नई दिल्ली.   मोदी सरकार की बदली हुई विदेश नीति खासतौर पर चीन के खिलाफ एक समझदारी भरा कदम है जिससे भारत का आत्मविश्वास तो दिखता ही है, वैश्विक महाशक्ति वाली उसकी बड़ी सोच भी इसमें नजर आती है. भारत ने पहली बार ताईवान को दे दिया है समर्थन जो चीन की जान जलाने के लिये काफी है. हालांकि इससे टकराव की आशंका किसी तरह नहीं बढ़ी है लेकिन भारत की चीन पर घेराबन्दी अवश्य सशक्त हुई है.


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भारत के दो सांसदों ने साई को दी बधाई 


ताइवान में पूर्व राष्ट्रपति साई इंग-वेन दुबारा चुनाव जीत कर राष्ट्रपति बनी हैं. ताईवान की जनता ने उनको चीन के खिलाफ दुबारा जिता कर अपना नेता बनाया है. हाल ही में जब साई ने दूसरी बार राष्ट्रपति पद की शपथ ली तो इस समारोह में बीजेपी के दो सांसदों का भी बधाई संदेश भी शामिल था. भारत की राष्ट्रीय सरकार संचालक भारतीय जनता पार्टी के दोनो नेता उन 41 देशों के प्रतिनिधियों में शामिल थे जिन्होंने साई को बधाई संदेश दिया.


अब भारत नहीं मानता 'वन चाइना पॉलिसी'


अब तक होता ये आया था कि पिछली कांग्रेस सरकारें चीन के दबाव में वन चाइना पॉलिसी को समर्थन देती थीं. लेकिन भारत की मोदी सरकार ने पहली बार इस पॉलिसी को अस्वीकार करते हुए राष्ट्रवादी देश ताईवान के प्रति अपनी नीति में बदलाव के संकेत दिये हैं.  अब तक जो भारत चीन की बात मान कर ताईवान के साथ किसी भी तरह के कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं रखता था वही देश भारत ताईवान को एक देश के रूप में समर्थन दे रहा है. 



 


मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ने की प्रशंसा 


भारतीय प्रतिनिधि के तौर पर बीजेपी की सांसद मीनाक्षी लेखी और राहुल कासवान ने साई इंग वैन को बधाई देते हुए ताइवान के लोकतांत्रिक स्वरूप की प्रशंसा की. अपने साझा संदेश में बीजेपी सांसदों ने कहा कि भारत और ताइवान दोनो लोकतांत्रिक देश हैं और स्वतंत्रता, लोकतंत्र और मानवाधिकार जैसे समान मूल्यों के आधार पर एक दुसरे के साथ जुड़े हुए हैं. दोनो ही देशों ने पिछले कुछ वर्षों में व्यापार, निवेश और मेलजोल के माध्यम से द्विपक्षीय संबंध सशक्त किये हैं.


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