नई दिल्ली: सिर्फ एक दिन की बात है, ये साफ हो जाएगा कि मध्य प्रदेश में एक कमल के मुर्झाने की घड़ी आ गई है या फिर दूसरे कमल के खिलने का मौका आ गया है. 16 मार्च की वो तारीख तय हो गई है जब कमलनाथ की अगुवाई वाली कांग्रेस सरकार को बहुमत साबित करके दिखाना है. कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे के बाद से ही अल्पमत में आई कमलनाथ सरकार पर खतरे की तलवार लटकी हुई थी.


भाजपा ने विधायकों को जारी किया व्हिप


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मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने एक व्हिप जारी कर अपने विधायकों को कल विधानसभा में उपस्थित होने और बीजेपी को वोट देने के लिए कहा है.



पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को राज्यपाल से मिल कर फ्लोर टेस्ट करवाने की मांग की थी. इसके बाद, 14 मार्च की आधी रात को मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने सीएम कमलनाथ को पत्र लिखकर 16 मार्च को बजट सत्र के पहले ही दिन फ्लोर टेस्ट करने को कहा है.


दम दिखाने को तैयार हैं 'मामा'


मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि "राज्यपाल को हमने ज्ञापन दिया है कि कमलनाथ सरकार 22 विधायकों के इस्तीफे के कारण बहुमत खो चुकी है. अल्पमत की सरकार है ये, इसलिए तुरंत फ्लोर टेस्ट कराया जाए, विश्वास-मत प्राप्त किया जाए." फ्लोर टेस्ट को लेकर भेजे गए राज्यपाल के पत्र में 5 बड़ी बातें लिखी हुई हैं.


राज्यपाल के पत्र की 5 बड़ी बातें


1). पत्र में लिखा गया कि 16 मार्च को सुबह 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होगा जिसमें राज्यपाल का अभिभाषण होगा
2). अभिभाषण के बाद विधानसभा में एकमात्र काम फ्लोर टेस्ट यानी विश्वास-मत हासिल करने का होगा
3). विश्वासमत का फैसला बटन दबाकर होगा, किसी और तरीके से नहीं 
4). 16 मार्च को विधानसभा की कार्यवाही किसी भी सूरत में न निलंबित होगी, न स्थगित होगी और न विलंबित होगी
5). सोमवार को सदन की कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी


फ्लोर टेस्ट के तौर-तरीकों को लेकर दिए गए राज्यपाल के आदेश पर कांग्रेस ने आपत्ति जाहिर की है और कहा है कि ये अधिकार विधानसभा के स्पीकर का होता है. कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी ने कहा है कि "फ्लोर टेस्ट विधानसभा के अध्यक्ष तय करते हैं. राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट को लेकर निर्देशित किया है लेकिन इसके लिए संवैधानिक अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास है. जिस प्रकार से बातें कही गई हैं वो मुझे नहीं लगता है कि संवैधानिक दायरे में आती हैं."


कांग्रेस ने भी अपने विधायकों को जारी किया व्हिप


इस बीच, कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों के लिए व्हिप जारी कर उन्हें बजट सत्र के दौरान सदन में मौजूद रहने का आदेश दिया है. उधर, जयपुर के जिन दो रिजॉर्ट में कांग्रेस ने अपने बचे-खुचे विधायकों को रोक कर रखा था, उन्हें भोपाल बुला लिया है. सुबह-सुबह ही जयपुर के रिजॉर्ट से विधायक एयरपोर्ट पहुंचे और जहां उन्हें भोपाल लाने के लिए स्पेशल फ्लाइट का इंतजाम था. कांग्रेस फ्लोर टेस्ट से पहले उन विधायकों को भोपाल लाने की मांग कर रही है, जो बेंगलुरु के रिजॉर्ट में रह रहे हैं और इस्तीफा दे चुके हैं.


कुछ विधायक ज्योतिरादित्य सिंधिया कैंप के हैं जो पिछले दिनों कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी ने इन विधायकों को बेंगलुरु के रिजॉर्ट में बंधक बनाकर रखा है जिन्हें छोड़ा जाए. इस बाबत सीएम कमलनाथ ने राज्यपाल को भी पत्र दिया है और साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी चिट्ठी भेजी है.


सिंधिया खेमे के 22 विधायकों का इस्तीफा


मध्य प्रदेश में विधायकों की कुल संख्या 230 है लेकिन अभी दो सीटें खाली हैं इसलिए विधानसभा की स्ट्रेंथ 228 विधायकों की है. अब इन 228 में से सिंधिया खेमे के 22 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया है. इन 22 विधायकों के इस्तीफे होने के बाद एसेंबली की स्ट्रेंथ 206 हो गई है. ऐसे में बहुमत के लिए 104 विधायकों की जरूरत होगी. 


भाजपा को फायदा होना लगभग तय


जब मैजिक नंबर 104 का हो जाएगा तो बीजेपी के लिए बहुमत साबित करना आसान हो जाएगा क्योंकि उसके पास 107 विधायक हो जाएंगे जबकि कांग्रेस के पाले में 99 ही बचेंगे. इनमें कांग्रेस के अपने 92, बीएसपी के 2, समाजवादी पार्टी के एक और 4 निर्दलीय विधायक शामिल हैं. भले ही कांग्रेस के 22 बागी विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा के स्पीकर एनपी प्रजापति ने सिर्फ 6 विधायकों का ही इस्तीफा अभी मंजूर किया है. 16 विधायकों की सदस्यता पर अभी तक उन्होंने फैसला नहीं लिया है.


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ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस फ्लोर टेस्ट टलवाने और बागी विधायकों को बेंगलुरु से भोपाल लाने की जुगत में जुटी है. इसके लिए कानूनी सलाह भी ली जा रही है और जरूरत पड़ने पर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जा सकता है. अब देखना होगा कि क्या फ्लोर टेस्ट टलवाकर कमलनाथ अपनी सरकार बचा पाएंगे या फिर मध्य प्रदेश की सरकार बस कुछ घंटे की मेहमान रह गई है?


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