Indian Cricket Team: दुनिया भर की क्रिकेट टीमों की बात करें तो पिछले दो दशक में भारतीय क्रिकेट में तेजी से विकास देखने को मिला है. पिछले दो दशक के अंदर भारत में एक नहीं बल्कि कई मैच विनर खिलाड़ी देखने को मिले हैं, कुछ ने भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की कर ली है तो कुछ खिलाड़ी सिर्फ कुछ वक्त के लिये ही खेलते नजर आये. मौजूदा समय में भारतीय क्रिकेट का बेंच स्ट्रेंथ इतना मजबूत है कि वो एक दिन में 3 अंतर्राष्ट्रीय टीमें अलग-अलग विपक्षी टीमों के सामने खेलने के लिये उतार सकता है.
क्रिकेट में किसी भी खिलाड़ी के लिये टीम में जगह बनाने से उस ज्यादा को बरकरार रखना मुश्किल होता है. आप घरेलू स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर टीम में जगह तो बना लेते हैं लेकिन उस पर बने रहना काफी मुश्किल होता है. इसके लिये आपको निरंतरता बनाये रखना काफी जरूरी होता है. हालांकि कई बार इन खिलाड़ियों को किस्मत और चयनकर्ताओं का भी साथ चाहिये होता है. आज हम आपको ऐसे 3 भारतीय खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका करियर चयनकर्ताओं की वजह से समय से पहले खत्म हो गया है और अब इनका भारतीय टीम में वापसी करने का सपना लगभग टूट चुका है.
सौरभ तिवारी (Saurabh Tiwary)
इस लिस्ट में पहला नाम सौरभ तिवारी का है जो कि 2008 की अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. झारखंड बिहार से आने वाले इस खिलाड़ी का डील डौल काफी हद तक महेंद्र सिंह धोनी से मिलता था, जो कि न सिर्फ देखने बल्कि शॉट लगाने में भी उन्ही की तरह नजर आता था. बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने अपने करियर के शुरुआती दिनों में धोनी से मेल खाती अपनी शैली और घरेलू क्रिकेट में बहुत सारे रन बनाने के चलते 2010 में भारत के लिये डेब्यू किया. कई लोगों का मानना था कि उन्हें सिर्फ धोनी से मिलता जुलता होने की वजह से ही मौका मिला था, लेकिन सिर्फ 3 वनडे मैच खेलने के बाद बाहर कर दिया गया. इसके बाद चयनकर्ता सौरभ तिवारी को ऐसा भूले जैसे कि नेता चुनाव के बाद अपने वादे.
अंबाती रायडू (Ambati Rayudu)
चयनकर्ताओं की अनदेखी का शिकार होने वाले भारतीय खिलाड़ियों में दूसरा नाम अंबाती रायडू का है जो कि भारत के लिये मध्यक्रम के बहुत शानदार बल्लेबाज बनकर उभरे थे. युवराज सिंह के बाद भारतीय क्रिकेट टीम में चौथे नंबर के बल्लेबाज की लगातार कमी महसूस हो रही थी. 2019 विश्वकप से पहले इसी को पूरा करने के लिये भारतीय टीम मैनेजमेंट ने अंबाती रायडू पर दांव लगाना शुरू किया और वो कुछ ही मैचों में भारत के नियमित खिलाड़ी बन गये. हालांकि विश्वकप से ठीक पहले जब एक सीरीज में उनसे रन नहीं बने तो चयनकर्ताओं ने उन्हें टीम से बाहर कर विजय शंकर को उनकी जगह शामिल किया.
चयनकर्ताओं की अनदेखी से नाराज रायडू ने पहले संन्यास का ऐलान कर दिया लेकिन बाद में वापस ले लिया. हालांकि तबतक इस खिलाड़ी और चयनकर्ताओं के बीच की कड़वाहट सबके सामने आ चुकी थी और फिर इस खिलाड़ी को दोबारा मौका नहीं मिल सका. रायडू ने भारत की ओर से 55 वनडे मैचों में 47 की औसत से 1694 रन और 6 टी20 मैचों में 42 रन बनाये थे.
करुण नायर (Karun Nair)
इस फेहरिस्त में तीसरा नाम करुण नायर का है जो टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिये तिहरा शतक जड़ने वाले दूसरे खिलाड़ी बने थे. कर्नाटक के लिये घरेलू क्रिकेट खेलने वाले इस बैटर ने साल 2016 में अपना डेब्यू किया था और नवंबर 2016 में ही टेस्ट डेब्यू करते हुए तिहरा शतक लगाया. उन्होंने इस मैच में नाबाद 303 रन बनाये थे लेकिन इसके बाद जब वो टीम से बाहर गये तो दोबार वापसी नहीं कर सके. क्रिकेट इतिहास में वो शायद इकलौते ऐसे खिलाड़ी होंगे जिसे तिहरा शतक लगाने के बाद टीम से बाहर किया गया और फिर वापसी नहीं हुई. करुण नायर ने भारत के लिये 6 टेस्ट मैच में 374 रन और 2 वनडे मैचों में 46 रन बनाये थे.
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