नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े केस राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर शनिवार सुबह फैसला आ चुका गया. जिसमें विवादित जमीन रामलला विराजमान को दे दी गई है. यानी राम मंदिर का निर्माण होना सुनिश्चित हो गया है. अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देखते हुए देश भर में हलचल तेज हो गई है. देश के सर्वोच्च न्यायालय में कई अहम मुद्दों को शामिल किया गया. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण (एएसआई) की रिपोर्ट के कई मुद्दों को सही बताया गया. जिसमें केके मुहम्मद बतौर छात्र शामिल थे.


मंदिर पर मुहम्मद ने जताई खुशी


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इस ऐतिहासिक फैसले के बाद एएसआई के तत्कालिक सदस्य केके मुहम्मद ने खुशी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले में विवादित भूमि राम जन्मभूमि न्यास को दी गई है. अदालत ने अपने फैसले में आर्केयोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट को खासी अहमियत दी है.



फैसले का पूरा क्रम


राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर फैसला सुनाने के लिए संवैधानिक बोर्ड के सभी सदस्य न्यायालय पहुंचे, और सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट मे 5-0 से शिया बोर्ड की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि फैसला सुनाने में सिर्फ 30 मिनट का समय लूंगा. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने ये स्वीकार किया कि बाबर के दौर में मस्जिद बनाई गई. उन्होंने माना कि बाबर के समय में मीर बाकी ने मस्जिद बनवाई. सबसे बड़ा मोड़ उस वक्त आया जब सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को आधार मानते हुए एक के बाद एक मुद्दों को सही करार दे दिया.


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ASI की रिपोर्ट के सुप्रीम कोर्ट ने माना अहम


आर्केयोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को स्वीकार किया कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. ASI की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि जहां पर तथाकथित मस्जिद बनी थी, वहां पहले मंदिर थी. यानी सुप्रीम कोर्ट सीधे तौर पर ये कहती है कि एएसआई ने मस्जिद का जिक्र नहीं किया. चीफ जस्टिस ने कहा कि खुदाई में जो मिला, वो इस्लामिक ढ़ांचा नहीं था. ASI की रिपोर्ट में 12वीं सदी के मंदिर होने का जिक्र है. 


ASI के सर्वेक्षण में शामिल थे केके मुहम्मद


सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण की रिपोर्ट को अहम माना, लेकिन आपको यहा ये जानना जरूरी है कि राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि का पहली बार साल 1976 और 1977 के वक्त पुरातात्विक सर्वेक्षण जब किया गया था. उस वक्त उस टीम में केके मुहम्मद भी शामिल थे. बता दें, केके मुहम्मद ने उस वक्त अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से पीजी की डिग्री हासिल करने के बाद स्कूल ऑफ आर्केयोलॉजी में पढ़ाई शुरू की थी. दिलचस्प बात ये है कि वो उस वक्त इस सर्वेक्षण में बतौर छात्र शामिल हुए थे.


इस खुलासे से हर कोई चौंक गया



इस सर्वेक्षण के कुछ ही साल बाद केके मुहम्मद ने एक बहुत बड़ा खुलासा किया, जिससे हर कोई चौंक गया. पुरातात्विक सर्वेक्षण का खुलासा करते हुए उन्होंने कहा था कि वहां से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे. कई जानकारों ने केके मुहम्मद के इस खुलासे को स्वीकार किया था, लेकिन कुछ पुरातत्वविद ने यह भी कहते रहे हैं कि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि वहां जैन या बौद्ध मंदिर होने की संभावना है. कई बार केके मुहम्मद ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि वो इस्लामिक ढांचा नहीं हैय उसमें मूर्तियां मिली हैं. ऐसे में उसमें इस्लामिक इबादतगाह का सवाल ही नहीं है. विवादित स्थल पर जो लंबी दीवार और जो गुंबदनुमा ढांचे मिले हैं, वो इस्लामिक निर्माण नहीं है.


सर्वेक्षण में मिले कई शिलालेख



केके मुहम्मद ने ये भी बताया था कि सर्वेक्षण में मिट्टी की बनी कई मूर्तियों और प्रणालियों की भी जानकारी मिली थी. उन्होंने बताया कि मूर्तियों के अवशेष बरामद हुए थे. आपको बता दें, कुछ ऐसे शिलालेख भी बरामद हुए थे जो बिल्कुल वैसे ही हैं जैसे दिल्ली में कुतुब मीनार के पास की मस्जिद में मिलते हैं. और केके मुहम्मद ने कई बार ये दावा किया है कि ये शिलालेख भी 10वीं शताब्दी के हैं.