नई दिल्लीः प्रसिद्ध देश भक्ति गीत ऐ मेरे वतन के लोगों... में एक खास पंक्ति आती है. कोई सिख, कोई जाट-मराठा, कोई गोरखा, कोई मद्रासी. सरहद पर मरने वाला हर वीर था भारतवासी. गीत की यह पंक्ति जहां भारत की एकता को बयान करती है वहीं राज्य के नाम के साथ वहां के निवासियों की पहचान भी सामने रखती है.


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सिख यानी पंजाब, जाट का अर्थ हरियाणा से है. मराठा लोग महाराष्ट्र प्रांत को दर्शाते हैं, गोरखा असम के लोग और मद्रासी मद्रास के रहने वाले लोग. 


कहां हैं मद्रास और मद्रासी?
लेकिन आज मद्रास और मद्रासी कहां हैं? इस सवाल का जवाब इतना कठिन नहीं है, क्योंकि 24 फरवरी के इतिहास में यह दर्ज है कि आज ही के दिन साल 1961 में मद्रास की सरकार ने राज्य का नाम बदलकर तमिलनाडु करने का फैसला किया था.


इसलिए मद्रासी कहीं चले नहीं गए, बल्कि तमिलनाडु नाम से उसी राज्य और जगह में फल फूल रहे हैं. 


बॉम्बे का नाम किया गया था मुंबई
दरअसल, भारत की आजादी के बाद से ही नाम बदलने का सिलसिला शुरू हो गया था. अंग्रेजों और मुगलों ने अपने-अपने हिसाब से नाम बदले थे. जैसे मराठी लोग बहुत प्राचीन काल से मुंबा देवी की पूजा किया करते थे और उनके स्थान को मुंबा आई कहा करते थे.



अंग्रेजों को इसकी समझ थी नहीं तो उन्होंने बाम्बे और बम्बई कहा. जब इसे उन्होंने राजधानी बनाया तो नाम बॉम्बे रख दिया. आजादी के बाद इसका नाम मुंबई ही किया गया जो कि देवी के स्थान से बना है. 


चेन्नई का नाम था चेन्नापट्टिनम
ठीक ऐसी ही कहानी मद्रास के नाम की भी है. दरअसल मद्रास पहले एक शहर था. शहर से भी पहले यह महज जमीन का एक टुकड़ा था, जिसे अंग्रेजों ने खरीदा था.


व्यापार के नाम पर आए अंग्रेजों (ईस्ट इंडिया कंपनी) ने रहने और बिजनेस करने के लिए यह जमीन स्थानीय जमींदार से ली थी. जमींदार साहब का नाम था चिन्नप्पा नाइकर. इसी आधार पर स्थानीय लोग इसे चेन्नापट्टिनम कहा करते थे. चेन्नापट्टिनम यानी कि चेन्ना का स्थान. 


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मद्रास के नाम की कहानी
यह कोई 1639 का दौर रहा होगा, जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां जमीन खरीदी और रहने लगे थे. तब उन्होंने यहां मद्रास पोर्ट और फोर्ट सेंट जॉर्ज (जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी की प्रशासनिक सीट कहते हैं) और सेंट मेरीज चर्च बनाए. अंग्रेजों के इस स्थान को मद्रास बोलने के पीछे की वजह थी मदर मेरी.



मद्रास शब्द पुर्तगाली शब्द का बिगड़ा स्वरूप है. पुर्तगाली में एक फ्रेज है ‘Madre de Deus' इसका अर्थ है मदर ऑफ गॉड. यही आगे चलकर मद्रास कहलाने लगा. 


संस्कृत का एक शब्द भी है मद्रास
हालांकि विद्वानों का एक धड़ा इसे पूरी तरह सही नहीं मानता है. दरअसल संस्कृत-तमिल भाषा का एक शब्द भी मद्राक्ष है, जिसका अर्थ है मधुर रस या मदिर रस. हालांकि 16वीं शताब्दी में यहां अंग्रेजी-पुर्तगाली प्रभाव देखने लगे थे. अंग्रेजों के इस सौदे की मूल बिक्री प्रति और राशि का उल्लेख मद्रास (तमिलनाडु) के सरकारी अभिलेखागार एग्मोर में मौजूद है.



स्थानीय लोग इस शहर को चेन्नई पट्टिनम (तमिल में पट्टिनम का अर्थ है बंदरगाह का शहर) कहते थे. ब्रिटिश इसे मद्रास ही कहते थे. मद्रास पूरे दक्षिण की राजधानी बना और इसे मद्रास प्रेसीडेंसी के रूप में जाना गया. 


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चेन्नई नाम ऐसे पड़ा
यहीं से एक जमीन का टुकड़ा पहले एक शहर बना और आगे चलकर एक पूरा राज्य बन गया. चेन्नापट्टिनम का जो स्थल था वही चेन्नई कहलाया. चेन्नई तेलुगू भाषा का शब्द है. इस नाम का मूल विजयनगर साम्राज्य से निकलता है.



विजयनगर साम्राज्य के राजा जब वेंकट तृतीय हुए तब उनके सेना नायक थे चेन्नाप्पा नायककुडु. उनकी वीरता और दयालुता दक्षिण में गायी जाती थी. बाद में वह तेलुगू शासक दमारला चेन्नाप्पा कहलाए. यही नाम चेन्नई शहर का आधार बना. 


इसलिए बदला गया नाम
आजादी के बाद जब कई शहरों के नाम बदले गए तो स्थानीय आधार, विशेषता और समुदाय के आधार पर नए नामकरण किए गए. तमिलवासियों के कारण मद्रास तमिलनाडु कहलाया. क्योंकि मद्रास नाम पुर्तगाली था और अंग्रेजों के जरिए दिया गया था. इसके अलावा यह सभी राज्य के निवासियों के लिए प्रतिनिधि के तौर पर सटीक नहीं था. इसलिए इसका नाम बदला गया. 


एक बात और, जब पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद का नाम प्रयागराज और मध्य प्रदेश में होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम कर दिया गया है, तो यह तथ्य बताता है कि नाम बदलने का सिलसिला आज का नहीं, बल्कि आजादी के बाद से ही जारी है. 


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