अब किस सिंहासन पर बैठेंगी महारानी, क्या वसुंधरा राजनीति से लेंगी सन्यास?

Vasundhara Raje: भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा को केंद्र में कोई बड़ी भूमिका दे सकता है. राजस्थान की राजनीति में सक्रिय होने से पहले राजे विदेश राज्य मंत्री थीं.

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 13, 2023, 11:12 AM IST
  • वसुंधरा राजे नहीं बनीं सीएम
  • अब केंद्र में मिल सकता है बड़ा पद
अब किस सिंहासन पर बैठेंगी महारानी, क्या वसुंधरा राजनीति से लेंगी सन्यास?

नई दिल्ली: Vasundhara Raje: राजस्थान में नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो गया है. राजस्थान भाजपा के सभी कद्दावर नेताओं को किनारे कर पार्टी ने सांगानेर से पहली बार जीते विधायक भजनलाल शर्मा को सीएम बनाया है. भजनलाल के नाम का प्रस्ताव पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने रखा. नए सीएम की घोषणा के बाद से ही वसुंधरा के सियासी भविष्य की अटकलें लगने लगी हैं. अब महारानी को बैठने के लिए केंद्र में सिंहासन मिलेगा या वे सन्यास लेंगी, यह राजस्थान की राजनीति में आज के दिन सबसे बड़ा सवाल है. 

केंद्र में मिल सकता है बड़ा पद
भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व वसुंधरा को केंद्र में कोई बड़ी भूमिका दे सकता है. राजस्थान की राजनीति में सक्रिय होने से पहले राजे विदेश राज्य मंत्री थीं. 2013 के बाद भी राज्य को रक्षा मंत्री के पद का ऑफर मिला था, लेकिन राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं और उन्होंने इस ऑफर को स्वीकार नहीं किया.

संगठन में बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को संगठन में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. मुमकिन है कि पार्टी उन्हें प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बना दे. यदि ऐसा नहीं होता है तो उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर राजे को पार्टी में बड़ा पद मिल सकता है. वसुंधरा राजे फिलहाल भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं.

बेटे को किया जा सकता है एडजेस्ट
वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह झालावाड़ से सांसद हैं. वे लगातार साल 2004 से सांसद हैं. आज तक वे एक भी चुनाव नहीं हारे हैं. साल 2014 में जब दुष्यंत को केंद्रीय मंत्रिमडल में जगह नहीं मिली, तब राजे नाराज भी हुई थीं. मुमकिन है कि अब राजे को आश्वासन दिया गया हो कि उनके बेटे को केंद्रीय मंत्रिमडल में एडजस्ट किया जा सकता है. 

ले सकती हैं सन्यास
पूर्व सीएम वसुंधरा राजे किताबें पढ़ने की शौकीन हैं. माना जा रहा है कि राजे सक्रिय राजनीति से दूर होकर कोई ऐसा पद नहीं लेंगी जो सीधे तौर पर राजनीतिक न हो. मसलन, राजे राज्यपाल का पद लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाएंगी. ऐसे में राज्य सक्रिय राजनीति से दूर होकर सन्यास भी ले सकती हैं. 

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