वोडाफोन आइडिया पर अस्तित्व का संकट गहराया
मामला है तिरपन हज़ार करोड़ को और ये वो रकम है जो आइडिया-वोडाफोन को भारत सरकार को देनी है ..अगर ये दोनों कंपनियां पैसा न दे सकीं तो उसका नुकसान करोड़ों टेलीफोन उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है..,
नई दिल्ली. भारत में अमरीका -ईरान जैसी ही गरमा-गरमी चल रही है टेलीफोन सेवा प्रदाता कंपनियों के बीच भी. लगता है कि अब ये टेलीकॉम वार अपने अंजाम पर पहुंचने वाला है. देश के सबसे बड़े टेलीफोन नेटवर्क जिओ से बेइंतेहां नाराज़ आइडिया और वोडाफोन कंपनियां अस्तित्व बचाने के लिये जूझती नजर आ रही हैं. इन कंपनियों के वजूद पर कोई अप्रत्याशित संकट आया तो उस स्थिति में देश के करोड़ों उपभोक्ता प्रभावित हो सकते हैं.
देने हैं 53 हज़ार करोड़ रुपये
इन दोनो कंपनियों की वजह से टेलीकॉम सेक्टर इस बड़ी मुसीबत की चपेट में है. वोडाफोन और आइडिया के लिए अस्तित्व बचाने की घड़ी आ गई है. सरकार को चुकाने वाली ये रकम कोई मामूली रकम नहीं है जो कोई कम्पनी आसानी से चुका सके. लेकिन ये रकम चुकानी है टेलीफोन सेवा देने वाली दो कंपनियों आइडिया और वोडाफोन को. इन कंपनियों की बात मानें तो इनके पास सरकार को चुकाने के लिए इतने पैसे नहीं हैं.
मांगी है सरकार से मदद
सरकार को देने के लिए वोडाफोन और आइडिया को 53 हज़ार करोड़ रुपये चाहिए जिसका इन्तज़ाम करने में में ये दोनों कंपनियां नाकाम नज़र आ रही हैं. ऐसी हालत में इनकी कई जगहों से पैसे जुटाने की कोशिश चल रही है. इन कंपनियों ने सरकार से भी इस मामले में मदद की गुजारिश की है.
बीच का रास्ता नज़र नहीं आ रहा
दोनों कंपनियों के कानूनी प्रतिनिधि पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हालात बद से बदतर न हों. न केवल पैसा जुटाने की व्यवस्था की जा रही है बल्कि साथ ही पैसा न चुका पाने की हालत में ये दोनों कंपनियां दम न तोड़ दें - इस पर भी बचाव की कोशिश चल रही है. इन कंपनियों को उम्मीद है कि सरकार से मदद मिलेगी और कोई बीच का रास्ता निकल सकेगा.
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