नई दिल्ली: Shiv Sena History: महाराष्ट्र के चुनावी अखाड़े में सभी दल अपनी-अपनी जोर-आजमाइश कर रहे हैं. ये चुनाव सिर्फ हार-जीत का नहीं, बल्कि असली बनाम नकली शिवसेना का भी है. एक समय था जब शिवसेना देशव्यापी पार्टी बनना चाहती थी. लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि पार्टी ने विस्तार का प्लान खत्म कर दिया? इसका खुलासा शिवसेना सांसद संजय राउत ने NDTV को दिए एक एक इंटरव्यू में किया.
उद्धव चाहते हैं पार्टी का विस्तार
संजय राउत ने इंटरव्यू में बताया कि शिवसेना (UBT) के प्रमुख उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि पार्टी का विस्तार हो. यदि बाला साहेब ठाकरे महाराष्ट्र के बाहर कदम रखते तो हमे इसका फायदा जरूर मिलता.
बाल ठाकरे ने किया था बड़ा ऐलान
संजय राउत ने आगे कहा कि अयोध्या आंदोलन के बाद हिंदी भाषी प्रदेशों में बाला साहेब ठाकरे की लोकप्रियता चरम पर थी. साल 1992 में हमने चुनाव में उतरने का फैसला भी किया. हमें जनता से भरपूर समर्थन प्राप्त था. बाला साहेब ठाकरे की छवि एक हिंदू नेता के तौर पर जम गई थी. वे सुपरस्टार बन चुके थे. उन्होंने चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया था.
फिर इस बड़े नेता ने किया फोन
संजय ने बताया कि बाला साहेब ठाकरे के ऐलान के बाद उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी का फोन आया. अटल जी ने कहा अगर आप चुनाव लड़ेंगे तो हमारे वोटों में बंटवारा होगा. इससे हमारा नुकसान हो जाएगा. फिर बाला साहेब ने बाकी राज्यों में चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया. राउत ने बताया कि बाला साहेब ने हमसे कहा कि अटल जी का फोन आया है, उनका सम्मान करते हुए हमें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए. राउत का दावा है कि यदि तब हम चुनाव लड़ते तो हमारे 10-15 सांसद चुनाव जीतकर आते.
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