नीतू घंघास बनी विश्व चैम्पियन, जानें उनकी जिंदगी से जुड़ी 10 अनोखी बातें
Biography of Indian Boxer Nitu Ghanghas: नीतू ने आक्रामक शुरुआत की, पहले राउंड में भिवानी की मुक्केबाज 5-0 से आगे थी. दूसरे राउंड में उन्होंने दनादन सीधे मुक्के जड़े. आपको इस रिपोर्ट में नीतू की जिंदगी से जुड़ी 10 अनोखी बातें बताते हैं.
नई दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता नीतू घंघास (48 किग्रा) ने शनिवार को यहां महिला विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में मंगोलिया की लुतसाईखान अल्तानसेतसेग पर शानदार जीत से खिताब अपने नाम किया. भारतीय मुक्केबाज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अल्तानसेतसेग को 5-0 से हराकर न्यूनतम वजन वर्ग का स्वर्ण पदक अपने नाम किया. आपको नीतू की जिंदगी से जुड़ी 10 अनोखी बातें जाननी चाहिए.
नीतू की जिंदगी की 10 अनोखी बातें
1). नीतू घंघास का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के धनाना गांव में 19 अक्टूबर 2000 को हुआ था.
2). महज 12 साल की उम्र तक ही नीतू ने अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी थी, लेकिन वह शुरुआत में विफल रहीं. जिसके चलते उन्होंने इस खेल को छोड़ने का फैसला किया, लेकिन उनके पिता ने हौसला बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई.
3). मिडिल क्लास फैमिली से आने वाली नीतू के पिता ने अपनी बेटी के सपनों को साकार करने के लिए कई बलिदान दिए. बेटी नीतू को बॉक्सर बनाने के लिए पिता जय भगवान ने अपनी नौकरी से तीन साल की अवैतनिक छुट्टी ली. अपनी जमीन के एक छोटे से हिस्से पर खेती शुरू की. बेटी को आगे बढ़ाने के लिए करीब 6 लाख रुपये का लोन भी लिया.
4). नीतू के पिता ने व्यक्तिगत रूप से नीतू की ट्रेनिंग और खान-पान का जिम्मा संभाला. ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ-साथ नीतू भिवानी बॉक्सिंग क्लब में शामिल हुईं. वो हर रोज पिता के स्कूटर से 40 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाती थीं.
5). साल 2015 में नीतू घंघास ने हरियाणा के लिए एक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पदक जीता, इसी के बाद उन्हें एक इंजरी का सामना करना पड़ा. वो एक बार फिर टूट गईं थी, लेकिन उनके पिता ने हिम्मत बढ़ाई.
6). यूथ नेशनल्स में नीतू ने 2016 में कांस्य पदक जीतकर शानदार वापसी की और इसके अगले साल बुल्गारिया के सोफिया में बाल्कन यूथ इंटरनेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया.
7). साल 2017 गुवाहाटी और 2018 हंगरी के बुडापेस्ट में नीतू के लिए खुशखबरी रही. वो करियर का यादगार लम्हा था, जहां उन्होंने दो विश्व चैंपियनशिप स्वर्ण पदक उन्होंने अपने नाम किए. इसके साथ ही साल 2018 में नीतू ने यूथ चैंपियन और एशियाई चैंपियन का भी खिताब अपने नाम किया.
8). युवा खिलाड़ी नीतू ने 2021 में फिर से सुर्खियां बटोरीं, उन्होंने पहली बार सीनियर नेशनल में खिताब जीता. यहीं से नीतू की जिंदगी के सफर में चार चांद लगने शुरू हो गए.
9). नीतू घंघास ने फरवरी 2022 में सीनियर स्तर पर इंटरनेशनल सफलता का पहला स्वाद चखा. यूरोप के सबसे पुराने मुक्केबाजी टूर्नामेंट स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में उन्होंने महिलाओं के 48 किग्रा डिवीजन में गोल्ड जीता.
10). राष्ट्रमंडल खेल 2022 के बॉक्सिंग ट्रायल के पहले पड़ाव के रूप सेमीफाइनल में उनका सामना उनकी आदर्श मैरी कॉम से हुआ. डिवीजन में कॉमनवेल्थ गेम्स की तत्कालीन चैंपियन मैरी कॉम को एक मिनट बाद घुटने में एक इंजरी का सामना करना पड़ा और RSCI (रेफरी स्टॉप कॉन्टेस्ट - इंजरी) ने मुकाबले को रोक दिया. नीतू को जीत आसानी से मिल गई, लेकिन वो इस जीत से खुश नहीं थी.
नीतू घंघास ने अल्तानसेतसेग को हराया
स्टेडियम में बीजिंग ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता और नीतू के आदर्श विजेंदर सिंह भी मौजूद थे. नीतू ने आक्रामक शुरुआत की, पहले राउंड में भिवानी की मुक्केबाज 5-0 से आगे थी. दूसरे राउंड में उन्होंने दनादन सीधे मुक्के जड़े. अल्तानसेतसेग ने जब जवाबी हमला किया तो इस भारतीय मुक्केबाज ने अपनी प्रतिद्वंद्वी से अच्छा बचाव किया.
दोनों मुक्केबाज करीब होकर खेल रही थी और एक दूसरे को जकड़ रही थी जिसमें दूसरे राउंड के अंत में नीतू पर ‘पेनल्टी’ से अंक कांट लिये गये. दूसरे राउंड में मंगोलियाई मुक्केबाज की मजबूत वापसी के बावजूद नीते इसे 3-2 से अपने हक में करने में सफल रही. फिर अंतिम तीन मिनट में नीतू ने दूर से शुरुआत की और अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए फिर करीब से खेलने लगीं जिसमें अल्तानसेतसेग का भी प्रतिद्वंद्वी को जकड़ने के लिये एक अंक काट लिया गया. अंत में भारतीय मुक्केबाज विजेता रहीं.
पहले तीन मुकाबले आरएससी (रैफरी द्वारा मुकाबला रोकना) से जीतने वाली नीतू ने पूरे टूर्नामेंट में दबदबे भरा प्रदर्शन किया. इस जीत से 2022 स्ट्रैंड्जा मेमोरियल में स्वर्ण पदक जीतने वाली नीतू विश्व चैम्पियन खिताब हासिल करने वाली छठी भारतीय मुक्केबाज बनी. छह बार की चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आर एल (2006), लेखा केसी (2006) और निकहत जरीन (2022) अन्य मुक्केबाज हैं जिन्होंने विश्व खिताब जीते हैं.
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