नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के CM शिवराज सिंह चौहान अपने पड़ोसी प्रदेश के CM योगी आदित्यनाथ की राह पर चल पड़े हैं. शिवराज ने नर्मदा तट पर बसे शहर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम कर दिया है. सीएम का यह फैसला BJP की उसी विचारधारा का अगला कदम है, जिसके तहत विदेशी आक्रांताओं के नाम पर बसे शहरों के नाम बदले जा रहे हैं.
सीएम ने शुक्रवार को मां नर्मदा तट पर पूजा की और कहा कि मां नर्मदा के तटों पर बसे नगरों का विकास प्राकृतिक रूप से किया जाएगा, वहां हम सीमेंट कंक्रीट के जंगल नहीं बनने देंगे.
मां नर्मदा के तटों पर बसे नगरों का विकास प्राकृतिक रूप से किया जाएगा, वहां हम सीमेंट कंक्रीट के जंगल नहीं बनने देंगे।
होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम् के नाम से जाना जायेगा।#NarmadaJayanti के अवसर पर मैया की पूजा-अर्चना कर सबके कल्याण के लिए प्रार्थना की।https://t.co/QoPATnjByS https://t.co/L9Otq9wNVr pic.twitter.com/kUEyWpQrEF
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) February 19, 2021
14वीं शताब्दी में होशंग शाह ने रखी थी होशंगाबाद की नींव
होशंगाबाद की स्थापना मालवा(मांडू) के द्वितीय सुल्तान होशंग शाह गोरी ने पंद्रहवीं शताब्दी के आरंभ में की थी. उन्हीं के नाम पर इस शहर का नाम होशंगाबाद पड़ा था. नर्मदा नदी के तट पर बसे होशंगाबाद सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला में बसा मध्यप्रदेश का प्रमुख पर्यटन शहर है.
सतपुड़ा की रानी के नाम से प्रसिद्ध पंचमढ़ी जाने के लिए सबसे करीब रेलवे स्टेशन है, जो कि भोपाल-इटारसी ट्रैक पर स्थित है और राजधानी भोपाल से 70 किमी की दूरी पर स्थित है.
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कौन था होशंग शाह
इतिहास के पन्ने पलटने पर जानकारी मिलती है होशंग शाह होशंग शाह को अल्प खां के नाम से भी जाना जाता है. सुल्तान बनने के बाद अल्प खां ने होशंह शाह की पदवी ली. अल्प खान के वालिद दिलावर खान गोरी दिल्ली के सुल्तान फिरोजशाह तुगल के दरबारी थे.
दिलावर खान को फिरोज तुगलक ने मालवा का गवर्नर नियुक्त किया था, लेकिन 1401 में दिलावर खान ने बगावत करके खुद को दिल्ली सल्तनत से अलग कर लिया और खुद को मालवा का सुल्तान घोषित कर दिया. 1401 में उन्होंने मालवा के सुल्तान के रूप में मांडू से अपना शासन शुरू किया. इसके बाद सत्ता की कमान उनके बेटे होशंग शाह ने संभाली और आगे चलकर सुल्तान बना.
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साल 2008 से कर रहे थे नाम बदलने की कोशिश
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम रखे जाने के बारे में कहा, मैं साल 2008 से ही इसका नाम बदलना चाहता था लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी थी.
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