नई दिल्ली: श्रीलंका (Sri Lanka) की संसद ने रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) को देश का नया राष्ट्रपति निर्वाचित किया. श्रीलंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कोलंबो में श्रीलंकाई संसद को संबोधित किया.
श्रीलंका के नए राष्ट्रपति ने दिया ये संदेश
रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चुने गए. इसके बाद उन्होंने कहा कि 'देश बहुत मुश्किल स्थिति में है, हमारे सामने बड़ी चुनौतियां हैं.'
Sri Lanka's newly appointed President Ranil Wickremesinghe addresses the Sri Lankan Parliament in Colombo; says the country is in a very difficult situation, we have big challenges ahead: Reuters pic.twitter.com/MP6Is0RGy3
— ANI (@ANI) July 20, 2022
बुधवार को संसद में हुई वोटिंग
श्रीलंका में नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए बुधवार को मतदान सुबह दस बजे शुरू हुई. राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला तीन उम्मीदवारों के बीच था. देश में अब तक के सबसे भीषण आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी के बाद लोग सड़कों पर उतर आए और राजनीतिक उथल पुथल तथा देश में फैले अराजकता के माहौल के बीच गोटबाया राजपक्षे ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच राष्ट्रपति चुनाव गुप्त मतदान के जरिए हुआ. कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को मंगलवार को सांसदों ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों के रूप में प्रस्तावित किया था.
क्या है श्रीलंका का फॉर्मूला
किसी भी उम्मीदवार को चुनाव जीतने के लिए देश की 225 सदस्यीय संसद में 113 से अधिक मत हासिल करना होता है. दो सदस्यों की गैर मौजूदगी में 223 वोट पड़े. जिनमें 4 वोट इनवैलिड हो गए. रानिल विक्रमसिंघे 134 मतों के साथ श्रीलंका के 8वें कार्यकारी अध्यक्ष चुने गए. दुल्लास अल्हाप्पेरुमा को 82 वोट अनुरा कुमारा दिसानायके को 3 वोट मिले.
विक्रमसिंघे (73) का मुकाबला 63 वर्षीय अल्हाप्पेरुमा और जेवीपी के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके (53) से था. अल्हाप्पेरुमा सिंहली बौद्ध राष्ट्रवादी हैं और एसएलपीपी से अलग हुए धड़े के प्रमुख सदस्य हैं.
श्रीलंका में 1978 के बाद से पहली बार राष्ट्रपति का चुनाव सांसदों द्वारा गुप्त मतदान के जरिए हुआ. इससे पहले 1993 में कार्यकाल के बीच में ही राष्ट्रपति का पद तब खाली हुआ था, जब तत्कालीन राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा की हत्या कर दी गई थी. उस वक्त डी बी विजेतुंगा को संसद ने सर्वसम्मति से प्रेमदासा का कार्यकाल पूरा करने का जिम्मा सौंपा था.
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