नई दिल्ली: संसद की एक समिति ने तंबाकू और शराब को कैंसरकारी तत्व बताते हुए सरकार से इस पर नियंत्रण के लिये प्रभावी नीति बनाने की सिफारिश की है तथा तंबाकू उत्पादों पर कर बढ़ाने की जरूरत बतायी है. समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संबंधी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

तंबाकू और शराब को लेकर कही ये बड़ी बात
कैंसर देखरेख योजना एवं प्रबंधन विषय पर यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई थी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उसका यह ठोस मत है कि देश में तंबाकू और शराब के उपभोग को हतोत्साहित करने की त्वरित जरूरत है.


संसदीय समिति ने कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में तंबाकू से जुड़े कैंसर के बड़ी संख्या में मामले आने का कारण इस क्षेत्र में अधिक मात्रा में तंबाकू का उपभोग है . राष्ट्रीय स्तर पर तंबाकू के 28 प्रतिशत प्रचलन में होने की तुलना में पूर्वोत्तर के राज्यों में यह 60 प्रतिशत तक है.


शराब के साथ तंबाकू के सेवन से बढ़ता है खतरा
समिति ने यह भी नोट किया कि राष्ट्रीय स्तर पर शराब के 12 प्रतिशत प्रचलन में होने की तुलना में पूर्वोत्तर के राज्यों में यह 28 प्रतिशत तक है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि कैंसर पर अंतरराष्ट्रीय शोध एजेंसी ने अल्कोहल की कैंसरकारी तत्व के रूप में पुष्टि की है और खतरा तब काफी बढ़ जाता है तब शराब के साथ तंबाकू का सेवन किया जाता है.


इसमें कहा गया है कि समिति का मानना है कि तंबाकू और शराब के उपभोग को हतोत्साहित करने की त्वरित जरूरत है तथा सरकार को तंबाकू और शराब को कैंसरकारी तत्व बताते हुए सरकार से इस पर नियंत्रण के लिये प्रभावी नीति बनानी चाहिए.


तंबाकू पर कर को बढ़ाए जाने की सिफारिश
समिति ने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल हैं जहां तंबाकू उत्पादों की कीमतें काफी कम है और तंबाकू उत्पादों पर कर को बढ़ाये जाने की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि तंबाकू पर कर को बढ़ाया जाये और इससे प्राप्त अतिरिक्त राजस्व का उपयोग कैंसर की रोकथाम और जागरूकता के लिये किया जाए.


संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) वर्ष 1982 से ही आबादी आधारित कैंसर रजिस्ट्री और अस्पताल आधारित कैंसर रजिस्ट्री के जरिये काम कर रहा है, लेकिन केवल 10 प्रतिशत भारतीय जनसंख्या ही आबादी आधारित कैंसर रजिस्ट्री के दायरे में आती है.


समिति का मानना है कि देश में कैंसर से जुड़ी घटनाओं एवं प्रकार के बारे में वास्तविक सूचना प्राप्त करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक आबादी आधारित कैंसर रजिस्ट्री गठित किये जाने की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने राष्ट्रीय रोग सूचना एवं शोध केंद्र से मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, ओडिशा जैसे राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी आधारित कैंसर रजिस्ट्री स्थापित करने के लिये उपयुक्त कदम उठाने की सिफारिश की है.


इसे भी पढ़ें- कैंसर रोधी समेत 34 नई मेडिसिन आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल, जानिए इससे आपको क्या फायदा होगा



Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.