लखनऊ. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आत्मनिर्भरता की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भरता एक विकल्प नहीं, बल्कि इस देश की जरूरत है. उन्होंने शनिवार को आयोजित एक कार्यक्रम में 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि इस युद्ध के समय देश को रक्षा उपकरण देने से मना कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि यही हाल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान था, जब सशस्त्र बलों ने उपकरणों की भारी जरूरत महसूस की थी.


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जब भारत को हथियारों के लिए मना कर दिया गया
रक्षा मंत्री ने कहा कि जो पारंपरिक तौर पर हमें हथियारों की आपूर्ति किया करते थे, उन्होंने भी मना कर दिया था. इसलिए हमारे पास खुद को मजबूत करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.' उन्होंने कहा, 'आपको पता है कि यह देश आत्मनिर्भरता के संकल्प के साथ हर क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है. जमीन से लेकर आसमान तक और कृषि मशीनों से लेकर क्रायोजनिक इंजन तक, भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है.'


दुनिया तेजी से बदल रही
सिंह ने कहा कि तेजी से बदल रही दुनिया में आत्मनिर्भरता एक विकल्प ही नहीं, बल्कि यह एक आवश्यकता है. उन्होंने कहा, 'हम हर क्षेत्र में इस देश की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित कर रहे हैं. रक्षा क्षेत्र में यह अधिक बढ़ा है, क्योंकि यह मामला सीधे तौर पर इस देश की रक्षा से जुड़ा है.' उन्होंने एक दार्शनिक द्वारा कही गई पंक्ति का भी उदाहरण दिया कि जो अपना इतिहास भूल जाते हैं, वो उसे दोहराने की गलती करते हैं. सिंह ने आगे कहा, 'जब मैं सेना की आत्मनिर्भरता की बात करता हूं तो इसका अर्थ केवल सैनिकों से नहीं है, बल्कि इसका अर्थ सैन्य उपकरण को लेकर भी है. समय बदलने के साथ सैन्य उपकरण की भूमिका अधिक बढ़ जाती है. आज युद्ध में टेक्नोलाजी के नाम से एक नया योद्धा है, तो हमें आगे की बात सोचनी होगी.' 


आयातित उपकरणों की सीमा
सिंह ने कहा कि आयातित उपकरणों की अपनी सीमाएं होती हैं और कभी कभी एक ऐसी स्थिति पैदा हो सकती हैं, जब आप इसका उपयोग करना चाहते हैं और दूसरा देश इसे अवरुद्ध कर सकता है. उन्होंने कहा, 'आज ज्यादातर उपकरणों में इलेक्ट्रानिक प्रणालियां होती हैं. इसलिए क्या इस संभावना से इनकार किया जा सकता है कि जो प्लेटफार्म या उपकरण हम इस्तेमाल कर रहे हैं उसमे लगी चिप दुश्मन को हमारी स्थिति के बारे में सूचित कर दे. आयातित हथियार कुछ शर्तों के साथ आपके पास आते हैं, जो एक संप्रभु राष्ट्र के लिए उचित नहीं हैं. 


सबसे उन्नत तकनीक के हथियारों की जरूरत
उन्होंने आगे जोड़ा, 'इसलिए देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए हमें सबसे उन्नत टेक्नोलाजी वाले उपकरणों की जरूरत है और इसे हमें अपने देश में ही विकसित करना होगा.' रक्षा मंत्री ने दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकी के विकास का आह्वान किया, जो रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के अलावा लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार लाए. उन्होंने कहा कि हमने डीआरडीओ, अकादमिक क्षेत्र और उद्योग के साथ मिलकर भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है और हमारे प्रयासों के परिणाम आने लगे हैं. यह खुशी की बात है कि हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन आज एक लाख करोड़ रुपये का स्तर पार कर गया है. 


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