खाने में इन चीजों के इस्तेमाल से बढ़ रही है टाइप 2 डायबिटीज की बीमारी, 3 दशक में हुआ 70 प्रतिशत इजाफा
Type II Diabetes: दुनिया में 2018 में टाइप 2 डायबिटीज के एक करोड़ 41 लाख से अधिक मामलों के पीछे खराब आहार एक प्रमुख कारण था. वैश्विक स्तर पर ये आंकड़े 70 प्रतिशत से अधिक नए मामलों से जुड़े हैं. इसमें राहत वाली बात यह है कि भारत में अस्वास्थ्यकर भोजन से संबंधित टाइप 2 डायबिटीज के सबसे कम मामले थे.
Type II Diabetes: दुनिया में 2018 में टाइप 2 डायबिटीज के एक करोड़ 41 लाख से अधिक मामलों के पीछे खराब आहार एक प्रमुख कारण था. वैश्विक स्तर पर ये आंकड़े 70 प्रतिशत से अधिक नए मामलों से जुड़े हैं. इसमें राहत वाली बात यह है कि भारत में अस्वास्थ्यकर भोजन से संबंधित टाइप 2 डायबिटीज के सबसे कम मामले थे.
रिसर्चर्स ने कहा कि स्टडी के दायरे में आए 30 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में, भारत, नाइजीरिया और इथियोपिया में अस्वास्थ्यकर भोजन से संबंधित टाइप 2 डायबिटीज के सबसे कम मामले थे.
खाने की इन चीजों से बढ़ रही है ये बीमारी
जर्नल ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित इस रिसर्च में 1990 और 2018 के आंकड़ों को देखा गया, जिसमें महत्वपूर्ण बात यह पता चली कि कौन-कौन से आहार कारक विश्व में टाइप 2 डायबिटीज के बोझ को बढ़ा रहे हैं.
रिसर्चर्स ने पाया कि जिन 11 आहार कारकों पर विचार किया गया, उनमें से तीन का टाइप 2 डायबिटीज की बढ़ती वैश्विक घटनाओं में बहुत बड़ा योगदान था . इसमें साबुत अनाज का कम सेवन, रिफाइनड चावल, गेहूं की अधिकता और प्रोसेसड मीट का अधिक सेवन शामिल थे.
खराब कार्बोहाइड्रेट वाले फूड से बढ़े डायबिटीज के मरीज
रिसर्च में कहा कि बहुत अधिक फलों का जूस पीने और पर्याप्त गैर-स्टार्च वाली सब्जियां, सूखे मेवे नहीं खाने जैसे कारकों का रोग के नए मामलों पर कम प्रभाव देखा गया.
अमेरिका में टफ्ट्स विश्वविद्यालय के वरिष्ठ लेखक दारीश मोजाफेरियन ने कहा, ‘हमारे स्टडी से पता चलता है कि खराब कार्बोहाइड्रेट गुणवत्ता वाला आहार, टाइप 2 डायबिटीज का विश्व स्तर पर एक प्रमुख कारक है. ये नए निष्कर्ष पोषण में सुधार और डायबिटीज के बोझ को कम करने के लिए राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण क्षेत्रों को सामने लाते हैं.’
3 दशक में बढ़े 70 फीसदी मामले
टाइप 2 डायबिटीज में इंसुलिन के प्रति शरीर की कोशिकाएं प्रतिरोध करती हैं. इंसुलिन पैंक्रियास की ओर से बनाया गया एक हार्मोन है जो किसी भी समय ब्लड फ्लो में ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल करता है. स्टडी में शामिल 184 देशों में से, सभी ने 1990 और 2018 के बीच टाइप 2 डायबिटीज के मामलों में वृद्धि देखी, जो व्यक्तियों, परिवारों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर बढ़ते बोझ को दर्शाता है.
रिसर्च दल का मॉडल, ग्लोबल डाइटरी डेटाबेस की जानकारी के साथ-साथ जनसांख्यिकी, वैश्विक टाइप 2 डायबिटीज की घटनाओं के अनुमान, मोटापे और टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों को प्रभावित करने वाले डेटा पर आधारित था. विश्लेषण से पता चला है कि खराब आहार वैश्विक स्तर पर पुरुषों बनाम महिलाओं, युवा बनाम वृद्ध वयस्कों और शहरी बनाम ग्रामीण निवासियों में कुल टाइप 2 डायबिटीज की घटनाओं का एक बड़ा हिस्सा बना रहा है.
इन देशों में रहा है सबसे ज्यादा प्रभाव
रिसर्चर्स ने कहा कि मध्य और पूर्वी यूरोप एवं मध्य एशिया- विशेष रूप से पोलैंड और रूस में, जहां आहार लाल मांस, प्रसंस्कृत मांस और आलू से भरपूर होता है, वहां आहार से जुड़े टाइप 2 डायबिटीज के मामलों की सबसे बड़ी संख्या थी. लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में भी टाइप 2 डायबिटीज के मामलों की संख्या काफी थी विशेष रूप से कोलम्बिया और मैक्सिको में, जिसके लिए शुगर वाले ड्रिंक्स, प्रोसेसड मीट की ज्यादा खपत और साबुत अनाज के कम सेवन को जिम्मेदार पाया गया.
जानें किन देशों में रहा सबसे कम प्रभाव
ऐसे क्षेत्र जहां आहार का टाइप 2 डायबिटीज के मामलों पर प्रभाव कम था, उनमें दक्षिण एशिया और उप-सहारा अफ्रीका शामिल थे . हालांकि 1990 और 2018 के बीच खराब आहार के कारण टाइप 2 डायबिटीज में सबसे बड़ी वृद्धि उप-सहारा अफ्रीका में देखी गई थी.
रिसर्च का संचालन करने वाले स्टडी के पहले लेखक मेघन ओहर्न ने कहा, ‘ये निष्कर्ष चिकित्सकों, नीति निर्माताओं और निजी क्षेत्र की पोषण संबंधी प्राथमिकताओं को तय करने में मदद कर सकते हैं क्योंकि वे स्वस्थ आहार विकल्पों को प्रोत्साहित करते हैं जो इस वैश्विक महामारी का समाधान है.’
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