नई दिल्ली. अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की आधिकारिक रूप से उम्मीदवार बन गई हैं. हैरिस ने इस पर खुशी जताई है और कहा है कि बस 95 दिन और. इस बीच हैरिस के समर्थन में उनके बहनोई और वकील टोनी वेस्ट भी आ चुके हैं. टोनी वेस्ट कमला की बहन माया हैरिस के पति हैं. टोनी तब अमेरिका में खूब सुर्खियों में थे जब उन्होंने 'अमेरिकी तालिबानी' जॉन वॉकर लिंध का समर्थन किया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टोनी वेस्ट अब कमला हैरिस के चुनाव प्रचार में अहम भूमिका अदा करने जा रहे हैं.
टोनी इससे पहले ओबामा प्रशासन में भी काम कर चुके हैं. टोनी वेस्ट ने अमेरिकी तालिबानी जॉन वॉकर की सजा कम कराने के लिए केस लड़ा था. वॉकर पर अमेरिकी कानून के मुताबिक कई गंभीर आरोप लगे थे. तब टोनी वेस्ट ने जॉर्ज बुश प्रशासन से वॉकर की सजा कम कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी थी. उस वक्त वाशिंगटन पोस्ट से हुई बातचीत में टोनी वेस्ट ने जॉन वॉकर का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि वॉकर केवल 21 साल का है और वह कोई आतंकी नहीं है.
वाइस प्रेसिडेंट पद के लिए इंटरव्यू ले रहीं हैरिस
इस बीच यह भी खबर है कि कमला हैरिस आगामी चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार की औपचारिक घोषणा से पहले इस सप्ताहांत छह संभावित प्रत्याशियों का साक्षात्कार ले रही हैं और अगले सप्ताह अपने सहयोगी के साथ चुनावी दौरे पर जाएंगी. इस लिस्ट में केंटकी के गवर्नर एंडी बेशर, इलिनोइस के जे बी प्रिट्जकर, पेंसिल्वेनिया के जोश शापिरो और मिनेसोटा के टिम वाल्ज के साथ-साथ एरिजोना के सीनेटर मार्क केली और परिवहन मंत्री पीट बटिगिएग शामिल हैं. इंटरव्यू के दौरान शापिरो और केली का पलड़ा भारी नजर आ रहा है.
प्रत्याशी बनने के बाद हैरिस ने क्या कहा
आधिकारिक रूप से डेमोक्रेटिक प्रत्याशी बनने के बाद हैरिस ने कहा-मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार बनने पर सम्मानित महसूस कर रही हूं. मैं अगले सप्ताह आधिकारिक तौर पर नामांकन स्वीकार करूंगी. मैं सभी दोस्तों और डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी को धन्यवाद देना चाहती हूं. आपके भविष्य के राष्ट्रपति के रूप में मुझे पता है कि हम इस लड़ाई के लिए तैयार हैं. इस लड़ाई को जब हम लड़ेंगे तो हर कोई एक ही स्वर में कहेगा कि हम जीतेंगे. आप सभी का धन्यवाद. मैं शिकागो में आपसे मिलने का और इंतजार नहीं कर सकती. हम सबके सामने यह सवाल है कि हम किस तरह के देश में रहना चाहते हैं? क्या हम स्वतंत्रता, करुणा और कानून के शासन वाले देश में रहना चाहते हैं या फिर अराजकता, भय और घृणा वाले देश में रहना चाहते हैं.
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