नई दिल्ली. Who is Romesh Kaluwitharana​: दुनिया का पहला इंटरनेशनल 20-20 क्रिकेट मैच 5 अगस्त 2004 को इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड की महिला क्रिकेट टीमों के बीच खेला गया था. ठीक यही वो साल था जब श्रीलंका के एक ऐसे बल्लेबाज ने क्रिकेट से सन्यास की घोषणा कर दी थी जो वनडे क्रिकेट की बैटिंग स्टाइल में क्रांतिकारी परिवर्तन का सिरमौर था.


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इस खिलाड़ी का नाम था देशबंधु सनथ रोमेश कालूवितरणा जिन्हें लोग आम तौर पर कालूवितरणा ने नाम से पहचानते थे. 1996 में वर्ल्ड कप जीतकर दुनिया को हैरान करने वाली श्रीलंका टीम में ओपनर और विकेटकीपर के रूप में रोमेश सूत्रधार के रूप में मौजूद थे.


भले ही रोमेश ने उस साल सन्यास लिया हो जब 20-20 क्रिकेट की शुरुआत हो रही थी लेकिन वो उन खिलाड़ियों में थे जो इसी फॉर्मेट की बल्लेबाजी करते थे. दरअसल लिटिल डायनामइट और लिटिट कालू के नाम से मशहूर रोमेश उस वक्त दुनिया के साथ सबसे 'खौफनाक' बल्लेबाज कहे जाने वाले सनथ जयसूर्या के साथ ओपनिंग के लिए उतरते थे.


रोमेश और सनथ की जोड़ी बैटिंग पैटर्न में किए क्रांतिकारी बदलाव
रोमेश और सनथ की जोड़ी की 1996 के विश्वकप में दुनियाभर के गेंदबाजों में खौफ भर दिया था. उस वक्त वनडे में शुरुआती 15 ओवरों में ज्यादातर फील्डर्स को 30 गज के दायरे में ही रहना होता था. रोमेश और सनथ ने फील्डिंग रिस्ट्रिक्शन के इस नियम को अपनी ताकत बनाया और शुरुआती ओवरों में ऐसी धुंआधार बल्लेबाजी करते थे विपक्षी टीम का मनोबल लगभग ध्वस्त हो जाता था.


जब 300 रन का आंकड़ा लगने लगा बौना
यही वो विश्वकप था जब विश्व क्रिकेट में 300 रन का आंकड़ा छोटा लगने लगा अन्यथा उससे पहले तक 250 रन के स्कोर अच्छा स्कोर माना जाता था. सनथ के साथ मिलकर रोमेश ने आक्रामक बैटिंग का जो पैटर्न खड़ा किया वो बाद में सभी देशों ने फॉलो किया और आज तक चल रहा है. 1996 के विश्वकप में श्रीलंका की टीम ने एक भी मैच हारे बिना कप अपने नाम किया था. अर्जुन रणतुंगा टीम के कैप्टन थे.


20-20 क्रिकेट में लिया था हिस्सा
रोमेश ने साल 2004 में क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद 20-20 क्रिकेट भी खेली. 2004 में SLC Twenty20 Tournament में हिस्सा लिया था. साल 2008 में उन्हें मलेशिया क्रिकेट टीम का अंतरिम कोच भी बनाया गया था.


आक्रामक बल्लेबाजी और लिटिल डायनामाइट निकनेम
रोमेश ने 20-20 क्रिकेट ज्यादा नहीं खेली लेकिन इस फॉर्मेट की शुरुआत के पहले ही वो वनडे क्रिकेट में ऐसी ही बल्लेबाजी कर रहे थे. लिटिल डायनामाइट जैसा निकनेम उन्हें इसी वजह से दिया गया था.


इंटरनेशनल क्रिकेट में सक्रिय रूप से नहीं दिखते
कई वर्षों तक दुनिया के गेंदबाजों के लिए दु:स्वप्न बने रहे कालूवितरणा अब 52 साल के हो चुके हैं और इंटरनेशनल क्रिकेट में सक्रिय रूप से नहीं दिखते. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कालूवितरणा श्रीलंका में ही अपना लक्जरी जंगल रिट्रीट 'कालू हाइड अवे' चलाते हैं.


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