मुंबई: BMC बृहनमुंबई नगर पालिका यानी देश की सबसे अमीर नगर पालिका, जिसका इस साल का बजट 33,441 करोड़ रुपये है. मुंबई की सड़कें गड्ढा मुक्त हों ये जिम्मेदारी भी BMC की ही है. सीमेंट और डामर की सड़कें बनाने के लिए  BMC का बजट 1600 करोड़ रुपये का है.


हजारों करोड़ के बजट का हिसाब दो BMC!


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मुंबई वालों से जरा पूछ कर देखिए सड़कों में गड्ढे हैं या गड्ढों में सड़क है. हर कोई इसका बखूबी जवाब दे देगा. एक रिकॉर्ड भी BMC के नाम है. मुंबई को हर साल बारिश और बाढ़ में डुबोने का रिकॉर्ड..


- कोई पूछे BMC से क्या सड़क पर गड्ढे भरने में भी ऐसी ही फुर्ती दिखाती है जैसी कंगना रनौत का दफ्तर तोड़ने में दिखाई? 
- क्या मुंबई के अवैध निर्माण तोड़ने भी बुल्डोजर लेकर ऐसा ही निकलती है जैसे कंगना का दफ्तर तोड़ा? 
- BMC बताए कि क्यों बार बार मुबंई में जर्जर इमारतों के गिरने की खबर आती है? 
- क्यों BMC हादसों को रोकने में नाकाम रहती है?


लेकिन BMC को तो सरकार के हुक्म की तामील करनी थी, लिहाजा उठाकर बुल्डोजर और हथौड़े कंगना के दफ्तर पर चला दिए. जब किसी के सपनों पर हथौड़ा चलता है, तो उसे कैसा महसूस होता है ये कंगना को देखकर और सुनकर पूरे देश ने अंदाजा लगा लिया है.


एक आंकड़ पढ़िए और समझिए कि BMC के पास ना तो बजट की कोई कमी है ना संसाधनों की.


2020-21 के लिए नागालैंड का बजट 21,068 करोड़ रुपये है


गोवा का वार्षिक बजट 21,056 करोड़ रुपये है


सिक्किम का बजट 9100 करोड़ रुपये है


त्रिपुरा का सालाना बजट 19,891 करोड़ रुपये है 


यानी अकेले एक नगर पालिका का बजट देश के इन राज्यों से बड़ा है, लेकिन फिर भी मुंबईकर मुसीबत में खड़ा है. बारिश आती है तो समंदर और मुंबई की सड़कों का फर्क खत्म हो जाता है. हर साल मुबंई की बेबसी की तस्वीर दिखाई देती है.


सवाल BMC से पूछा जाना चाहिए कि उन हजारों करोड़ के बजट का होता क्या है? क्यों हर साल मुंबई डूब जाती है. क्यों सीवर लाइनें चोक हो जाती हैं और क्यों मुंबईकरों को गड्ढे वाली सड़कों पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ता है.


जब हाई कोर्ट ने BMC को लगाई थी फटकार


मुंबई में 600 से ज्यादा इमारतें खतरनाक और खराब हालात में हैं. ये सूची खुद BMC ने तैयार की थी, लेकिन BMC किसी इमारत के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाई. 1992 में मुंबई की 4 हज़ार अवैध इमारतों की सूची बनाई गई थी. लेकिन BMC हिम्मत नहीं जुटा पाई और 2017 तक सिर्फ 27 इमारतों पर कार्रवाई हुई. 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने फुटपाथ पर अतिक्रमण ना हटा पाने के लिए BMC को फटकार लगाई थी.


पिछले साल जुलाई के महीने में मुंबई में अवैध इमारत गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई थी. कोई पूछे BMC से कि ये अवैध निर्माण उसे दिखाई क्यों नहीं दिया और कंगना का दफ्तर में तोड़फोड़ करने में कितनी तत्परता दिखाई.


यकीन मानिए BMC हथौड़ा और बुलडोज़र लेकर शहर में निकल जाए तो पता नहीं कितने अवैध निर्माण और कितनी इमारतें गिरानी पड़ेंगी. लेकिन इस BMC का दोहराचरित्र किसी से छिपा नहीं है.


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इसलिए ZEE मीडिया डंके की चोट पर BMC से सवाल पूछ रहा है कि क्या राजनीतिक आदेशों पर BMC ने बदले की कार्रवाई की? क्या BMC वचन दे सकती है कि जैसे उसने कंगना का दफ्तर तोड़ने में तेजी दिखाई है वैसी ही फुर्ती वो हर अवैध निर्माण तोड़ने में दिखाएगी?


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