हैं और उन्हें कोटा लाभ मिलता है.
सीएम शिंदे ने क्या कहा?
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि कुनबी मराठों के विस्तारित रक्त संबंधियों को प्रमाण पत्र देने के लिए पिछले महीने जारी मसौदा अधिसूचना की जांच चल रही है क्योंकि 6 लाख आपत्तियां प्राप्त हुई हैं.
जारांगे ने बुधवार को कहा कि सरकार ने मराठों के रिश्तेदारों को कोटा देने के लिए एक मसौदा अधिसूचना (इस महीने की शुरुआत में) जारी की है. जारांगे ने दावा किया कि सरकार को मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के अपने फैसले पर पछतावा होगा क्योंकि इसकी घोषणा के बाद राज्य में किसी ने जश्न नहीं मनाया.
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