नई दिल्ली: जब तक कोरोना की वैक्सीन की तलाश नहीं कर ली जाती. तब तक कोरोना का आतंक जारी रहेगा. लेकिन इसके असर को कम किया जा सकता है. इसके लिए एक नया फॉर्मूला दुनिया भर में सुर्खियों में है. जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान भी बच सकेगी और अर्थव्यवस्था का भी सत्यानाश होने से बच जाएगा.
भारतीय वैज्ञानिक ने किया शोध
कोरोना के होने वाली मौतों को थामकर अर्थव्यवस्था को भी कैसे सलामत रखा जाए. इसका रास्ता ब्रिटेन की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च में देखने को मिला है. ये भारतीय मूल के डॉक्टर राजीव चौधरी की रिसर्च है. पेशे से महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव ने 16 देशों के डेटा के आधार पर ये रिसर्च की है. जिसका फॉर्मूला दुनिया को कोरोना से लड़ने की एक नई राह दिखाने वाला है. इस रिसर्च की थीम जान और जहान दोनों को महफूज रखना है.
ये है डॉ. भरत का फॉर्मूला
कैंब्रिज विश्वविद्यालय में हुई रिसर्च के मुताबिक कोरोना की वजह से होनेवाली मौत को रोकना है, तो 50 दिन तक लगातार लॉकडाउन किया जाना जरुरी है. लेकिन उसके बाद 30 दिन की छूट दी जानी चाहिए. ये प्रक्रिया बार बार दोहराने से रोना वायरस के संक्रमण की वजह से होनेवाली मौत की तादाद तेजी से घटेगी. क्योंकि ऐसा करने से वायरस के संक्रमण की चेन टूट जाएगी. साथ ही हर 50 दिन के बाद 30 दिन की छूट से सरकारों को अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का मौका भी मिल पाएगा.
लंबे लॉकडाउन से है नुकसान
कैम्ब्रिज के जाने माने महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर राजीव चौधरी की ये रिसर्च कहती है कि एक बार लंबा लॉकडाउन लागू करना और बाद में अचानक पाबंदियों को हटा लेने से हालात आगे चलकर फिर बिगड़ सकते हैं. जिसे काबू में करना मुश्किल हो सकता है। खासकर लोगों की मौत का आंकड़ा बहुत ज्यादा हो सकता है. इसलिए लॉकडाउन को लागू करना और इसे हटाने को रुटीन के तौर पर लागू किया जाना चाहिए.
16 देशों में कोरोना वायरस और अर्थव्यवस्था के आंकड़ों पर आधारित कैम्ब्रिज की इस रिसर्च का दावा है कि इस फॉर्मूले से बीमारी 18 महीने तक कायम रह सकती है. लेकिन कोरोना वायरस से होने वाली मौतों की तादाद बेहद घट जाएगी.
कैंब्रिज रिसर्च के ऐसे थे नतीजे
भारतीय डॉ. राजीव चौधरी की रिसर्च में डाटा का विश्लेषण करके ये नतीजा निकाला गया कि
-अगर दुनिया भर की सरकारें कोई कदम नहीं उठाती हैं तो सिर्फ 200 दिन में यानी 6 महीने 20 दिन में 78 लाख लोगों की मौत हो सकती है
-लेकिन अगर सभी 16 देशों की सरकारें 50 दिन का लॉकडाउन और 30 दिन की छूट के फॉर्मूले पर अल्टरनेट ढंग से काम करे तो 12 महीने में दुनिया में 35 लाख लोगों की मौत हो सकती है.
-अगर 50 दिन के लॉकडाउन और 30 दिन की छूट के फॉर्मूले को लगातार 18 महीने तक अपनाने से सिर्फ 1 लाख 30 हजार लोगों की मौत की आशंका होगी.
इसका सीधा मतलब है कि सब कुछ पूरी तरह ठप कर देने से अच्छा है, कोरोना के साथ सावधान रहते हुए जीना और अस्पतालों में पूरा इंतजाम करने के लिए पूरा वक्त मिलना.
इन देशों का डाटा किया गया इस्तेमाल
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की रिसर्च में जिन 16 देशों को आधार बनाया गया है, उसमें विकसित और विकासशील दोनों तरह के देश शामिल हैं. इन देशों में कोरोना का सबसे बुरा दौर भविष्य में रिपीट होने का खतरा बना हुआ है.
ये देश हैं- भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, कोलम्बिया, बेल्जियम, नाइजीरिया, उगांडा, तंजानिया, और बुर्कीना फासो
इनमें विकसित देशों को छोड़ दें तो भारतीय उपमहाद्वीप के सभी देशों की आबादी बेहद घनी है. इसी वजह से यहां कोरोना का क्लाइमेक्स सबको कयामत का डर दिखा रहा है. इसलिए लंबे लॉकडाउन के बाद अब भारत में ढील दी जा रही है. जिससे गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक दुश्वारियां खत्म हो सकें.