रामपुर का खजानाः ऐसी थी नवाबी कि हामिद अली ने बनवाया था अलग रेलवे स्टेशन
नवाब के पास सिर्फ अपने बाग, शानदार हवेली और एकड़ों जमीन ही नहीं थी, बल्कि ऐशो आराम की हर एक वह उम्दा चीजें थीं जिनकी आम आदमी केवल कल्पना ही कर सकता है और कई बार वह भी. आखिर बताइए, तब के जमाने में किसने सोचा होगा कि अपनी खुद की रेल हो और खुद का रेलवे स्टेशन भी.. लेकिन हजरात, यह सब कुछ वाकई में था.
रामपुरः रामपुर के नवाब की नवाबी का अपना अलग ही रुतबा था. पिछले कई दशकों से इस नवाबियत और इसकी मिल्कियत पर जो जंग लगी थी वह बंटवारे के चलते हट रही है तो एक सुनहला इतिहास सामने आ रहा है. इसकी जितनी बात की जाए उतनी कम और सुनने वाले का मुंह खुला का खुला रह जाए.
नवाब के पास सिर्फ अपने बाग, शानदार हवेली और एकड़ों जमीन ही नहीं थी, बल्कि ऐशो आराम की हर एक वह उम्दा चीजें थीं जिनकी आम आदमी केवल कल्पना ही कर सकता है और कई बार वह भी. आखिर बताइए, तब के जमाने में किसने सोचा होगा कि अपनी खुद की रेल हो और खुद का रेलवे स्टेशन भी.. लेकिन हजरात, यह सब कुछ वाकई में था.
रुतबा ऐसा कि अलग स्टेशन बना लिया
रामपुर में सन् 1774 से 1949 तक नवाबों का राज हुआ करता था. रजा अली खां रामपुर के आखिरी नवाब थे. नवाबी दौर भले ही खत्म हो चुका है लेकिन, उस दौर में बनी ऐतिहासिक इमारतें आज भी बुलंदी से खड़ी हैं. आजादी से पहले रामपुर में नवाबों का अलग रुतबा था. उनका अपना रेलवे स्टेशन हुआ करता था, जहां हर समय दो बोगियां तैयार खड़ी रहतीं.
जब भी नवाब परिवार को दिल्ली, लखनऊ आदि जाना होता तो वह नवाब रेलवे स्टेशन पहुंच जाते. वहां से ट्रेन में उनकी बोगियां जोड़ दी जाती थीं. संपत्ति विवाद के चलते नवाब स्टेशन खंडहर बन गया है और बोगियों को जंग लग गई है.
नौवें नवाब हामिद अली खां ने बनवाया था
रामपुर में रेलवे स्टेशन के पास एक बुलंद इमारत है. वक्त की खरोंचो को साफ किया जाए तो इसके पीछे एक सुनहला इतिहास नजर आता है. यह इतिहास हमें रामपुर के नवाब हामिद अली खां के दौर में ले जाता है. इस इमारत को नवाब का स्टेशन के नाम से जाना जाता है.
रामपुर के नौवें नवाब हामिद अली खां के दौर में जब जिले से रेलवे लाइन गुजरी तो उन्होंने रेलवे स्टेशन के करीब ही अपने लिए अलग स्टेशन बनवाया था. दिल्ली या लखनऊ जाते समय नवाब परिवार अपने महल से सीधे नवाब स्टेशन जाते और यहां से अपनी बोगियों में बैठ जाते थे. इसके लिए 40 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन बिछाई गई थी.
रामपुर का खजानाः नवाबों की नवाबियत की गवाह है कोठी खासबाग, जानिए खासियत
जंग खा रही हैं बोगियां
रामपुर स्टेशन पर ट्रेन आने पर उनकी बोगियां उसमें जोड़ दी जाती थीं. आजादी के बाद भी नवाब अपनी बोगियों में सफर करते रहे लेकिन, बाद में सरकारी नियमों के चलते इस पर रोक लग गई. इसके बाद नवाब परिवारों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद हो गया. देखरेख न होने से इसकी चमक फीकी पड़ने लगी.
हालत यह है कि कभी शाही अंदाज में सजी रहने वाली इन बोगियों में आज जंग लगी है. बोगियों के सभी दरवाजे और खिड़कियां बंद कर दिए गए हैं. बोगी के दरवाजों पर ताले जड़े हुए हैं. इसी तरह नवाब स्टेशन भी खंडहर बन चुका है. यहां अब साइकिल स्टैंड बना दिया गया है.
रामपुर का खजानाः क्या 7 मार्च को खुल पाएगा नवाब का स्ट्रान्ग रूम
आज खुल सकता है स्ट्रॉन्ग रूम
नवाबों की बेशकीमती दौलत कोठी खासबाग में बने स्ट्रॉन्ग रूम में रखी हुई है. ऐसा दावा है कि यहां हीरे-जवाहरात, सोने-चांदी, जड़ाऊ हथियार और ताज रखे हुए हैं. इस लॉकर को चब कंपनी ने बनाया था. संपत्ति बंटवारे को लेकर इसे खोलने की कई कोशिश हो चुकी हैं, लेकिन सफलता नहीं मिली है. आज (7 मार्च) को एक बार फिर लॉकर काटने की कवायद की जाएगी.