नई दिल्लीः बात नवाबियत की हो तो कहने ही क्या. और इसी नवाबियत के चलते आजकल रामपुर मशहूर हो रहा है. आजादी के भी 200 साल पहले से जगमग रही रामपुर रियासत आज भले ही अंधेर में है, लेकिन यह केवल वक्त की धूल भर है. इसे जरा भी कुरेदा जाता है तो नूर ही नूर फैल जाता है.
रामपुर कि रियासत और उसके आखिरी नवाब रहे रजा अली खान की सारी मिल्कीयत और उनके खजाने का बंटवारा हो रहा है. नवाब खानदान का यह खजाना अरबों में है और इसे 16 भागों में बांटा जाना है. इन संपत्तियों में सबसे खास हैं नवाबों की बनाई कोठियां.. इन पर डालते हैं एक नजर
बेहद खास है कोठी खासबाग
रामपुर रियासत में बनी कोठी खासबाग दूर से ही अपनी बनावट के जरिए लोगों का ध्यान खींच लेती है. खासबाग नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वाकई में यह एक बाग है जहां कई पेड़ों-पौधों की खास प्रजातियां हैं. इससे नवाब हामिद अली खां की खासियत पता चलती है कि वह हरियाली के बेहद शौकीन थे.
1930 में जब उन्होंने इस बाग और कोठी का निर्माण कराया तो लोगों की जुबान में ही यह खासबाग वाली कोठी के नाम से चढ़ गई. बाग-बगीचे तो हैं हीं यहां, कोठी की बनावट भी कुछ कम नहीं है. इसकी शैली देखते हुए आंखें फटी की फटी रह जाती हैं.
ऐसी है कोठी खासबाग
कोठी खासबाग और किला नवाबों की शान रहा है. अकेली कोठी खासबाग का एरिया 450 एकड़ का है. आज यह रामपुर में सिविल लाइंस क्षेत्र में है. इसमें ढाई सौ कमरे और सिनेमा हाल समेत कई बड़े हाल हैं. कोसी नदी किनारे बनी इस कोठी के चारों ओर बाग हैं, जिसमें एक लाख से ज्यादा पेड़ लगे हैं. यूरोपीय इस्लामी शैली में बनी इस कोठी में नवाब का आफिस, सेंट्रल हाल, सिनेमा हाल व संगीत हाल भी बना है.
सेंट्रल हाल में बेशकीमती पेंटिंग लगी हैं. कोठी के मुख्य द्वार पर गुंबद बने हैं, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाते रहे हैं. इसकी सीढ़ियां इटेलियन संगमरमर से बनी हैं. इसके बड़े-बड़े हाल बर्माटीक और बेल्जियम ग्लास के झूमरों से सजाए गए हैं.
सबसे खास बात, तबके जमाने की पहली सेंट्रलाइज्ड एसी वाली कोठी
इस कोठी को सबसे बड़ा गौरव हासिल है कि यह पहली सेंट्रलाइज्ड एसी वाली कोठी है. जानकार बताते हैं कि कोठी में बर्फखाना बनाया गया था, जिसमें एक लोहे के फ्रेम में बर्फ की सिल्ली रखी जाती थीं. इनके पास में दो मीटर से भी बड़े साइज के पंखे लगे थे. 150 हार्सपावर की बिजली मोटर से यह पंखे तेज हवा फेंकते थे.
यह हवा बर्फ की सिल्लियों से होकर कोठी के कमरों में जाती थी. कमरों तक हवा पहुंचाने के लिए पूरी कोठी के नीचे 2*2 फीट की पक्की नाली बनी थी. इस सेंट्रल नाली से कमरों के लिए छोटी-छोटी नालियां बनाई गईं. इन नालियों के मुंह पर फ्रेम लगाए गए, इनसे जरूरत के मुताबिक ही हवा निकलती थी. इस सिस्टम की देखरेख के लिए इंजीनियरों की पूरी टीम थी. हालांकि कई सालों से कोठी बंद है तो ऐसे में यह पूरा तामझाम अब जंग खा गया है.
... तो 16 हिस्सों में बंटने जा रहा है रामपुर के नवाब का अरबों का खजाना