एक कहावत है कि "धनुष से निकला बाण और मुख से निकली बात फिर वापस नहीं होती.." कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ अक्सर ऐसा हो जाता है. कभी-कभी तो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की जुबान से ऐसी बात निकल जाती है, जिससे उसकी अज्ञानता जगजाहिर हो जाती है. एक बार फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने ये साबित किया कि उनके होम वर्क की कमी के चलते उनका अल्पज्ञान सबके सामने आ चुका है. दरअसल, इतने बड़े नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को कानून (Act) और बिल (Bill) में फर्क नहीं पता है. ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि वो खुद इस बात पर मुहर लगा रहे हैं.


राहुल गांधी के अज्ञानता का एक और सबूत


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आपको पूरा माजरा तफसील से समझाते हैं. दरअसल, कृषि कानून के खिलाफ विपक्ष के 5 नेताओं ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कृषि कानून को वापस लेने की मांग की. लेकिन राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद विपक्ष के नेताओं का डेलिगेशन बाहर आया और इस दौरान राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मीडिया को संबोधित किया. लेकिन राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयान से उनकी अज्ञानता झलक गई. इस बात में संशय होने लगा कि राहुल गांधी को क्या ये मालूम नहीं है कि कानून और बिल में क्या अंतर होता है? या फिर राहुल गांधी को देश के संविधान पर भरोसा नहीं है, क्योंकि वो एक कानून को बार-बार बिल कहकर संबोधित कर रहे थे.



दरअसल, राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने अपने संबोधन में कहा कि "जो किसान हैं, उसने इस देश की नींव रखी है और वो दिन रात इस देश के लिए काम करता है. ये जो बिल पास किया गया है. प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि जो बिल किसानों के हित के लिए है. सवाल उठता है कि ये बिल किसानों के हित में है तो किसान सड़कों पर क्यों खड़ा है. किसान इतना गुस्सा क्यों है? क्योंकि इन बिलों का लक्ष्य प्रधानमंत्री जी के मित्रों को हिन्दुस्तान का ये जो एग्रीकल्चर सिस्टम है वो पकड़ाने का है. और किसान इस बात को बहुत अच्छी तरह समझ गया है. किसान की शक्ति के सामने कोई नहीं खड़ा हो सकता है. सरकार के गलतफहमी में नहीं होना चाहिए. सरकार को ये नहीं सोचना चाहिए कि किसान हट जाएंगे, डर जाएगे. हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं और हटेगा नहीं, जबतक ये बिल रद्द नहीं करते."



राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की आखिरी वाली पंक्ति गौर करने वाली है कि 'हिंदुस्तान का किसान डरेगा नहीं और हटेगा नहीं, जबतक ये बिल रद्द नहीं करते..' राहुल गांधी को कृषि कानून और कृषि बिल में अंतर नहीं पता. तभी तो वो बिल रद्द करने की मांग कर रहे है, जबकि देश के अन्नदाता भी इसे कानून बता रहे हैं मतलब कि किसानों को भी बिल और कानून में फर्क मालूम है, लेकिन राहुल बाबा...


राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बयान को सुनकर हर कोई इस बात में उलझ जाएगा कि हमारे देश के अन्नदाता कृषि कानून का विरोध कर रहे हैं या फिर कृषि बिल का..? निश्चित तौर पर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 'ये' गलती कर फिर से अपना मजाक बना दिया है. या फिर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) इस कृषि कानून को कानून मानना ही नहीं चाहते हैं, तभी तो उन्हें अभी तक ये बिल पास होने के बाद भी बिल ही समझ आ रहा है.


राहुल जी.. बिल और कानून में फर्क समझिए


ऐसा लग रहा है कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बिल (Bill) और कानून (Act) में कोई अंतर समझ नहीं आता है. जिसके चलते उनकी जुबान एक बार फिर फिसल गई. इस लिए ज़ी हिन्दुस्तान ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को बिल और कानून में फर्क समझाने का फैसला किया. क्योंकि देश के इतने बड़े नेता को कम से कम कानून और बिल में अंतर तो मालूम होना ही चाहिए.


बिल और कानून में अंतर


जब देश की संसद या राज्य की विधानसभा में किसी नियम के लिए प्रस्ताव रखते हैं या फिर किसी विषय को प्रस्तावित करते हैं, तो उसे विधेयक या फिर बिल कहकर पुकारा जाता है. लेकिन जब संसद या विधानसभा में इस विषय पर सर्वसम्मति (सर्वाधित मतों) से पास कर दिया जाता है और उसे पारित कर दिया जाता है तो विधेयक (बिल) को अधिनियम (कानून) का दर्जा प्राप्त हो जाता है. राहुल गांधी जिस बिल की बात कर रहे हैं, वो अब बिल नहीं है वो तीनों कानून हैं, लेकिन राहुल गांधी को शायद ये बात समझ नहीं आई. अब आपको बिल (विधेयक) और कानून (अधिनियम) के बारे में विस्तार से जानकारी दे देते हैं. हो सकता है कि इस जानकारी को समझने के बाद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को इसके बीच का फर्क समझ आ जाए.


क्या होता है विधेयक (Bill)?


किसी भी विधेयक को संसद या फिर राज्य के विधानसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है. चर्चा के बाद उसपर वोटिंग की जाती है. गौर करने वाली बात ये है कि सभी विधेयक (Bill) पेश होने के बाद कानून (अधिनियम) नहीं बनते हैं. उसे सदन में खारिज भी किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए विपक्ष के पास जरूरी नंबर होने चाहिए. विधेयक (Bill) को किसी भी कानून का प्रारंभिक चरण माना जाता है. ये सिर्फ कानून बनाने का एक प्रस्ताव होता है. इसे पहले निचले सदन में पेश किया जाता है और वहां से पास होने के बाद इसे उच्च सदन में पेश किया जाता है. दोनों सदनों से पारित होने के बाद उसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. राष्ट्रपति जब मुहर लगा देते हैं, तब जाकर ये कानून में तब्दील हो जाता है.


आपको बता दें, कृषि कानूनों को भी ऐसे ही पारित किया गया था. पहले कृषि बिल को लोकसभा (निचले सदन) में पेश किया गया. जहां से वो पास हो गया, इसके बाद इस बिल को राज्यसभा (उच्च सदन) में पेश किया गया. यहां भी ये बिल ध्वनि मत से पास हो गया. और फिर राष्ट्रपति ने इस कानून को लागू करने की मंजूरी दे दी.


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क्या होता है कानून (Act)?


आम तौर पर कानून शब्द का मतलब नियमों के पालन से है. कानून को अधिनियम, अध्यादेश, आदेश, उपनियम, नियम, विनियमन के रूप में जाना जाता है. कानून के ये सभी रूप होते हैं. सदन से पारित होने से पहले तक कानून को बिल कहा जाता है.


यहां समझने वाली बात है कि कानून का स्वरूप बिल से बिल्कुल अलग होता है. कानून शब्द में ही आदेश या अधिकार छिपा है. लेकिन राहुल बाबा को ये बात शायद समझ नहीं आती है या फिर ये कहें कि वो इसे समझना ही नहीं चाहते हैं. तभी तो राहुल गांधी ने अपनी नासमझी का एक और सबूत पेश कर दिया. जिसके बाद ये सवाल खड़ा होता है कि क्या बिल और कानून में फर्क नहीं मालूम है?



ये तस्वीर उस विपक्ष के नेताओं और राष्ट्रपति के बीच हुई मुलाकात की है. विपक्षी नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल जिसमें शरद पवार, राहुल गांधी, डी. राजा, सीताराम येचुरी और टी. के. एस. इलांगोवन ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से मुलाकात की और एक ज्ञापन सौंपा.


ऐसा पहली बार नहीं हुई है, जब राहुल गांधी की जुबान फिस गई हो और उनकी अज्ञानता सबके सामने आ गई हो. इससे पहले कई दफा उन्होंने अपनी जुबान के चलते अपना मजाक उड़वाया है. एक बार तो संसद में उन्होंने ये तक कह दिया था कि 'आपके लिए मैं पप्पू हूं.' इतना ही नहीं राहुल ने संसद में एक बार ये भी स्वीकार कर लिया था कि 'हां मैं गलतियां करता हूं.' राहुल गांधी की सिर्फ जुबान ही नहीं फिसलती बल्कि उन्होंने संसद आंख भी मारी है.



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