Republic Day 2022: 26 जनवरी के समान ही महत्वपूर्ण है 24 जनवरी, जानें कैसे?

 26 जनवरी 1950 से ठीक दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1950 के दिन ही हमारे संविधान को लागू करने और अपनाए जाने के फैसले पर 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 24, 2022, 07:30 AM IST
  • 24 जनवरी 1950 को भारत के पहले राष्ट्रपति के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद का चयन
  • इसी दिन संविधान सभा के सदस्यों ने 'जन गण मन' को राष्ट्रगान अधिकृत किया
Republic Day 2022: 26 जनवरी के समान ही महत्वपूर्ण है 24 जनवरी, जानें कैसे?

नई दिल्ली: देश में 26 जनवरी को 73वें गणतंत्र दिवस के उत्सव की तैयारियां जारी हैं. 26 जनवरी के दिन ही 1950 में देश में संविधान को लागू किया गया था. 200 वर्षों की गुलामी भोगने के बाद उस दिन का सूरज बाकी दिनों की अपेक्षा कहीं ज्यादा चमकीला और आभामय था. देश की जनता को दुनिया के सबसे विस्तृत और सारगर्भित संविधान के द्वारा उसके समस्त अधिकार दिए जा रहे थे. 

284 सदस्यों ने किया संविधान के लिए हस्ताक्षर
दरअसल 26 जनवरी 1950 से ठीक दो दिन पहले यानी 24 जनवरी 1950 के दिन ही हमारे संविधान को लागू करने और अपनाए जाने के फैसले पर 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर किया था. 24 जनवरी 1950 को ही संविधान सभा के द्वारा भारत के पहले राष्ट्रपति के तौर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद का चयन किया गया. डॉ प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष भी थे. 

राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत 
24 जनवरी का दिन इसलिए भी भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका रखता है कि इसी दिन संविधान सभा के सदस्यों ने 'जन गण मन' को भारत का राष्ट्रगान और 'वंदे मातरम' को राष्ट्रीय गीत के तौर पर अधिकृत किया था. गौरतलब है कि भारत का राष्ट्रगान कवि श्रेष्ठ रविन्द्र नाथ टैगोर के द्वारा रचित है वहीं राष्ट्रीय गीत बंकिम चन्द्र चटोपाध्याय द्वारा रचित उपन्यास 'आनन्द मठ' से लिया गया है. 

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सन्यासी विद्रोह के आधार पर लिखी गई थी 'आंनद मठ'
सन्यासी विद्रोह पर आधारित इस कालजयी उपन्यास से उत्पन्न  क्रांतिकारी विचारधारा ने सामाजिक और राजनीतिक चेतना को जागृत करने का काम किया. तत्कालीन दौर में इस्लामिक आक्रमण और अंग्रेजी हुकूमत के बाद से हिंदुओं की जिस पराजित मानसिकता को प्रचारित किया जा रहा था, उसके उपरांत इस उपन्यास ने सम्पूर्ण भारत वर्ष के हिंदुओं में आत्मगौरव भरने का काम किया. 

'आनंद मठ' में जिस काल खंड का वर्णन किया गया था वह हन्टर द्वारा रचित 'एन्नल ऑफ रूरल बंगाल', ग्लेग की 'मेम्वाइर ऑफ द लाइफ ऑफ वारेन हेस्टिंग्स' के साथ उस समय के ऐतिहासिक दस्तावेज में शामिल तथ्यों से काफी समानता रखता है.

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