Electric Scooter: इलेक्ट्रिक वाहनों के नाम पर हो रही धोखाधड़ी, ऐसे चूना लगा रहीं फर्जी वेबसाइट्स
नई दिल्लीः भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार खड़ा हो रहा है. लोग भी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. लेकिन, साइबर ठग लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के नाम पर धोखा दे रहे हैं और उनकी गाढ़ी कमाई उड़ा रहे हैं.
नई दिल्लीः भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का बाजार खड़ा हो रहा है. लोग भी इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. लेकिन, साइबर ठग लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के नाम पर धोखा दे रहे हैं और उनकी गाढ़ी कमाई उड़ा रहे हैं. दरअसल, भारत में इलेक्ट्रिक वाहन के वितरकों और ग्राहकों को लक्ष्य करके व्यापक पैमाने पर गूगल ऐड के जरिये फिशिंग कैंपेन चलाया जा रहा है और लोगों को इससे अब तक चार से आठ करोड़ रुपये का चूना लग चुका है.
इलेक्ट्रिक वाहनों के नाम पर ठगी
सिक्योरिटी फर्म क्लाउडसेक ने बुधवार को बताया कि उसने एक ऐसे कैंपेन का पर्दाफाश किया है, जिसमें गूगल ऐड का इस्तेमाल करके ग्राहकों से फर्जी वेबसाइट पर इलेक्ट्रिक वाहन की बुकिंग और डाउन पेमेंट के रूप में दो से चार लाख रुपये लिए जाते हैं.
कंपनी के मुताबिक, इस हेराफेरी में लिप्त लोग गूगल ऐड के जरिये संभावित ग्राहकों को फिशिंग साइट यानी फर्जी वेबसाइट पर ले जाते हैं.
असली कंपनी से मिलता-जुलता डोमेन कराते हैं रजिस्टर
धोखाधड़ी करने वाले असली कंपनी के नाम से मिलताजुलता डोमेन नेम पंजीकृत कराते हैं और फिर उसके लिए गूगल ऐड देते हैं. ये लोग एसईओ यानी सर्च इंजन आप्टिमाइजेशन को भी चकमा देते हैं, यानी इंटरनेट पर कंपनी के बारे में सर्च करने पर फर्जी वेबसाइट को असली वेबसाइट के मुकाबले ज्यादा तरजीह दी जाती है.
असली वेबसाइट की तरह दिखती है फर्ज वेबसाइट
एसईओ को चकमा देने से इन फर्जी वेबसाइटों का गूगल ऐड सर्च में ऊपर दिखता है. ग्राहक जब इन ऐड पर क्लिक करता है तो यह उन्हें फिशिंग डोमेन पर ले जाता है. फर्जी वेबसाइट पूरी तरह से असली वेबसाइट की नकल होती है. उस पर असली वेबसाइट की तस्वीरें और सामग्री दिखाई देती है.
कंपनी के मुताबिक, उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के बाद से इस तरह की धोखाधड़ी बढ़ गई है. सरकार ने सितंबर 2021 में इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ईंधन वाले वाहनों को पीआईएल योजना के दायरे में लाने की घोषणा की थी.
ग्राहकों और कंपनी दोनों को हो रहा नुकसान
ये फर्जी वेबसाइटें ग्राहकों को आर्थिक हानि तो देती ही हैं, साथ ही ग्राहक उन पर अपनी निजी जानकारियां और बैंकिंग डिटेल भी साझा कर देते हैं, जिससे आइडेंटिटी की चोरी का खतरा बढ़ जाता है. ईवी कंपनियों के कारोबार को इन फर्जी वेबसाइटों से सीधा नुकसान हो रहा है और साथ ही उनकी प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता भी दांव पर लग जाती है.
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