लखनऊः उत्तर प्रदेश का सियासी रुख अलग ही रहा है, लेकिन इस समय वहां दिल्ली वाला माहौल दिखने को मिल रहा है. पोस्टर का जवाब पोस्टर से देने की प्रथा दिल्ली में रही है, केजरीवाल सरकार में इसकी काफी बानगी देखने को मिली है, लेकिन अब उत्तर प्रदेश भी इसी राह पर चल पड़ा रहा है, जहां विरोध प्रदर्शन करने के लिए पोस्टर का सहारा लिया जा रहा है. लखनऊ में इस वक्त ऐसे लगे कई पोस्टर राजनीतिक मुद्दा बनते जा रहे हैं, समाजवादी पार्टी जो कि CAA के विरोध में अब कि बार खुला विरोध करने मैदान में उतरी है.
सेंगर और चिन्मयानंद के लगाए पोस्टर
लखनऊ में योगी सरकार की ओर से लगाए गए वसूली पोस्टर के जवाब में समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी पोस्टर लगाए है. लखनऊ के अलग-अलग चौरहों पर वसूली पोस्टर के बगल में लगाए गए इस पोस्टर में यौन शोषण के आरोपी स्वामी चिन्मयानंद और रेप व हत्या के मामले में दोषी करार कुलदीप सिंह सेंगर की तस्वीर है. पोस्टर पर शीर्षक लिखा है, 'ये हैं प्रदेश की बेटियों के आरोपी, इनसे रहें सावधान.'
भाजपा प्रवक्ता रहे आईपी सिंह
मौजूदा समय में सपा नेता आईपी सिंह ने लखनऊ में यह पोस्टर लगाए हैं. आईपी सिंह ने पोस्टर को ट्वीट भी किया और लिखा कि जब कानून और आदेश का पालन सरकार नहीं कर रही तो वो भी होर्डिंग लगा रहे हैं. कुलदीप सिंह सेंगेर और स्वामी चिन्मयानंद भाजपा में थे, लेकिन मामला सामने आने के बाद पार्टी ने दोनों को निष्कासित कर दिया था.
जब प्रदर्शनकारियों की कोई निजता नहीं है और उच्चन्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी योगी सरकार होर्डिंग नहीं हटा रही है तो ये लीजिए फिर। लोहिया चौराहे पर मैंने भी कुछ कोर्ट द्वारा नामित अपराधियों का पोस्टर जनहित में जारी कर दिया है, इनसे बेटियाँ सावधान रहें। pic.twitter.com/9AqGBxMoJR
— I.P. Singh (@IPSinghSp) March 12, 2020
सपा नेता आईपी सिंह ने कहा कि जब प्रदर्शनकारियों की कोई निजता नहीं है और हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी योगी सरकार होर्डिंग नहीं हटा रही है तो ये लीजिए फिर. लोहिया चौराहे पर मैंने भी कुछ कोर्ट द्वारा नामित अपराधियों का पोस्टर जनहित में जारी कर दिया है, इनसे बेटियां सावधान रहें.
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योगी सरकार ने लगाए थे हिंसक प्रदर्शन करने वालों के पोस्टर
यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ CAA के विरोध में हुई हिंसा में कड़े कदम उठाए थे. इसी क्रम में यूपी सरकार ने उन लोगों के पोस्टर चौराहे पर लगवा दिए थे, जिन्हें कहा जा रहा था कि वह हिंसात्मक प्रदर्शन में शामिल रहे हैं. इसे लेकर हाईकोर्ट ने पोस्टर को हटाने का आदेश दिया था. योगी सरकार इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी. सुप्रीम कोर्ट ने हाइकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया था.