Hathras के बहाने CM योगी पर फिर से जातिवादियों का प्रहार
योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने जब से उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सत्ता संभाली है, तब से उन पर जातिवादियों का प्रहार जारी है. उन्हें अलग-अलग समुदायों का विरोधी बताकर संकीर्ण जातिवादी साबित करने की कोशिश की जा रही है. हिंदुत्व के योद्धा के खिलाफ ये कुत्सित प्रयास लगातार जारी है.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM yogi) की छवि धूमिल करने का प्रयास लगातार जारी है. इसके पीछे पूरी तरह रणनीति बनाकर काम किया जा रहा है. उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक के घटनाक्रम को गौर से देखें तो यह बात स्पष्ट हो जाती है.
योगी को दलित विरोधी साबित करने की साजिश
हाथरस (Hathras) में हुई घटना इस बात की गवाह है कि कैसे योगी आदित्यनाथ के खिलाफ जातीय गोलबंदी करने की कोशिश की जा रही है. दलितों की आड़ में मजहबी कट्टरपंथी और संकीर्ण राजनीतिक दल समाज को बांटने की घटिया योजना पर काम कर रहे हैं.
राजनीति अपने चरम पर है. लेकिन हत्या का शिकार हुई मासूम लड़की का गुनहगार कौन है इस पर सिर्फ कयास लगाए जा रहे हैं. लेकिन उन्हें कयासों के आधार पर 4 गिरफ्तारियां हो चुकी है. दबी जुबान में ऑनर किलिंग का मामला भी बताया जा रहा है.
लेकिन सबसे बात यह है कि इस मुद्दे पर कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल जिस तरीके से बार बार आग भड़काने की साजिश रच रहे हैं. उसे देखकर लगता है इसके पीछे कुछ ना कुछ बड़ा राज जरुर है.
यह संकेत शक पैदा करते हैं-
- पीड़ित परिवार को कांग्रेस (Congress) की तरफ से पैसे का ऑफर
- परिजनों पर दबाव डालकर बार-बार उनका बयान बदलवाना
-CBI जांच, पॉलीग्राफी टेस्ट से पीड़ित पक्ष का इनकार
- कांग्रेस और दूसरे राजनीतिक दलों का लड़की की मौत के मुद्दे का राजनीतिकरण
- बलरामपुर और राजस्थान जैसे दूसरे मामलों पर ध्यान ना दे कर पूरी तरह सिर्फ और सिर्फ हाथरस पर फोकस
यह सभी बातें संदेह पैदा करती है.
प्रशासनिक लापरवाही से बिगड़ी बात
हालांकि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हाथरस मामले से निपटने में भारी प्रशासनिक लापरवाही हुई है. दंगे के डर से आनन-फानन में पीड़िता की लाश को जलाए जाने की घटना ने आक्रोश को जन्म दिया है. मृतक बच्ची बलात्कार की शिकार हुई या फिर क्रूरता पूर्वक उससे मारपीट की गई. उसकी मृत्यु का कारण क्या रहा इस पर स्पष्ट रुप से कोई प्रकाश नहीं डाला गया.
बाद में मामला बिगड़ने पर जब बड़े अधिकारी ने मामला हाथ में लिया. तब डैमेज कंट्रोल की कोशिश शुरु हुई. लेकिन तब तक तो डैमेज तो हो चुका है.
कांग्रेस इसे अंतरराष्ट्रीय पटल पर उठाने तक से चूक नहीं रही है. ऐसे में वास्तव में सीबीआई जांच में एक विकल्प बचता है, जो कि शायद हत्यारों को पकड़ने में कामयाब हो पाए.
लेकिन जांच का विषय ये भी है कि हाथरस मामले में दिखाई गई प्रशासनिक लापरवाही भी तो किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं है.
योगी की मुसलमान विरोधी छवि बनाने की कोशिश
योगी आदित्यनाथ के खिलाफ गोलबंदी का पहला प्रयास तब हुआ. जब उन्होंने यूपी में दंगा करने और सरकार की संपत्ति नष्ट करने के आरोपियों के खिलाफ कुर्की जब्ती का वारंट निकाल दिया. इसमें से ज्यादातर दिए और एनआरसी का विरोध करने वाले मुस्लिम प्रदर्शनकारी थे. फिर क्या था CM योगी के खिलाफ जमकर मुस्लिम विरोधी होने का प्रचार किया गया.
इसके बाद योगी जी की पुलिस ने अपराधियों के खिलाफ एनकाउंटर की मुहिम छेड़ी. आंकड़ों के मुताबिक मरने वाले अपराधियों में ज्यादा संख्या में मुसलमान थे. इसके अलावा यूपी के माफिया सरगनाओं अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी की अवैध संपत्तियों के खिलाफ मुहिम छेड़ी गई. इसके बाद योगी पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप और गहराता गया.
हालांकि योगी सरकार पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगाने वाले लोग भूल जाते हैं कि सबका साथ सबका विकास वाली इस सरकार में मुसलमानों का भविष्य भी उतना ही सुरक्षित है जिसमें दूसरे समुदायों का. मुख्यमंत्री योगी ने मुस्लिम बेटियों की शादी और मदरसों के आधुनिकीकरण की योजना चलाकर यह साबित भी कर दिया है.
योगी पर ब्राह्मण विरोधी बताने की भी मुहिम
यूपी में विपक्ष की संकीर्ण राजनीति के दौर में योगी के खिलाफ जातीय और धार्मिक गोल बंदी के तहत आरोपों की बौछार जारी रही. लेकिन भगवा पहनने वाले और हिंदू वोटों की राजनीति करने वाले एक बड़े पीठाधीश्वर पर मुस्लिम विरोधी होने का आरोप राजनीति में बहुत ज्यादा काम नहीं आ सकता था. क्योंकि योगी हिंदू वोटों के सहारे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे. जल्दी ही विपक्ष समझ गया कि योगी को मुस्लिम विरोधी साबित करने से काम नहीं चलेगा. क्योंकि इससे तो उल्टा हिंदुओं का ध्रुवीकरण हो रहा है. इसके बाद विरोधियों ने रणनीति बदल दी. अब योगी के खिलाफ हिंदुओं को भड़काने की मुहिम शुरू हुई. उसका एक ही रास्ता था धार्मिक आधार पर गोलबंद हिंदुओं को जातियों के आधार पर अलग अलग करना.
तभी उत्तर प्रदेश राजधानी लखनऊ में सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल विवेक तिवारी की हत्या हो गई. जिसका फायदा उठाकर योगी पर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप जड़ दिया जाता है. उसके कुछ महीनों बाद कानपुर के बड़े गैंगस्टर विकास दुबे मारा जाता है. कई पुलिसवालों के हत्यारे विकास दुबे की मौत पर भी योगी जी पर जमकर ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगाया गया.
बकायदा सोशल मीडिया पर कैंपेन चला अपराधी विकास दुबे का महिमामंडन और जनता के चुने हुए प्रतिनिधि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आरोपों की बौछार की गई.
संन्यासी की नहीं होती जाति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अति प्रतिष्ठित गोरक्ष पीठ के अधीश्वर हैं. उन्होंने बाल्यकाल से ही संन्यास ग्रहण कर रखा है. संन्यासी की कोई जाति नहीं होती है. लेकिन उनके माता-पिता की जाति के आधार पर योगी को भी ठाकुरवादी साबित करने की कोशिश की जाती है.
लेकिन योगी आदित्यनाथ से परिचित लोग यह अच्छी तरह जानते हैं कि कई दशकों तक गोरख मठ के पीठाधीश्वर के तौर पर उन्होंने कभी जातिवादी भेद नहीं किया. उनके सहयोगियों में सुरक्षा में हर समुदाय यहां तक कि मुसलमान और दूसरे धर्मों के लोग भी शामिल रहे हैं.
लेकिन विपक्ष को सत्ता की राजनीति करनी है. कांग्रेस प्रियंका गांधी को यूपी के सीएम की कुर्सी दिलाने का दिवास्वप्न देख रहा है. जिसके लिए रह रहकर साजिश की जा रही है.
इसलिए इस बार विपक्ष ने अपना ब्रह्मास्त्र निकाला है. CM योगी को मुसलमान विरोधी फिर ब्राह्मण विरोधी और अब दलित विरोधी साबित करने की कोशिश की जा रही है.
क्योंकि कांग्रेस और सपा जैसे दल जानते हैं कि जब तक हिंदुओं में एकजुटता रहेगी, उनकी फूट डालो और राज करो की नीति चलने वाली नहीं है. हिंदुओं को जातियों में तोड़कर मुस्लिम वोटों की मदद से ही उनकी कुर्सी हासिल करने की मंशा पूरी हो सकती है. भले ही इसके लिए दंगे, हिंसा और खून-खराबा कराना पड़े.
ये भी पढे़ं- हाथरस में ज़ी मीडिया ने किया साजिश का खुलासा
ये भी पढ़ें- दलितों के नाम पर हिंदू समाज पर निशाना
ये भी पढ़ें- दलितों के पीछे सक्रिय हैं मजहबी मुसलमान कट्टरपंथी संगठन
ये भी पढ़ें- हाथरस के बहाने पूरे यूपी में दंगा भड़काने की साजिश
देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप. जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा. नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-
Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN
iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234