नई दिल्ली. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में बुधवार को CBI जांच के आदेश दे दिए हैं. हाईकोर्ट के इस निर्णय को ममता बनर्जी सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा जा रहा है. दरअसल इस संवेदनशील मामले पर शुरुआत से हाईकोर्ट सख्त रहा है. दूसरी तरफ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी भी ममता सरकार को लगातार संदेशखाली केस में घेरती रही है. संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की थी. 



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मामले के वकील आलोक श्रीवास्तव ने कहा है-कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा आज एक ऐतिहासिक निर्णय दिया गया है. एक आदेश बस थोड़ी देर पहले आया है कि संदेशखाली मामले में हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच होगी. वहीं ईडी के अधिकारियों पर हुए हमले के मामले में पहले सीबीआई जांच जारी है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि पश्चिम बंगाल सरकार जरूरी सुविधाएं और सुरक्षा सीबीआई को मुहैया कराए. साथ ही संदेशखाली की पीड़िताओं को भी सुरक्षा मुहैया कराई जाए. हाईकोर्ट ने पीड़ितों के पक्ष में कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. मैं मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करने जा रहा हूं क्योंकि इस फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार जरूर सर्वोच्च अदालत का रास्ता अख्तियार करेगी. क्योंकि ईडी के अधिकारियों पर हमले के मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन कोर्ट ने उनकी मांग नामंजूर कर दी थी. 


रक्षात्मक मुद्रा में दिखी है तृणमूल
दरअसल इस मामले पर ममता बनर्जी सरकार रक्षात्मक मुद्रा में दिखी है. कोर्ट ने सरकार को फटकारते हुए यहां तक कहा था कि यह संदेशखाली में जो कुछ हुआ वह बेहद शर्मनाक है. कोर्ट ने कहा था-यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वहां की महिलाएं दुख से गुजर रही हैं. इसके लिए पूरी तरह जवाबदेह सत्ताधारी पार्टी है.


बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने जमकर साधा है निशाना
मामला उजागर होने के बाद संदेशखाली केस का मुख्य आरोपी और तृणमूल नेता शेख शाहजहां फरार हो गया था. हालांकि मामले में फजीहत होते देख तृणमूल ने बाद में शेख शाहजहां को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. इसके बाद शेख शाहजहां की गिरफ्तारी हुई थी और बीजेपी समेत अन्य विपक्षी दलों ने जमकर निशाना साधा था.


ममता के हाथ से छूट रही है मामले की 'ग्रिप'
महिलाओं से जुड़ा मामला होने के कारण शुरुआत से ही यह केस ममता सरकार के लिए मुश्किलभरा रहा है. अभी तक मामले की जांच पश्चिम बंगाल पुलिस के हाथों में थी. लेकिन अब कोर्ट के आदेश के बाद यह जांच सीबीआई के हाथों में होगी. संभव है कि ममता सरकार हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रास्ता अख्तियार करे. देखना होगा कि उसे वहां से राहत मिलती है या नहीं. लेकिन अगर सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो इस मामले से पैदा हुई मुश्किलें ममता बनर्जी और ज्यादा दिक्कत का सबब बन सकती हैं.


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