नई दिल्लीः मानव सभ्यता की शुरुआत के साथ ही आसमान में नजर आने वाले खगोलीय पिंडों में दिलचस्पी रही है. गहन शोध, लगातार खोजबीन और एक लंबे अनुसंधान के पीछे उद्देश्य रहा है कि ग्रह प्रणाली में क्या कोई ऐसी जगह भी है जहां हमारी ही तरह जीवन रच-बस रहा है? इसके उत्तर में हमेशा मंगल की सतह और धरती का उपग्रह चंद्रमा पहली नजर में सामने रहे हैं, अब सामने आया है कि चांद पर पानी भी है. 


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सोफिया ने की है पानी की खोज
जानकारी के मुताबिक, NASA ने धरती से इतर जीवन की खोज के जवाब में चांद पर पानी पाए जाने की पुष्टि की है. NASA ने पहली बार यह माना है कि चांद पर पर्याप्त रूप से पानी है. माना जा रहा है कि चांद की सतह पर मौजूद पानी की खोज भविष्य के मून मिशन के लिए वरदान साबित होगी.


इस पानी की खोज NASA की स्ट्रेटोस्फियर ऑब्जरवेटरी फॉर इंफ्रारेड एस्ट्रोनॉमी (सोफिया) ने की है. चंद्रमा की सतह पर यह पानी सूरज की किरणें पड़ने वाले इलाके में खोजी गई है. 



NASA के मुताबिक सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित,पृथ्वी से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (H2O) का पता लगाया है. पहले के हुए अध्ययनों में चंद्रमा की सतह पर हाइड्रोजन के कुछ रूप का पता चला था, लेकिन पानी और करीबी रिश्तेदार माने जाने वाले हाइड्रॉक्सिल (OH) की खोज नहीं हो सकी थी.


नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक की रिपोर्ट
सोफिया ने चंद्रमा के दक्षिणी गोलार्ध स्थित और धरती से दिखाई देने वाले सबसे बड़े गड्ढों में से एक क्लेवियस क्रेटर में पानी के अणुओं (एच2ओ) का पता लगाया है.



नासा के मुताबिक चांद की सतह के पिछले परीक्षणों  के दौरान हाइड्रोजन के अवयव मौजूद होने का खुलासा हुआ था लेकिन तब हम हाईड्रोजन और पानी के निर्माण के लिए जरूरी अवयव हाइड्रॉक्सिल (OH) की गुत्थी नहीं सुलझा पाए थे. लेकिन ताजा शोध में पानी मौजूद होने की पुष्टि हो चुकी है. एजेंसी ने अपनी खोज के नतीजे नेचर एस्ट्रोनॉमी के नवीनतम अंक में प्रकाशित किए गए हैं.


बहुत ही कम मात्रा में मौजद है पानी
नेचर एस्ट्रोनॉमी के ताजा अंक में प्रकाशित अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार, इस स्थान के डेटा से 100 से 412 पार्ट प्रति मिलियन की सांद्रता में पानी का पता चला है. अगर इस पानी की तुलना की जाए तो उसकी मात्रा अफ्रीका के सहारा रेगिस्तान में मौजूद पानी की तुलना में 100 गुना कम है.



छोटी मात्रा के बावजूद यह खोज नए सवाल उठाती है कि चंद्रमा की सतह पर पानी कैसे बनता है. इससे भी बड़ा सवाल कि यह चंद्रमा के कठोर और वायुमंडलहीन वातावरण में यह कैसे बना रहता है.


नासा का मानव मिशन 2024
पानी जीवन का एक महत्वपूर्ण घटक है. नासा अपने आर्टेमिस प्रोग्राम के जरिए चांद की सतह पर 2024 तक इंसानों को पहुंचाना चाहता है. इसके जरिए चांद की सतह पर मानव गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. वहीं चांद पर मौजूद इंसान उन क्षेत्रों का पता लगाएंगे जहां पहले कोई नहीं पहुंचा है या जो अब तक अछूते रहे हैं.


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