Gulshan Kumar Murder Case: कुछ ऐसे करार हो जाते हैं, जिनके कारण अदालतें भी किसी आरोपी को सख्त सजा नहीं दे पाती. ऐसा ही T-सीरीज शुरू करने वाले गुलशन कुमार के साथ हुआ, जिनकी हत्या हुई और कराने वाले या तो फरार हैं और या फिर जेल में है, लेकिन किसी कारण फांसी नहीं दी जा सकी.
T-Series, Gulshan Kumar Murder Case: गुलशन कुमार, T-सीरीज के साथ 1997 में अपने पीक पर थे, जभी उनकी हत्या कर दी गई है. हत्या कराने वाले में मुख्य नाम अबु सालेम का था, लेकिन उसको किसी कारण इस मामले में सजा हो ही नहीं सकी. आइए जानते हैं कि कैसे अंडरवर्ल्ड डॉन हत्या कराने के बावजूद इस केस से अलग रहा?
Tips और Saregama को पीछे छोड़ T-सीरीज ने मुंबई में अपनी पकड़ बना ली थी. बाजार का 65 फीसद तक कब्जा हो गया था. अब ऐसे में अंडरवर्ल्ड के निशाने पर मालिक गुलशन कुमार आ चुके थे. वहीं, आपसी लड़ाई भी उनकी हत्या का कारण रहा, जहां उनकी हत्या की सुपारी तक दी गई थी, लेकिन मामला यहां ज्यादा बिगड़ा कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेक के फोन को गंभीरता से नहीं लिया.
अबु सलेक उनको फोन करता था और उनसे 10 करोड़ की मांग की गई थी. हालांकि, गुलशन कुमार ने इसकी जानकारी पुलिस को नहीं दी और इससे सलेक को लगा कि वे उसकी बात को हल्के में ले रहे हैं और ना ही पैसे दे रहे हैं.
गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 में हुई थी, जब वे मंगलवार को शिव मंदिर जा रहे थे. जीतनगर में ये मंदिर था, जहां पहले से ही तीन लोग मौजूद थे, जो गुलशन की हत्या के लिए आए थे. 10 बजकर 40 मिनट पर गुलशन पूजा करके अपनी गाड़ी की तरफ जा ही रहे होते हैं कि इतने में उनकी कनपट्टी पर रिवाल्वर रख दी जाती है और कुल 16 गोलियां उनकी पीठ और गर्दन पर लगती हैं.
10 करोड़ की मांग के बाद 12 अगस्त को हत्या से पहले अबु सलेक ने 9 अगस्त को एक बार फिर गुलशन कुमार को फोन किया था और पैसा देने की मांग दोहराई थी. सलेम ने तब कहा था कि तुमने अभी तक पुलिस को नहीं बताया, इसका मतलब तुम इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हो, आगे जो भी होगा उसकी जिम्मेदारी तुम्हारी खुद होगी.
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन ने तब बताया था कि इस हत्या में सलेम का हाथ है. ये सब दाऊद के इशारे पर हुआ. आखिरा फैसला इस केस में 2021 में आया था और अदालत ने तमाम सबूतों और हमलावरों व अन्य आरोपियों के आधार पर कहा था कि नदीम सैफी और अबु सलेम के कहने पर हत्या को अंजाम दिया गया था. लेकिन क्यों इन्हें अब तक फांसी नहीं हुई? फांसी दूर की बात है इनपर ये केस ही नहीं चला
नदीम सैफी को मुंबई छोड़कर लंदन भाग गया. उसके प्रत्यर्पण की कोशिश की गई. लेकिन ब्रिटिश अदालत ने उसके खिलाफ पेश किए साक्ष्यों को अपर्याप्त मानते हुए प्रत्यर्पण से मना कर दिया. बाद में नदीम ने ब्रिटिश नागरिकता ले ली और कभी भारत नहीं लौटा. लेकिन जहां तक अबु सलेम की बात है तो उसे 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया.
हालांकि, अबु सलेम पर भी नहीं आरोप तय नहीं हो पाए. इसके पीछे कारण पुर्तगाल और भारत के बीच हुई समझौते की शर्तें थीं. इस समझौते के तहत अबु सलेम पर सिर्फ वो ही केस चल सकते थे जिन पर सहमति बनी हो और इस लिस्ट में गुलशन कुमार की हत्या का केस नहीं था. ये ही कारण रहा कि 2005 के बाद केस की सुनवाई के दौरान अबु सलेम को हमेश कार्यवाही में एब्सेंट माना गया, जबकि वह कुछ दूर आर्थर रोड जेल में बंद था. और आज भी है. उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई है.