अब भारत के बारे में गलतफहमी फैलाने वालों की खैर नहीं, RSS ने बनाया ऐसा प्लान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विदेश और घरेलू स्तर पर देश के बारे में गलतफहमी फैलाने के प्रयासों का मुकाबला करने के लिए योजना तैयार की है. आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रविवार को इस संबंध में जानकारी दी. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 13, 2022, 08:08 PM IST
  • शोधकर्ताओं-लेखकों के साथ सहयोग करेगा संघ
  • 'अंग्रेजों के समय से फैलाई जा रही गलतफहमी'
अब भारत के बारे में गलतफहमी फैलाने वालों की खैर नहीं, RSS ने बनाया ऐसा प्लान

नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने विदेश और घरेलू स्तर पर देश के बारे में गलतफहमी फैलाने के प्रयासों का मुकाबला करने के लिए योजना तैयार की है. आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने रविवार को इस संबंध में जानकारी दी. 

शोधकर्ताओं-लेखकों के साथ सहयोग करेगा संघ
आरएसएस ने देश के बारे में गलतफहमी फैलाने वालों का मुकाबला करने के लिए भारत का तथ्य-आधारित ‘वृहत आख्यान’ पेश करने के लिए शोधकर्ताओं, लेखकों और राय बनाने वालों के साथ सहयोग करने का फैसला किया है. संघ के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की अहमदाबाद में हुई तीन दिवसीय बैठक में इस मुद्दे के साथ ही भारतीय समाज, उसके हिंदू समुदाय, उसके इतिहास, संस्कृति और जीवन शैली की एक सच्ची तस्वीर पेश करने के तरीकों सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई. 

संगठन विस्तार को लेकर भी हुई चर्चा
बैठक के एजेंडे में 2025 में आरएसएस के शताब्दी वर्ष समारोह से पहले, संगठन का विस्तार करना और केवल संख्यात्मक रूप से नहीं, बल्कि समुदाय के सदस्यों के बीच राष्ट्रवाद और एकता के विचार को आगे बढ़ाने का उद्देश्य भी शामिल रहा. इस बैठक में 1,252 पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने भाग लिया. 

'अंग्रेजों के समय से फैलाई जा रही गलतफहमी'
बैठक के अंतिम दिन आरएसएस सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा, ‘भारत और विदेशों में, भारत से संबंधित विषयों पर या तो अनजाने में या जानबूझकर गलतफहमी फैलाने के प्रयास किए गए हैं. ऐसा अंग्रेजों के समय से लेकर अभी तक किया जा रहा है.’ उन्होंने कहा कि इस वैचारिक आख्यान को बदलने और तथ्यों पर आधारित भारत के एक भव्य आख्यान को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है. 

उन्होंने कहा, ‘केवल संघ के सदस्य ही नहीं, बल्कि बहुत सारे लोग इस मुद्दे पर अपनी राय प्रस्तुत कर रहे हैं. उन्होंने शोध किया है, किताबें लिखी हैं, उनकी राय भारत और विदेशों में प्रकाशित होती है. ऐसे लोगों का एक बड़ा वर्ग है. नेटवर्किंग के माध्यम से और उनके सहयोग से, हम अगले तीन-चार वर्षों में भारत के आख्यान को प्रभावी बनाने में सक्षम होंगे.’ 

'धार्मिक कट्टरता गंभीर चुनौती' 
शनिवार को यहां प्रस्तुत अपनी वार्षिक रिपोर्ट में, आरएसएस ने धार्मिक कट्टरता को एक गंभीर चुनौती करार दिया और हाल ही में कर्नाटक में और केरल में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की हत्या का भी उल्लेख किया. 

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में सांप्रदायिक उन्माद, प्रदर्शन, सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन, रीति-रिवाजों और परंपराओं का उल्लंघन, मामूली कारणों से हिंसा भड़काना, अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देना आदि कायरतापूर्ण कृत्यों का सिलसिला बढ़ रहा है.’ 

हिजाब विवाद की ओर भी किया इशारा
रिपोर्ट के बारे में बोलते हुए, होसबले ने कहा, ‘समाज के बारे में कुछ अनुशासन हैं. हरियाणा में, लोग आरती के मुद्दे पर भिड़ गए. केवल यह कहना सही नहीं है कि हमें धार्मिक स्वतंत्रता है. किसी ने स्कूल की वर्दी के बारे में नियम बनाया है, यह कहना सही नहीं है कि हम (इसका पालन) नहीं करेंगे.’ उनका इशारा परोक्ष तौर पर कर्नाटक में हिजाब विवाद की ओर था. 

होसबले ने कहा, ‘सभी को धार्मिक स्वतंत्रता मिली है. इसे लागू करने के बारे में संतुलन बनाने की जरूरत है. हमने इसे ध्यान में रखते हुए एक चर्चा शुरू की है.’ 

होसबले ने कहा कि संघ के विस्तार पर भी चर्चा हुई, क्योंकि यह 2025 में अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. उन्होंने कहा कि विस्तार में भौगोलिक और गतिविधियों का संदर्भ शामिल है. उन्होंने कहा कि संघ की गतिविधियां देश भर के 50 प्रतिशत मंडलों में पहुंच गई हैं, जिसमें दैनिक शाखाएं और साप्ताहिक बैठकें शामिल हैं. 

प्रत्येक जिले में आदर्श गांव बनाने की योजना
होसबले ने कहा कि संघ की योजना आने वाले दो वर्षों में अपनी विस्तार योजनाओं को पूरा करने की है. उन्होंने कहा कि इसकी योजना शहर के वॉर्डों में विस्तार करने और देश के प्रत्येक जिले में एक आदर्श गांव बनाने की है. संघ के पदाधिकारी ने कहा, ‘उद्देश्य केवल संख्या बढ़ाना नहीं है, बल्कि समुदाय के सदस्यों के बीच राष्ट्रवाद और एकता के विचार को आगे बढ़ाना है. संघ की गतिविधियों में भाग लेने के लिए स्वेच्छा से लोगों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है.’ 

आरएसएस के पदाधिकारी ने 'समृद्ध भारत के भव्य सपने' को वास्तविकता में लाने के लिए संघ के कार्यक्रम के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में कोविड के बाद पुनर्वास पर भी चर्चा हुई. 

एक मिशनरी स्कूल के छात्रों से 'जय श्री राम' कहने पर माफी मांगने के लिए कहने के बारे में स्थानीय समाचार पत्रों की खबर पर उन्होंने कहा, 'जय श्रीराम अभिवादन का एक तरीका है, और यहां तक ​​​​कि भारत आने वाले विदेशी भी ऐसा कहते हैं. अगर लोग इसका विरोध करते हैं, तो बच्चों, उनके माता-पिता को उनसे सवाल करना चाहिए. यह स्वाभाविक है कि अगर कुछ भी भारत की सांस्कृतिक परंपरा के खिलाफ जाता है तो समाज बर्दाश्त नहीं करेगा.'

यह भी पढ़िएः RSS की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा, हिंदुओं के खिलाफ हो रही ये बड़ी साजिश

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़