नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को SCO की बैठक में भारत की ओर से प्रतिनिधित्व किया. शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी को क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती करार देते हुए उन्होंने कहा कि इन समस्याओं के मूल में कट्टरपंथी विचारधारा है. प्रधानमंत्री मोदी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर SCO की बैठक में हिस्सा लेने के लिये दुशांबे में हैं.
SCO की इस बैठक में अफगानिस्तान संकट, क्षेत्रीय सुरक्षा, सहयोग एवं सम्पर्क सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा होगी. पहली बार SCO की शिखर बैठक हाइब्रिड प्रारूप में आयोजित की जा रही है और यह चौथी शिखर बैठक है जिसमें भारत SCO के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में हिस्सा ले रहा है.
Respect territorial integrity while enhancing regional connectivity, PM Modi at SCO summit
Read @ANI Story | https://t.co/9uJmWSMDjQ#SCO #PMModi pic.twitter.com/CpKnuHMu9X
— ANI Digital (@ani_digital) September 17, 2021
ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में शुक्रवार को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की वार्षिक शिखर बैठक को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस कड़ी में अफगानिस्तान के हाल के घटनाक्रमों का उल्लेख किया और कहा कि संगठन के सदस्य देशों को ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने जो कहा, उसे 5 Points में समझिए
1. प्रधानमंत्री ने इस मौके पर SCO के नए सदस्य देश ईरान का स्वागत किया और साथ ही बातचीत में शामिल सहयोगी देशों का भी आभार जताया. उन्होंने कहा कि नए सदस्य और डायलॉग पार्टनर से SCO और मजबूत तथा विश्वसनीय बनेगा.
2. उन्होंने कहा, यह SCO की 20वीं वर्षगांठ वाला साल है. ऐसे में जरूरी है कि इस संस्था के भविष्य के बारे में भी सोचा जाए. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ती कट्टरता है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है. इस मुद्दे पर SCO देशों को साथ मिलकर काम करना चाहिए.
"Warmly received at the 21st Meeting of SCO Council of Heads of State by Tajik leadership. Honoured to represent PM Narendra Modi in Dushanbe, Tajikistan," tweets External Affairs Minister Dr S Jaishankar pic.twitter.com/Lveyxxg4CX
— ANI (@ANI) September 17, 2021
3. प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो यह पता चलेगा कि मध्य एशिया का क्षेत्र शांत और प्रगतिशील संस्कृति तथा मूल्यों का गढ़ रहा है और सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपीं और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं. उन्होंने कहा कि इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं.
4. पीएम मोदी ने कहा, मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक धरोहर के आधार पर SCO को कट्टरपंथ और अतिवाद से लड़ने की एक साझा रणनीति तैयार करनी चाहिए. भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी शांत, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं व परम्पराएं हैं. SCO को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए.
5. उन्होंने कहा कि इस सन्दर्भ में SCO के रैट्स प्रक्रिया तंत्र की ओर से किए जा रहे काम की वह प्रशंसा करते हैं. प्रधानमंत्री ने कट्टरपंथ से लड़ाई को क्षेत्रीय सुरक्षा और आपसी विश्वास के लिए आवश्यक करार दिया और कहा कि यह युवा पीढ़ी का उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने के लिए भी जरूरी है. उन्होंने कहा, विकसित विश्व के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए हमारे क्षेत्र को प्रौद्योगिकी में एक पक्ष बनना होगा. इसके लिए हमें अपने प्रतिभाशाली युवाओं को, विज्ञान और विवेकपूर्ण सोच को प्रोत्साहित करना होगा. इस तरह की सोच और इनोवेशन को बढ़ावा देना होगा.
यह भी पढ़िएः जयशंकर ने पूर्वी लद्दाख के मुद्दे पर चीनी विदेश मंत्री से की समाधान की वकालत
SCO की बीसवीं वर्षगांठ
SCO परिषद के सदस्य देशों के प्रमुखों की 21वीं बैठक शुक्रवार को दुशांबे में शुरू हुई है. इसकी अध्यक्षता ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान कर रहे हैं. इस बैठक का महत्व इसलिये भी बढ़ जाता है क्योंकि संगठन इस वर्ष अपनी स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है. SCO की स्थापना 15 जून 2001 को हुई थी और भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना.
Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.