भारत ने भेजी नार्थ कोरिया को दस लाख डॉलर की मेडिकल हेल्प
ये किस तरह की भारतीय विदेश नीति है, बात समझ से परे है. जो अमेरिका चीन के खिलाफ भारत के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा है, भारत उसके दुश्मन को भेजी है बड़ी मेडिकल हेल्प..
नई दिल्ली. काफी गहरी समझदारी नज़र आती है भारत के इस कदम में. लेकिन ये अजीब सी बात है. भारत के साथ नार्थ कोरिया का कोई लेना-देना अब तक नहीं था. नार्थ कोरिया का दुश्मन साउथ कोरिया भारत के साथ मित्रता निभाता है. अब उसके ही दुश्मन की मदद की क्या तुक है वह भी ये जानते हुए कि नार्थ कोरिया चीन का खास दोस्त है?
दस लाख की टीबी की दवा भेजी
दुनिया ने कोरोना वायरस महामारी के दौर में भारत का मानवीय चेहरा देखा है. कई देशों को भारत ने बिना किसी उम्मीद के मेडिकल हेल्प भेजी है. अब भारत ने नॉर्थ कोरिया को भी मेडिकल हेल्प भेज दी है. दुनिया के राष्ट्रों के लिये यह अप्रत्याशित समाचार है कि भारत ने दुनिया के तानाशाह नंबर दो के नार्थ कोरिया को भेजी है दस लाख डॉलर की टीबी की दवा मानवीय सहायता के रूप में.
डब्ल्यूएचओ ने की थी सिफारिश
भारत वैसे भी दुनिया की मदद करता है और ऐसे में अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुरोध करके किसी विशेष देश के लिए भारत को मेडिकल हेल्प भेजने को कहे तो भारत कैसे इंकार करता. डब्ल्यूएचओ ने नार्थ कोरिया की मदद के लिए भारत से कहा तो भारत ने बिना किसी हीले-हवाले के हां कर दी.
चीन को कमजोर करने की नीति
भारत की यह चीन के करीबी दोस्त के मन में मित्रता का भाव पैदा करके चीन की दुश्मनी की ताकत को कम करने और चीन को कमजोर करने की नीति भी हो सकती है. किन्तु यहां दो बातें गौर करनी होंगी - भारत के सामरिक मित्र अमेरिका की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी और दूसरी बात ये कि उत्तर कोरिया इसे भारत की चाल समझ कर चीन के हाथ को कस कर पकड़े रखेगा तो ये भारत के दस लाख डॉलर्स का सीधा नुकसान है. वैसे ये भारत की एक तीर से दो शिकार की नीति भी हो सकती है.
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