नई दिल्ली: महंत नरेंद्र गिरी की जगह अखाड़ा परिषद के नये अध्यक्ष की जिम्मेदारी महंत रवींद्र पुरी संभालेंगे. इससे पहले महंत नरेंद्र गिरि देश के 13 मठों की सर्वोच्च हिंदू धार्मिक संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष थे.


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20 सितंबर को हुई थी नरेंद्र गिरी की मृत्यु


वह महंत नरेंद्र गिरि की जगह लेंगे, जिन्होंने 20 सितंबर को शहर के बाघंबरी मठ परिसर में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी.


महंत रवींद्र पुरी श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के वर्तमान सचिव हैं.


जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक, एबीएपी के महासचिव हरि गिरि द्वारा सोमवार को बुलाई गई संतों की बैठक में पुरी को एबीएपी का नया अध्यक्ष चुना गया.


7 अखाड़ों के प्रतिनिधियों की हुई बैठक


देश के 13 अखाड़ों में से सात अखाड़ों के प्रतिनिधि बैठक के लिए आए थे, जिसके बाद अब यह स्पष्ट है कि एबीएपी दो समूहों में विभाजित है.


पुरी को सात अखाड़ों का समर्थन प्राप्त था, जिनके प्रतिनिधियों ने बैठक में भाग लिया. प्रथा के अनुसार, 13 अखाड़ों में से प्रत्येक के दो सदस्य एबीएपी के सदस्य हैं. एबीएपी में कुल 28 सदस्य हैं, जबकि अध्यक्ष और महासचिव दो अतिरिक्त पद हैं.


इससे पहले, परिषद के भीतर विद्रोह के कारण, सात अखाड़ों के संतों ने 21 अक्टूबर को हरिद्वार में एक बैठक की थी और महंत रवींद्र पुरी को एबीएपी के अध्यक्ष के रूप में चुना था.


परिषद में कुल 28 सदस्य 


बैठक में महानिर्वाणी, अटल, निर्मोही अनी, निर्वाणी अनी, दिगंबर अनी, बड़ा अखाड़ा उदासीन और निर्मल अखाड़ा समेत सात अखाड़ों के प्रतिनिधि शामिल हुए. हरिद्वार के कनखल स्थित श्री महानिर्वाणी अखाड़े के परिसर में हुई बैठक में नई कार्यकारिणी का गठन किया गया. इस दौरान महंत राजेंद्र दास महासचिव चुने गए.


उनके साथ, दामोदर दास महाराज को उपाध्यक्ष, जसविंदर सिंह शास्त्री को कोषाध्यक्ष, राम किशोर दास महाराज को मंत्री, गौरीशंकर दास महाराज को प्रवक्ता और धर्मदास महाराज और महेश्वर दास को नई कार्यकारिणी में संरक्षक नियुक्त किया गया है.


हालांकि, जूना अखाड़े के एबीएपी के महासचिव हरि गिरि ने चुनाव को एबीएपी को विभाजित करने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास करार दिया और इसे मान्यता नहीं दी.


हरि गिरि ने कहा कि जैसे कि मैंने पहले ही 25 अक्टूबर को एबीएपी की बैठक बुलाई थी, अगर इन अखाड़ों का बहुमत साबित करने का कोई इरादा था, तो उन्हें उक्त बैठक में भाग लेना चाहिए था और अपना नेता चुन लेना चाहिए था.


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उन्होंने कहा कि एबीएपी लोकतांत्रिक तरीके से अपने पदाधिकारियों का चुनाव करता है और एबीएपी के प्रत्येक सदस्य को अध्यक्ष या किसी अन्य पद के लिए खड़े होने का अधिकार है.


सोमवार की बैठक नए अध्यक्ष के चुनाव के एक सूत्रीय एजेंडे के साथ हुई. बाकी कार्यकारिणी सदस्यों के चयन के लिए तीन महीने बाद फिर से अखाड़ा परिषद की बैठक बुलाई जाएगी. 


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