दलितों के हितैषी बनकर हिंसा की प्लानिंग

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सियासी गणित लगाने वालों ने फूट का नया अध्याय शुरू किया है, जिसका नाम 'दलित विरोधी' है और कुछ सियासतदान दलित हितैषी बन रहे हैं..

Written by - Umesh Gupta | Last Updated : Oct 6, 2020, 08:38 AM IST
  • यूपी में दलितों को कौन भड़का रहा है?
  • राजनीति चमकाने के लिए बड़ी साजिश
  • फूट डालो राज करो नीति का प्रयोग
दलितों के हितैषी बनकर हिंसा की प्लानिंग

लखनऊ: हाथरस की बेटी को इंसाफ जरूर मिलना चाहिए. लेकिन उन चेहरों का भी पर्दाफाश होना जरूरी है, जिन्होंने हाथरस के नाम पर साजिश रची. हाथरस को सियासत का अड्डा बनाने वाले नेताओं की करनी सबके सामने है, लेकिन इस बीच इंसाफ की आवाज दब गई. जबकि यूपी सरकार सीबीआई जांच और नारको टेस्ट कराने के लिए भी कह चुकी है. आखिर वो लोग कौन हैं, जो इस मुद्दे को तब तक सुलगाना चाहते थे. जब तक कि हिंसा की आग ना जल जाए.

सियासी दलों और नेताओं का तमाशा

16 दिन तक पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए ना कोई राजनेता आगे आया. ना किसी पार्टी ने प्रदर्शन किया. जब हाथरस की बेटी अस्पताल में तड़प रही थी. तब कोई उससे मिलने तक नहीं गया. जब वो इस दुनिया को छोड़कर जा चुकी है, तब सियासी तमाशा हो रहा है. गांववालों का सब्र अब टूट चुका है. तभी तो पीड़िता के घर पहुंचे आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह की नेतागीरी पर कालिख पोत दी गई.

अगर एक एक कड़ी को जोड़ा जाए, तो सियासी तमाशे के पीछे घिनौनी साजिश का पर्दाफाश हो जाता है. यूपी पुलिस ने ऐसा ही किया. कडियां जोड़ीं तो सामने वो साजिश आई. जिसके तार विदेश से भी जुड़े हैं. इस्लामिक कट्टरपंथ के दलित मुखौटे की आड़ में पूरी साजिश को बुना.

साजिश में PFI, SDPI की मिलीभगत

हाथरस को सुलगाने की जो साजिश सामने आई है.. उसके बारे में यूपी पुलिस का कहना है, साजिश में PFI, SDPI, यूपी के माफिया की मिलीभगत है. जानबूझकर पीड़ित लड़की से जुड़ी कई अफवाह फैलाई गई. दंगा भड़काने के लिए 'फोटोशॉप' का इस्तेमाल किया गया है. चंडीगढ़ के मामले की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है. अभी तक के जांच में कुछ ऑडियो टेप भी मिले हैं, ऑडियो टेप में नेता और कुछ कथित पत्रकारों की आवाज़ मिली है. ऑडियो टेप फॉरेंसिक जांच के भेजा गया है. पीड़ित परिवार को भड़काने के लिए बड़ी फंडिंग का लालच दिया गया. पीड़ित परिवार को 50 लाख से 1 करोड़ का लालच दिए जाने की बात सामने आई है.

यानी एक तरफ दंगे के लिए हंगामा करके जमीन तैयार की जा रही थी. दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर बीजेपी सरकार के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा था. इसके अलावा दलित विरोधी समाज बताकर दंगे उकसाने की कोशिश की गई. यहां तक कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का फर्जी बयान भी वायरल किया गया.

दलितों को भड़काकर नफरत फैलाने का मंसूबा

हांलाकि जिस वेबसाइट के जरिए पूरा खेल चल रहा था. वो अब बंद करा दी गई है, लेकिन उसका कुछ कंटेंट पोस्ट यूपी पुलिस ने जांच के लिए रख लिया है. जिसे देखकर लगता है. वेबसाइट को बेहद जल्दबाजी में तैयार किया था. जिसका मकसद यूपी में जातीय दंगों की साजिश करा दुनिया में मोदी और योगी की छवि ख़राब करना भी था. इसके लिए वेबसाइट में फ़र्ज़ी आईडी से हजारों लोग जोड़े गए थे.

यूपी पुलिस की जांच में ये तब सामने आया. एक तरफ सोशल मीडिया मदद के बहाने दंगों के लिए फंडिंग की जा रही थी. दूसरी तरफ हिंसा फैलाने के लिए न सिर्फ वेबसाइट बनाई गई थी, बल्कि उसमें किस तरह से हमले करने हैं, इसकी भी जानकारी दी गई थी. इसमें मास्क लगाकर ही हमला करने और प्रशासनिक अधिकारियों को प्रदर्शन के दौरान निशाना बनाने की बात कही गई थी.

हाथरस में सियासी ड्रामा अभी भी जारी है, जबकि जांच सीबीआई को सौंपी जा चुकी है. उधर प्रशासनिक अधिकारी पीड़ित परिवार से मिलकर उसे सांत्वना दे रहे हैं. बावजूद इसके मामले को दलित विरोधी रंग दिया जा रहा है. लेकिन इस साजिश का पर्दाफाश होने से वो मंसूबा पूरा नहीं हो पाएगा. जिसमें हाथरस के बहाने यूपी में आग लगाने की तैयारी थी.

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