Independence Day 2024: जब गुमनाम हीरोज की बॉलीवुड सितारों ने दिलाई याद, दर्शकों ने किरदारों को दिया भरपूर दिया प्यार

Independence Day 2024: भारत को अंग्रेजो से आजादी दिलाने के लिए कई वीर सपूतों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं.  15 अगस्त को उन्हीं शहीदों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि देता हैं. आज हम आपको उन हीरोज के बारे में बता रहे हैं, जिनके बारे में बारे में लोगों को फिल्मों से जानकारी मिली.

नई दिल्ली:Independence Day 2024: स्वतंत्रता दिवस के पर्व पर हम उन शहीदों और क्रांतिकारियों को याद करते हैं, जिन्होंने आजादी के लिए अपनी जान बलिदान कर दी थी. अंग्रेजों के खिलाफ उन्होंने आजादी की जो जंग लड़ी, वो कहानियां आज भी आंखे नम कर देती हैं.

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खेलें हम जी जान में अभिषेक बच्चन के साथ दीपिका पादुकोण का किरदार भी अहम था. उन्होंने कल्पना दत्ता का किरदार निभाया था. 27 जुलाई 1913 में जन्मीं कल्पना दत्ता भी सूर्या सेन के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन कार्यकर्ता थीं.  उन्होंने बाद में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को ज्वाइन कर लिया था.

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3 दिसंबर 2010 में रिलीज हुई आशुतोष गोवारिकर की फिल्म 'खेलें हम जी जान से' एक ऐतिहासिक एक्शन फिल्म थी. फिल्म में अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण नेलीड रोल में थे.  इस मूवी में अभिषेक बच्चन ने सूर्य सेन का किरदार निभाया था. पेशे से एक स्कूल टीचर रहें सूर्य सेन भारतीय क्रांतिकारी भी थे और क्रांतकारियों के साथ मिलकर भारत की आजादी के लिए उन्होंने बहुत काम किया है.  

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सारा अली खान ने भी उनकी अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हुई फिल्म 'ए वतन मेरे वतन' में एक अहम किरदार निभाया है. ये किरदार उषा मेहता का है, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. 'भारत छोड़ो आंदोलन' के तहत वह खुफिया कांग्रेस रेडियो चलाने की वजह से काफी मशहूर हुई थीं.  

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रानी लक्ष्मीबाई के बारे में तो हम सब जानते हैं, लेकिन उनके नियमति सेना में शामिल झलकारी बाई के बारे में लोगों को कंगना रनौत की फिल्म 'मणिकर्णिका' से पता चला था.  ब्रिटिश सेना के विरुद्ध सन 1857 के युद्ध में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.  वह रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थीं, इस वजह से कई बार वह रानी के वेश में युद्ध करती थीं.

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14 अगस्त साल 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'गौर हरी दास्तान' ओडिशा के स्वतंत्रता सेनानी की बायोपिक फिल्म है. गौर ने खुद की देशभक्ति को साबित करने के लिए अपनी ही सरकार के खिलाफ 32 साल जंग की थी. उनकी इस कहानी को विनय पाठक ने फिल्म के जरिए दुनिया तक पहुंचाया था.