CWG 2022: 6 किलोमीटर पैदल स्कूल जाने वाले 'सैनिक' ने भारत को दिलाया सिल्वर मेडल

Commonwealth Games Avinash Sable: अविनाश साबले अपनी इस जीत से खुश नहीं होंगे क्योंकि एक समय इसी इवेंट को गोल्ड मेडल उनके हाथ में था लेकिन 0.05 सेंकड की वजह से उनका सपना चकनाचूर हो गया और अविनाश को सिल्वर से संतोष करना पड़ा. 

Written by - Adarsh Dixit | Last Updated : Aug 6, 2022, 06:22 PM IST
  • टोक्यो में बनाया था नेशनल रिकॉर्ड
  • 6 किमी पैदल जाना पड़ता था स्कूल
CWG 2022: 6 किलोमीटर पैदल स्कूल जाने वाले 'सैनिक' ने भारत को दिलाया सिल्वर मेडल

नई दिल्ली: Commonwealth Games Avinash Sable: 3 किलोमीटर की स्टीपल चेज इवेंट में भारत के अविनाश साबले ने इतिहास रच दिया. उन्होंने एथलेटिक्स में रजत पदक जीत कर अंग्रेजों की धरती पर भारत का तिंरगा लहरा दिया. हालांकि वे अपनी इस जीत से खुश नहीं होंगे क्योंकि एक समय इसी इवेंट को गोल्ड मेडल उनके हाथ में था लेकिन 0.05 सेंकड की वजह से उनका सपना चकनाचूर हो गया और अविनाश को सिल्वर से संतोष करना पड़ा. 

3000 मीटर यानी 3 किलोमीटर स्टीपलचेज में अविनाश 8:11.20 मिनट के पर्सनल बेस्ट समय के साथ दूसरे स्थान पर रहे और सिर्फ 0.05 सेकंड से स्वर्ण पदक चूक गए. केन्या के अब्राहम कीबीवोट ने 8:11.15 मिनट के समय के साथ स्वर्ण और केन्या के ही अमोस सेरेम ने 8:16.83 मिनट के समय के साथ कांस्य पदक जीता.

टोक्यो में बनाया था नेशनल रिकॉर्ड

3000मी स्टीपलचेज इवेंट में यह भारत का कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला पदक है. अविनाश ने पिछले साल टोक्यो ओलंपिक्स में भी हिस्सा लिया था और वहां नया नेशनल रिकॉर्ड बनाया था. बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में यह भारत का एथलेटिक्स में 13वां रजत और कुल मिलाकर 32वां पदक है. CWG 2022 में यह भारत का 10वां रजत और कुल मिलाकर 28वां मेडल है.

6 किमी पैदल जाना पड़ता था स्कूल

अविनाश साबले का जन्म 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गांव में हुआ था. अविनाश मुकुंद साबले एक साधारण परिवार में पले-बढ़े. उनके माता-पिता किसान थे और सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं होने के कारण उन्हें अपने स्कूल जाने के लिए हर दिन छह किलोमीटर दौड़ना पड़ता था. यहीं से उनमे चलने और भागने का हुनर पलने लगा. हालांकि उन्होंने एथलीट बनने का सपना कभी नहीं देखा था, उनमें देश सेवा करने का जज्बा था, लिहाजा उन्होंने सेना में जाने का मन बना लिया. 

कठिन सफर से निकलकर अविनाश ने जीता सिल्वर

अविनाश साबले 12वीं कक्षा पास करने के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुए और 5 म्हार रेजिमेंट का हिस्सा थे. वह सियाचिन, राजस्थान और सिक्किम में तैनात रहे. सेना के एथलेटिक्स कार्यक्रम में शामिल होने के बाद अविनाश साबले ने 2015 में ही स्पोर्ट्स रनिंग के बारे में कुछ सीखा और साथियों ने उन्हें देश के लिए खेलने की प्रेरणा दी.

दोहा में आयोजित 2019 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी अविनाश साबले ने रजत पदक जीता था. यह अंतरराष्ट्रीय मंच पर उनकी पहली उपलब्धि थी. यहीं उन्होंने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया और देश को मेडल जिताने का दृढ़ निश्चय कर लिया. अब अविनाश ने बर्मिंघम में सिल्वर जीतकर अपने परिवार और देश का नाम रोशन कर दिया. 

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