Team India: भारतीय क्रिकेट टीम की गेंदबाजी पिछले कुछ सालों में काफी खतरनाक साबित हुई है, जहां पर उसके खिलाड़ियों ने न सिर्फ भारतीय सरजमीं पर बल्कि विदेशी सरजमीं पर भी जाकर अपनी स्किल्स को साबित किया है. भारतीय पेस अटैक में अगर किसी गेंदबाज के सबसे ज्यादा खतरनाक होने की बात कही जाये तो कोई भी जसप्रीत बुमराह का नाम सबसे पहले लेता नजर आयेगा. हालांकि चोट के चलते वो यूएई में खेले जा रहे एशिया कप में शिरकत नहीं कर रहे हैं लेकिन टी20 विश्वकप में उनकी वापसी की पूरी उम्मीद है.
आज हम आपको भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ ऐसे ही गेंदबाजों के बारे में बताना चाहेंगे जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत में जसप्रीत बुमराह जैसी ही घातक गेंदबाजी की थी लेकिन फिर अचानक ही उनका करियर समाप्त हो गया. इसके पीछे उनकी खराब फॉर्म और चोट कारण बनी लेकिन जिन्हें भारतीय क्रिकेट टीम का भविष्य माना जा रहा था वो अचानक ही मैदान से गायब हो गये.
आरपी सिंह (Rudra Pratap Singh)
पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के करीबी दोस्तों में शामिल तेज गेंदबाज आरपी सिंह ने अपने करियर की शुरुआत बेहतरीन तरीके से की थी और अपनी स्विंग गेंदबाजी के लिये काफी मशहूर थे. 2007 में जब साउथ अफ्रीका की सरजमीं पर पहला टी20 विश्वकप खेला गया तो भारतीय टीम को उसका पहला खिताब जिताने में आरपी सिंह ने अहम भूमिका निभाई थी लेकिन जैसे-जैसे उनका करियर बढ़ा ऐसा लगा जैसे उनकी स्विंग कहीं खो गई है. या फिर ये भी कह सकते हैं कि गेंदबाजी में ज्यादा विविधता नहीं होने के कारण बल्लेबाजों के लिये उनके खिलाफ रन बनाना आसान हो गया और वो धीरे-धीरे महंगे साबित होने लगे. उन्होंने अपने करियर में भारत के लिये 14 टेस्ट मैच, 58 वनडे मैच और 10 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में शिरकत की है.
मोहित शर्मा (Mohit Sharma)
साल 2013 में भारत के लिये अपना अंतर्राष्ट्रीय डेूब्यू करने वाले मोहित शर्मा गेंदबाजी में अपनी स्विंग और धीमी गति की गेंदबाजी के लिये मशहूर रहे. मोहित शर्मा ने करियर के पहले ही मैच से बल्लेबाजों को परेशान करने का काम किया और 2015 विश्वकप में भारतीय टीम को सेमीफाइनल तक की राह तय कराने में अहम भूमिका निभाई. हालांकि इस विश्वकप के बाद से लगातार उनके प्रदर्शन में गिरावट देखने को मिली और अंत में उन्हें टीम से बाहर बैठना पड़ा. वो भारत के लिये 26 वनडे और 8 टी20 मैचों का ही हिस्सा बन सके.
इरफान पठान (Irfan Pathan)
साल 2006 में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट की पहली 3 गेंदों पर हैट्रिक लेने वाले इरफान पठान ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर का आगाज साल 2004 में किया था. उनकी स्विंग ने सभी को हैरान कर दिया था जिसके चलते वो बहुत जल्दी ही भारतीय टीम के मुख्य गेंदबाज भी बन गये. डेब्यू ईयर में ही उन्हें आईसीसी की ओर से इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर का अवॉर्ड भी मिला, लेकिन बाद में जब उन्होंने अपनी बल्लेबाजी स्किल्स को इम्प्रूव करने की कोशिश करना शुरू किया तो गेंदबाजी में गिरावट आने लगी.
पठान के पतन के पीछे उनकी चोट भी अहम कारण रही, वो अक्सर चोटिल होकर टीम से बाहर रहने लगे जहां से किसी भी खिलाड़ी का वापसी कर पाना मुश्किल होता है. इसके चलते इरफान पठान भारत के लिये सिर्फ 29 टेस्ट मैच, 120 वनडे मैच और 24 टी-20 मैच में ही शिरकत कर सके.
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