One Nation One Election: जब चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं हुए, तो पूरे देश में कैसे होगा 'वन इलेक्शन'?

One Nation One Election: पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने की चर्चा चल रही है. केंद्रीय कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' से जुड़ा प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया है. अब इसे जल्द ही संसद में पेश किया जाएगा. लेकिन सवाल ये उठता है कि पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए कितना खर्चा आएगा, क्या संसाधन लगेंगे? 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Sep 19, 2024, 01:10 PM IST
  • केंद्रीय कैबिनेट ने स्वीकार किया प्रस्ताव
  • विपक्ष इस आईडिया से नहीं खुश
One Nation One Election: जब चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं हुए, तो पूरे देश में कैसे होगा 'वन इलेक्शन'?

नई दिल्ली: One Nation One Election: मोदी कैबिनेट ने 'वन नेशन-वन इलेक्शन' का प्रस्ताव मंजूर कर दिया है. इसे बिल के तौर पर शीतकालीन सत्र में संसद में लाया जा सकता है. लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद ही ये लागू हो पाएगा. मोदी सरकार चाह रही है कि इसे साल 2029 से ही लागू कर दिया जाए, तब लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराए जाएं. लेकिन विपक्षी दल लगातार इसकी मुखालफत कर रहे हैं. उनका तर्क है कि ये लोकतांत्रिक ढांचे को हानि पहुंचा सकता है, इससे एक दल प्रभुत्वशाली ही सकता है.

विपक्ष ने पूछा- चार राज्यों में साथ चुनाव नहीं करा पाए, पूरे देश में कैसे करोगे?
आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संगठन महासचिव डॉ. संदीप पाठक ने कहा- 'जो लोग चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करवा पा रहे, वे वो वन नेशन-वन इलेक्शन कैसे कराएंगे? हमारी मांग है कि भाजपा सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन लाने से पहले झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के साथ साथ दिल्ली में भी चुनाव कराकर दिखाए.' जब चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ, तब कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा था- 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वन नेशन-वन इलेक्शन की बात करते हैं, लेकिन जो लोग चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करा सकते वो कैसे इस बात को कह सकते हैं.' विपक्ष इशारों-इशारों में ये कह चुका है कि सरकार के पास चार राज्यों में एक साथ चुनाव कराने के लिए संसाधन नहीं हैं.

संसाधनों की कमी, पहले करनी होगी ये पूर्ति
यदि भारत सरकार पूरे देश के एक साथ चुनाव चाहती है तो इसके लिए संसाधनों की पूर्ति करनी होगी. देश में एक साथ चुनाव होने के हिसाब से फिलहाल न तो EVM हैं और न ही VVPAT हैं.
EVM: लोकसभा चुनाव 2024 में करीब 12 लाख पोलिंग स्टेशन बनाए गए थे. 2029 में ये बढ़कर 13 लाख 57 हजार के करीब हो जाएंगे. इसलिए EVM की 26 लाख 55 हजार बैलट यूनिट की आवश्यकता होगी.
VVPAT: देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए फिलहाल पर्याप्त VVPAT मशीनें भी नहीं हैं. 17 लाख 79 हजार VVPAT मशीनें और खरीदनी होंगी. इन मशीनों को स्टोर करने के लिए वेयरहाउस भी बढ़ाने होंगे.
कर्मचारी: लोकसभा चुनाव 2024 में 70 लाख कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी लगी थी. अब यदि 5 साल बाद एक साथ चुनाव होते हैं तो इनकी संख्या में करीब 15% की वृद्धि करनी होगी.

कितना खर्चा आएगा?
यदि सरकार संसाधनों की पूर्ति के लिए EVM और VVPAT खरीदती है तो करीब 8 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. इतना पैसा खर्च करने के बाद 2029 में भाजपा की केंद्र सरकार का एक साथ चुनाव कराने का सपना पूरा होगा.

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