वाराणसीः देश भर में लगातार आ रहे भूकंपों के बीच एक राहत भरी खबर भी है. अब इस प्राकृतिक आपदा और भूगर्भीय हलचलों को समझने की क्षमता और बढ़ जाएगी. जब भूकंपीय सूक्ष्म सर्वेक्षण और वर्गीकरण में काशी भी शामिल हो जाएगा तो यह इस अध्ययन के प्रति एक नई सौगात की तरह होगा. जानकारी के मुताबिक, भूकंपीय माइक्रोजोनेशन (सूक्ष्‍म वर्गीकरण) अध्ययन के लिए चुने गए शहरों में वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, मेरठ और आगरा को भी शामिल किया गया है.


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मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस ने ट्वीट कर इस बारे में जानकारी दी है. बताया गया है कि वाराणसी समेत उत्तर प्रदेश के कई जिले शामिल हैं. मेरठ, आगरा, लखनऊ, कानपुर को प्रमुखता से रखा है. अन्य जिलों में धनबाद, अमृतसर और पटना भी इन शहरों में शामिल हैं. 2021 तक इस विषय में अध्ययन करने की योजना है. 



ऐसे होती है जांच
माइक्रोजोनिंग के दौरान संबंधित क्षेत्र में प्रति 200 से 500 मीटर की दूरी पर जमीन में छेद करके मिट्टी के नमूने एकत्र किए जाते हैं तथा उसकी वैज्ञानिक जांच के बाद तय किया जाता है कि वह स्थान कितना संवेदनशील हैं.



क्षेत्रीय आधार पर जमीनी स्थिति का अध्ययन इसलिए किया जाता है ताकि भूकंप के खतरे के बारे में समय से पूर्व आगाह किया जा सके.  भूकंपीय माइक्रोजोनेश अध्ययन में भूभौतिकीय, भूगर्भीय, भू-तकनीकी आदि की जांच होती है. 


2021 तक हो सकती है रिपोर्ट जारी
यह पूरी संरचना की डिजाइन और निर्माण के दौरान प्रासंगिक मापदंडों के उपयोग पर को मिलाते हुए संरचनाओं के प्रभाव को कम करने की जानकारी प्रदान करेगा. भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयम्बटूर, मंग्लूरू के लिए भूकंपीय माइक्रोज़ोनेशन 18 सितंबर से प्रारंभ किया गया था. इसकी जांच इस साल के अंत तक हो सकती है. इसी तरह अन्य शहरों की जांच 2021 तक पूरी कर भूकंपीय माइक्रोज़ोन रिपोर्ट जारी हो सकती है. 


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