जयंती विशेष: जिस कारखाने का नेताजी ने किया था उद्घाटन, कांग्रेस ने किया बर्बाद, मोदी सरकार कर रही है आबाद

महान नेता सुभाष चंद्र बोस का आज जन्मदिन है. कभी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नेताजी का विजन बहुत बड़ा था. उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष रहते बिहार में एक कारखाने का उद्घाटन किया था. लेकिन कांग्रेस राज में वह बर्बाद हो गया. इसके साथ ही पूरे इलाके की आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गईं. लेकिन अब पीएम मोदी के शासन काल में इस रेलवे ने इस फैक्ट्री का अधिग्रहण कर लिया है. जिसके बाद इस इलाके के लोगों में नई उम्मीदें जगी हैं.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 23, 2020, 05:06 PM IST
    • बिहार में डालमियानगर कारखाने का नेताजी ने किया था उद्घाटन
    • कांग्रेस शासनकाल में ये कारखाना हो गया था बर्बाद
    • मोदी सरकार में सहेजी जा रही हैं नेताजी की यादें
    • रेल मंत्रालय ने कर लिया कारखाने का अधिग्रहण
जयंती विशेष: जिस कारखाने का नेताजी ने किया था उद्घाटन, कांग्रेस ने किया बर्बाद, मोदी सरकार कर रही है आबाद

डेहरी ऑन सोन: इस इलाके में दशकों से लोग डालमियानगर फैक्ट्री की चिमनियों को देखते आ रहे हैं. बहुत से लोगों को तो ये भी पता नहीं होगा कि देश को आजादी दिलाने के लिए आजाद हिंद फौज बनाकर अंग्रेजी शासन की चूलें हिला देने वाले नेताजी सुभाषचद्र बोस से इन चिमनियों का गहरा रिश्ता है. 

नेताजी ने किया था इस कारखाने का उद्घाटन
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए मार्च 1938 में डालमियानगर के रोहतास उद्योग समूह परिसर का उद्घाटन किया था. 82 वर्ष पूर्व देश का यह सबसे बड़ा सीमेंट कारखाना माना जाता था. जिसपर इस पूरे इलाके की अर्थव्यवस्था आधारित थी. लेकिन कांग्रेस शासनकाल में देश की बाकी उद्योग धंधों की तरह डालमियानगर के कारखानों को भी ग्रहण लग गया. 

आखिरकार साल 1984 में रोहतास उद्योग समूह बंद हो गया. जिसके बाद इस रोहतास जिले के इस पूरे इलाके में आर्थिक गतिविधियां ठप पड़ गईं. किसी जमाने में यहां कागज, वनस्पति तेल, साबुन, कास्टिक सोडा, केमिकल, एस्बेस्टस समेत 219 एकड़ के इस विशाल परिसर में तेजी से 13 कारखाने खड़े थे. 

नेताजी के पावन चरण पड़े थे डालमियानगर कारखाने में
यहां 1933 में चीनी कारखाना के बाद 1937 में बिहार के उस समय के राज्यपाल रहे सर मौररिस हालेट ने सीमेंट कारखाना का शिलान्यास किया. शाहाबाद गजेटियर के अनुसार मार्च 1938 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने उद्घाटन किया था. 
500 टन प्रतिदिन उत्पादन की क्षमता का यह कारखाना उस समय के देश का पहला सबसे ज्यादा उत्पादन क्षमता का कारखाना था. सीमेंट कारखाने की मशीन डेनमार्क से मंगाई गई थी. इसके बाद यहां उद्योगों का जाल बिछ गया.  अविभाजित बिहार में टाटा(जमशेदपुर) के बाद यह दूसरे सबसे बड़े उद्योग समूह में इसकी गिनती होती थी. 
इसके मालिक उद्योगपति रामकृष्ण डालमिया का महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, डॉ राजेंद्र प्रसाद समेत सभी स्वंतत्रता सेनानियों से मधुर संबंध थे. स्वतंत्रता आन्दोलनकारियो का वे तन ,मन व धन से सहयोग करते थे. यही वजह है कि अंग्रेजो का शासन होने के बावजूद उन्होंने कारखाने के उद्घाटन के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बुलाया. 

नेताजी की यादें सहेज रही है मोदी सरकार
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की यादें सहेजे इस कारखाने को कांग्रेस शासन काल के दौरान बर्बादी की कगार पर पहुंचा दिया गया था. साल 1984 में बंद होने के बाद कारखाने की विशाल चिमनियां ढहने लगी थीं. लेकिन साल 2014 में मोदी सरकार लौटने के बाद नेताजी की इस याद को सहेजने का काम शुरु हो गया है. 

डालमियानगर कारखाने के साथ पूरे इलाके का कायाकल्प
इस परिसर को रेल मंत्रालय ने खरीदकर अधिगृहित कर लिया है. यहां अब रेल बैगन मरम्मत, रेल वैगन निर्माण व कॉप्लर के कारखाना लगाने की प्रक्रिया चल रही है. सितंबर 2018 से यहां लगे सभी कारखाने का लोहा काटकर हटा दिया गया. यहां के हजारों टन कबाड़ की बिक्री कर दी गई. लेकिन अब भी परिसर में कई टन कबाड़ फैला हुआ है. जिसे हटाने का कार्य अब भी चल रहा है. हालांकि ये अपने अंतिम चरण में है. 
लेकिन जल्दी ही डालमियानगर फैक्ट्री में रेलवे की फैक्ट्री शुरु हो जाएगी. जिसके बाद पूरे इलाके का आर्थिक तौर पर कायाकल्प हो जाएगा. 

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