'मंत्री के दुस्साहस से आश्चर्यचकित': कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ काटने पर SC की फटकार, CBI को तीन माह का समय

Uttrakhand Jim Corbett tiger reserve Case: अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद को फटकार लगाई गई है. अदालत ने पहले से ही मामले की जांच कर रही CBI को तीन महीने के भीतर मामले पर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Mar 6, 2024, 02:19 PM IST
  • टाइगर रिजर्व में वनों की कटाई के लिए उत्तराखंड के अधिकारियों को फटकार
  • जिम्मेदार अधिकारियों की सांठगांठ की पहचान करने के आदेश
'मंत्री के दुस्साहस से आश्चर्यचकित': कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में पेड़ काटने पर SC की फटकार, CBI को तीन माह का समय

Uttrakhand Jim Corbett tiger reserve Case:  सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और पेड़ों की कटाई की अनुमति देने के लिए उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद को फटकार लगाई.

अदालत ने पहले से ही मामले की जांच कर रही CBI को तीन महीने के भीतर मामले पर अपनी स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया.

अदालत की टिप्पणी पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल की एक याचिका के बाद आई, जिसमें राष्ट्रीय उद्यान में बाघ सफारी और पिंजरे में बंद जानवरों के साथ एक विशेष चिड़ियाघर बनाने के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी गई थी.

न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, 'यह एक ऐसा मामला है जहां नौकरशाहों और राजनेताओं ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.' पीठ ने कहा, 'उन्होंने (रावत और चंद) कानून की घोर अवहेलना की है और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए पर्यटन को बढ़ावा देने के बहाने इमारतें बनाने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की है.'

अदालत ने यह भी कहा कि वह वैधानिक प्रावधानों को ताक पर रख देने के रावत और चंद के दुस्साहस से आश्चर्यचकित है.

कोर्ट ने कहा, 'वर्तमान मामले में, यह संदेह से परे स्पष्ट है, कि तत्कालीन वन मंत्री ने खुद को कानून से परे माना था, और यह दर्शाता है कि कैसे राजनेता और नौकरशाह कानून को अपने हाथों में कैसे लेते हैं. किशन चंद ने सार्वजनिक विश्वास सिद्धांत को हवा में उड़ा दिया.'

कहा गया, 'हमें यकीन है कि कई अन्य लोग भी इसमें शामिल हैं. लेकिन, चूंकि सीबीआई इसकी जांच कर रही है, इसलिए हम और कुछ नहीं कह रहे हैं.'

बनाई एक कमेटी
कोर्ट ने यह देखने के लिए एक समिति भी बनाई कि क्या देश में राष्ट्रीय उद्यानों के बफर या सीमांत क्षेत्रों में बाघ सफारी की अनुमति दी जा सकती है या नहीं. मामले पर बोलते हुए अदालत ने कहा, 'हम बाघ सफारी की अनुमति दे रहे हैं, लेकिन फैसले में जारी हमारे निर्देशों के अधीन.'

क्या है मामला?
पिछले साल सितंबर में उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध निर्माण और 6,000 पेड़ों की कटाई के मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए थे. अदालत ने अक्टूबर 2021 में ऐसा सुझाव देने वाली मीडिया रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया था.

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