नई दिल्ली: LoudSpeaker Controversy : धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर को लेकर इन दिनों खूब विवाद चल रहा है. ये विवाद महाराष्ट्र से ही शुरू हुआ था, लेकिन अब मामले ने काफी तूल पकड़ लिया है. ऐसे में इसे लेकर उद्धव सरकार नए नए कदम उठाने की कोशिश में जुटी हुई है.
खत्म नहीं होता दिख रहा है विवाद
महाराष्ट्र सरकार ने भले ही पिछले कुछ दिनों में लाउडस्पीकर से जुड़े कुछ नए नियम-कानून बनाए हैं, लेकिन ये विवाद अभी थमता नजर नहीं आ रहा है. ये विवाद अब राज ठाकरे बनाम उद्धव ठाकरे के बीच शुरू हो चुका है. लंबे वक्त से चल रहे इस कदर टक्कर चल रही है जो सबके सामने आ चुकी है.
मामला समझिए.. दरअसल, धार्मिक स्थ्लों पर लाउडस्पीकर को लेकर उद्धव सरकार ने गाइडलाइंस तय करने के लिए आज सभी दलों की एक बैठक बुलाई है. इस सर्वदलीय बैठक में शामिल होने के लिए तकरीबन सभी दलों ने सहमति जता दी, लेकिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष और उद्धव ठाकरे के भाई राज ठाकरे ने इस बैठक में शामिल नहीं होने का फैसला लिया.
बैठक में कौन-कौन होगा शामिल?
अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार, इस बैठक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शामिल होंगे, जबकि मनसे की तरफ से इस मीटिंग में नांदगावकर और संदीप देशपांडे शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा कुछ और छोटे दलों के नेता भी वहां मौजूद रहेंगे.
आखिर क्यों बुलाई गई सर्वदलीय बैठक?
अब बड़ा सवाल ये भी उठता है कि आखिरकार सीएम उद्धव ठाकरे को इस विवाद को लेकर सर्वदलीय बैठक क्यों बुलानी पड़ गई. दरअसल, लाउडस्पीकर विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र में इसी महीने हुई थी, जब राज ठाकरे ने इसे तूल दिया था.
उन्होंने तकरीबन दो हफ्ते पहले पहले अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में ऐलान करते हुए महाराष्ट्र की उद्धव सरकार को कहा था कि राज्य में मौजूद सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाया जाना चाहिए. अगर राज्य सरकार यह काम नहीं करेगी, तो वह खुद जैसे को तैसा जवाब देने के लिए उन लाउडस्पीकर को हटाकर मस्जिदों के सामने हनुमान चालीसा बजवाएंगे.
करीब 10 दिन बाद फिर से राज ठाकरे ने इस मुद्दे को हवा दी और बड़ा बयान देते हुए बोला कि देश के हिंदुओं से एकजुट होने की जरूरत है. राज ने बोला था कि 'यदि 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो वह खुद इन्हें हटाना शुरू कर देंगे.' इसके अलावा उन्होंने ये दावा किया था कि वो किसी धर्म के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर कोई कानून तोड़ेगा तो इसे मंजूर नहीं किया जाएगा.
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