पटना: महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद ने CAA को लेकर बिहार बंद का एलान किया था जिसे महागठबंधन की छोटी पार्टियों ने कोई तरजीह नहीं दी और इसमें शामिल होने से मना कर दिया. सवाल है क्यों ? 


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बिहार बंद की चल रही है तैयारियां


आधिकारिक तौर पर प्रेस वार्ता में तो यह कहा गया कि राजद ने उन्हें कोई निमंत्रण ही नहीं दिया. लेकिन क्या पूरा मामला यहीं है. इस पर कुछ संशय सा लगता है. CAA को लेकर राजद ने बिहार बंद का आहवाहन किया था.


बिहार में लेफ्ट पार्टी यानी कि कॉमुनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने भी बिहार बंद का प्रोग्राम फिक्स किया है. पहले तो दोनों पार्टियों के अलग-अलग तिथियों को एक ही दिन करने पर लंबी चर्चा चली. पर वहां बात नहीं बनी. 


घटक दलों ने टाला कि क्यों नहीं आए तेजस्वी


अब इधर महागठबंधन की अन्य घटक दल यानी हम, रालोसपा, कांग्रेस और वीआईपी ने हम प्रमुख जीतनराम मांझी के आवास पर मीटिंग की. बैठक में राजद के कोई भी नेता नहीं आए. बाद में अगले ही दिन सभी घटक दलों ने राजद को छोड़कर यह फैसला लिया कि वे प्रेस कॉनफ्रेंस करेंगे.



प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद के अनुपस्थिति का कारण पूछा गया तो रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सीधे मुंह यह बात कह दी कि यह तो राजद ही बताएगी कि वह क्यों नहीं आ सकी. 


मुकेश साहनी ने कहा राजद ने कैंसल किया प्रेस कॉन्फ्रेंस


बारी आई वीआईपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी की. जब उनसे भी पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सबसे पहले राजद की सहमति के बाद ही यह प्रेस वार्ता रखा गया था लेकिन उन्होंने अचानक ही आने से मना कर दिया. बावजूद इसके हमलोगों ने इसे कैंसल करना ठीक नहीं समझा. 


अब यह प्रेस कॉन्फ्रेंस तो वैसे भारत सरकार और बिहार सरकार को घेरने के लिहाज से शुरू किया गया था लेकिन इसके शुरू होने से पहले ही इसके लक्षण कुछ ऐसे दिखे कि मीडिया में खबरें तैरने लगीं कि वाकई महागठबंधन के अंदर राजद की भूमिका को लेकर कुछ असमंजस जैसी स्थिति है.


केंद्र और राज्य सरकार के नीतियों की आलोचना की



इस प्रेस वार्ता में जीतनराम मांझी ने कहा कि देश में हालात ठीक नहीं है, अघोषित इमरजेंसी जैसे माहौल हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एजेंडा साफ है कि हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र हो जाए. इसके अलावा कांग्रेस के राज्यसभा सांसद ने कहा कि देश में स्थितियां काफी विस्फोटक हैं.


इसके जिम्मेदार प्रधानमंत्री मोदी हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर धावा बोलते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने पहले कहा था कि वे इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे लेकिन अब उनका चरित्र सबके सामने आ गया है.


क्या है तेजस्वी के महागठबंधन से किनारा करने की वजह ?


अब दिलचस्प बात यह है कि सरकार को घेरने निकली कांग्रेस आखिर खुद ही आलोचनाओं में क्यों घिरने लगी. इसके पीछे की वजह है राजद और राजद के फिलहाल के सर्वेसर्वा तेजस्वी यादव. दरअसल पिछले कुछ दिनों से बिहार की राजनीति को नजदीक से देखने वाले लोगों का मानना है कि धीरे-धीरे तेजस्वी यादव का भगवाकरण हो रहा है.



भाजपा से उनकी नजदीकी का हवाला देते हुए यह कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव तक या तो भाजपा के साथ दिख सकते हैं या किसी भी तरह से भगवा झंडे को फायदा पहुंचा सकते हैं. 


राजद के सामने यह मुश्किल है कि वह महागठबंधन में भी अलग-थलग पड़ती जा रही है. महागठबंधन के अंदर ही एक लॉबी ऐसी है जो यह मानती है कि तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेतृत्व नहीं सौंपा जाना चाहिए. अब बेचारे तेजस्वी जाएं तो जाएं कहां ? 


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