BCCI President: सौरव गांगुली ने तोड़ी चुप्पी, पीएम मोदी और अंबानी का नाम भी लिया
बीसीसीआई से रवानगी को लेकर चर्चाओं के बीच बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने गुरुवार को चुप्पी तोड़ी. दरअसल, बोर्ड की सालाना आम बैठक में गांगुली की जगह 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रोजर बिन्नी का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है.
नई दिल्लीः बीसीसीआई से रवानगी को लेकर चर्चाओं के बीच बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली ने गुरुवार को कहा कि वह हमेशा प्रशासक नहीं बने रह सकते हैं. खारिज किया जाना जीवन का हिस्सा है. बोर्ड की सालाना आम बैठक में गांगुली की जगह 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रोजर बिन्नी का अध्यक्ष बनना तय है.
'हमेशा प्रशासक नहीं बने रह सकते'
गांगुली ने यहां बंधन बैंक के एक कार्यक्रम से इतर कहा, ‘आप हमेशा नहीं खेल सकते. हमेशा प्रशासक भी बने नहीं रह सकते, लेकिन दोनों काम में मजा आया. सिक्के के दोनों पहलू देखना रोचक रहा. आगे कुछ और बड़ा करूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं क्रिकेटरों का प्रशासक था. इतना क्रिकेट हो रहा है कि फैसले लेने पड़ते हैं. इतना पैसा इससे जुड़ा है. महिला क्रिकेट है, घरेलू क्रिकेट है. कई बार फैसले लेने पड़ते हैं.’
अध्यक्ष बने रहना चाहते थे गांगुली
गांगुली बीसीसीआई अध्यक्ष बने रहना चाहते थे, लेकिन यह हो नहीं सका. वहीं, जय शाह सचिव पद पर बने रहेंगे. गांगुली ने कहा, ‘मेरे लिए जीवन विश्वास से जुड़ा है. हर किसी की परीक्षा होती है. हर किसी को उसके हिस्से का पुरस्कार मिलता है और हर किसी को खारिज भी किया जाता है. यही जीवन चक्र है, लेकिन आपको अपनी क्षमता पर विश्वास करना होता है, जिससे आप आगे बढ़ते हैं.’
अध्यक्ष पद के लिए गांगुली का नाम नहीं होने के बाद पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान को ‘अपमानित करने की कोशिश’ करने का आरोप लगाया, क्योंकि वह उन्हें पार्टी में शामिल करने में विफल रहे.
'सौरव को नीचा दिखाने की कोशिश'
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘हम इस मामले में सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं लेकिन चूंकि भाजपा ने चुनाव के दौरान और बाद में इस तरह का प्रचार किया इसलिए निश्चित रूप से भाजपा की जिम्मेदारी होगी कि वह इस तरह की अटकलों का जवाब दे (कि गांगुली को बीसीसीआई प्रमुख के रूप में दूसरा कार्यकाल नहीं मिलने के पीछे राजनीति है). ऐसा लगता है कि भाजपा सौरव को नीचा दिखाने की कोशिश कर रही है.’
टीएमसी के सांसद शांतनु सेन ने ट्वीट किया, ‘राजनीतिक प्रतिशोध का एक और उदाहरण. अमित शाह के बेटे को बीसीसीआई के सचिव पद पर बनाए रखा जा सकता है. लेकिन सौरव गांगुली को नहीं, क्योंकि वह ममता बनर्जी के राज्य से हैं या वह भाजपा से नहीं जुड़े. हम आपके साथ हैं दादा.’
सबसे पहले बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव बने थे गांगुली
गांगुली सबसे पहले क्रिकेट प्रशासन में बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव के रूप में आये थे. जगमोहन डालमिया के निधन के बाद वह सितंबर 2015 में इसके अध्यक्ष बने. सफलता अर्जित करने के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा, ‘जीवन, उपलब्धियां और तरक्की छोटे छोटे लक्ष्य के बारे में नहीं है. आप एक दिन में सचिन तेंदुलकर, अंबानी या नरेंद्र मोदी नहीं बन सकते.’
उन्होंने कहा, ‘आपको अपना जीवन, समय, दिन, सप्ताह और महीने देने पड़ते हैं. यही सफलता की कुंजी है.’ बीसीसीआई अध्यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा, ‘मुझे यह बहुत अच्छा लगा. पिछले तीन साल में कई अच्छी चीजें हुईं. कोरोना काल में आईपीएल हुआ जो पूरे देश के लिये कठिन समय था. प्रसारण अधिकार रिकॉर्ड दाम पर बिके.’
भारतीय टीम को दी विश्व कप की शुभकामना
उन्होंने कहा, ‘अंडर 19 टीम ने विश्व कप जीता. काश महिला टीम राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीत पाती. वे ऑस्ट्रेलिया को हरा सकते थे. सीनियर टीम ऑस्ट्रेलिया में जीती. बतौर प्रशासक ये सुनहरे पल थे.’ गांगुली ने भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्व कप के लिए शुभकामना देते हुए कहा, ‘यह बेहतरीन टीम है और इसमें अपार प्रतिभा है. आप उम्मीद करते हैं कि यह टीम हर समय जीते, लेकिन एक खिलाड़ी की चुनौतियां बिल्कुल अलग होती है. इसमें तुलना नहीं हो सकती.’
'प्रशासक के पास होता है गलतियां सुधारने का समय'
उन्होंने कहा कि एक खिलाड़ी के रूप में चुनौतियां एक प्रशासक के तौर पर चुनौतियों से अधिक थी. उन्होंने कहा, ‘मैं आठ साल प्रशासन में रहा, लेकिन मुझे लगता है कि एक क्रिकेटर की चुनौतियां अधिक होती हैं. प्रशासक के पास गलतियां सुधारने का समय होता है, लेकिन टेस्ट मैच में सुबह ग्लेन मैकग्रा की गेंद पर आप आउट हो गए तो आपके पास सुधार का कोई मौका नहीं है.’
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