मुंबई. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग के मद्देनजर आज यानी मंगलवार का दिन अहम साबित हो सकता है. दरअसल राज्य सरकार ने आज विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है, जो मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लंबे समय से लंबित मुद्दे के लिए गेम-चेंजर हो सकता है.महायुति सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार ने पहले भी कई बार आश्वासन दिया है.
तीन दिन पहले ही सौंपी गई है रिपोर्ट
सरकार ने फिर दोहराया है कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को प्रभावित किए बिना मराठों को कोटा देने के लिए प्रतिबद्ध है. आज का विशेष सत्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे द्वारा 16 फरवरी को मराठों के पिछड़ेपन का पता लगाने वाली अपनी व्यापक रिपोर्ट सीएम को सौंपने के बमुश्किल तीन दिन बाद आयोजित हो रहा है.
सीएम शिंदे सदन के समक्ष रखेंगे रिपोर्ट
विशेष सत्र के दौरान सीएम शिंदे मराठों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की सर्वेक्षण रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश करेंगे और इस पर विधानमंडल में बहस होगी. एक समाचार एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती मौजूदा OBC आरक्षण को परेशान किए बिना मराठा कोटा देने के अपने वादे को पूरा करना है. इस वजह ये यह एक मुश्किल प्रस्ताव बन गया है.
क्या बोले मनोज पाटिल
दूसरी तरफ आरक्षण की मांग बुलंद करने वाले नेता मनोज जारांगे-पाटिल ने सोमवार को कहा कि समुदाय जो चाहता है, वह 'वास्तविक कोटा' है, न कि केवल खोखले आश्वासन' जिसमें 'सेज-सोयारे' की मांग भी शामिल है. जरांगे अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. अनशन की शुरुआत हुए 10 दिन बीत चुके हैं.
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