नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर भारतीय जीडीपी के कुल हिस्से के 10 फीसदी हिस्से का प्रयोग आर्थिक सुधारों के लिए करने का ऐलान किया था. इस 20 लाख करोड़ रुपए के पैकेज के बारे में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने विस्तार से चर्चा की. उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए हर सम्भव कदम उठा रही ताकि गरीब और मध्यम वर्ग को अधिक नुकसान न उठाना पड़े.


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एनबीएफसी के लिए 30 हजार करोड़ रुपए


वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि गैर बैंकिग वित्तीय कंपनियों की लिक्विडिटी की समस्या दूर करने के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम शुरू होगी.



 


एनबीएफसी के साथ हाउसिंग फाइनेंस और माइक्रो फाइनेंस को भी इसी 30 हजार करोड़ में जोड़ा गया है. इनकी पूरी गारंटी भारत सरकार देगी. 45,000 करोड़ रुपए की आंशिक क्रेडिट गारंटी एनबीएफसी को दी जाएगी. अनरेटेड पेपर्स के लिए भी इसमें प्रावधान किया गया है. इससे नई लेंडिंग को बढ़ावा मिलेगा.


15 हजार से कम वेतन वालों का EPF सरकार देगी



मोदी सरकार की तरफ से वित्तमंत्री ने कहा कि 15 हजार रुपये से कम वेतन वालों का ईपीएफ अगस्त तक केंद्र देगा. नियोक्ता और कर्मचारी दोनों का योगदान सरकार कर रही है. इसमें करीब 2500 करोड़ रुपये का खर्च होगा. इससे मध्यम और लघु उद्योग के लोगों को बहुत लाभ होगा.


ये कंपनियां होंगी माइक्रो यूनिट


वित्तमंत्री ने बताया कि एक करोड़ के निवेश वाली कंपनियां माइक्रो यूनिट होंगी. कारोबार ज्यादा होने पर भी एमएमएमई का फायदा मिलता रहेगा. वहीं मीडियम के लिए 20 करोड़ रुपये तक की निवेश सीमा होगी. हर तरह के सेक्टर में लगी एमएसएमई को योजना से फायदा होगा.



MSME की परिभाषा में बदलाव


आपको बता दें कि रियल एस्टेट के मामले में एडवाइजरी जारी होगी कि सभी प्रोजेक्ट्स को मार्च से आगे 6 महीने तक मोहलत दी जाएगा. वित्तमंत्री ने कहा कि एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया गया है. ज्यादा टर्नओवर के बावजूद एमएसएमई का दर्जा खत्म नहीं होगा.


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सभी सरकारी एजेंसियां जैसे रेलवे, हाइवे आदि छह महीने तक ठेकेदारों को राहत देंगे. पीपीपी में भी छह महीने तक राहत दी जा सकती है.