उत्तराखंड: दशकों से तबाहियों के खौफनाक मंजर देखता राज्य
रविवार को चमोली जिले के रैनी जिले में ग्लेशियर फटने से नदी में बाढ़ आ गई. उत्तराखंड में बीते दशकों में ऐसे कई खौफनाक मंजर देखने को मिले हैं, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.
नई दिल्ली: उत्तराखंड राज्य हमेशा से अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है. कई लोगों ने उत्तराखंड की वादियों को स्वर्ग का दर्जा दिया है, लेकिन कई मौकों पर यही वादियां लोगों के लिए काल बनकर खड़ी हो गईं . आइये जानते हैं कुछ ऐसी ही घटनाओं के बारे में-
1991: उत्तरकाशी में भूकंप
साल 1991 में उत्तरकाशी के लोगों ने 6.8 तीव्रता के भूकंप का सामना किया. सूत्रों के मुताबिक, इस घटना में लगभग 768 लोगों की मौत हो गई थी. इस भूकंप से उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के भी कई इलाके प्रभावित हुए था. आईआईटी कानपुर की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस घटना में तीन लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए. इस घटना में पंद्रह हजार से भी अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए थे.
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1998: मालपा लैंडस्लाइड
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मालपा गांव में 18 अगस्त, 1998 को हुए एक भीषण लैंडस्लाइड में पूरे का पूरा गांव राज्य के नक्शे से गायब हो गया. 16 अगस्त, 1998 को इलाके में बड़ी-बड़ी चट्टानों के गिरने से इस मंजर की शुरुआत हुई. इस घटना में कुल 221 लोग मारे गए, जिनमें 60 हिंदू तीर्थयात्री भी शामिल थे. जो कि 'कैलाश मानसरोवर यात्रा' का हिस्सा थे और तिब्बत की ओर जा रहे थे.
2012: हिमालय से आई बाढ़
3 अगस्त, 2012 को हिमालय की पहाड़ियों के आस-पास बादलों के फटने से लैंडस्लाइड हुआ और इसके बाद उत्तराखंड के कई इलाकों में बाढ़ का मंजर देखने को मिला. बादल फटने की घटना में 31 लोग मारे गए तथा 40 लोगों के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज की गई. बाद में अचानक से आई बाढ़ में 10 लोग मारे गए और 38 लोग लापता हो गए. बाढ़ में कई घर बह गए और 'चार धामयात्रा' स्थगित हो जाने के कारण बहुत से यात्री बीच रास्तों में ही फंस गए. इस घटना में गंगोत्री ब्रिज भी टूट गया. इस घटना में 200 से भी अधिक परिवार प्रभावित हुए और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान की तलाश में अपने घरों से पलायन करना पड़ा.
2013: केदारनाथ में बाढ़
17 जून, 2013 में केदारनाथ में अचानक हुई मूसलाधार बारिश के कारण इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई. इसी बीच उत्तरकाशी में बादल फटने से केदारनाथ में जल स्तर और तेजी से बढ़ा. कई जगहों पर भारी बारिश के कारण भूस्खलन भी हुआ. इस घटना में सैंकड़ों घर उजड़ गए. इस घटना में सबसे ज्यादा तबाही चार धामों में से एक केदारनाथ मंदिर में देखने को मिली. इस घटना में केदारनाथ मंदिर भी क्षतिग्रस्त हुआ था. केदारनाथ धाम यात्रा के लिए प्रमुख पड़ाव माना जाने वाला रामबाड़ा मलबे में तब्दील हो गया. इस घटना में दस हजार से भी ज्यादा लोग मारे गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए.
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