नई दिल्ली: नौकरीपेशा लोगों की सैलरी का एक हिस्सा हर महीने PF के तौर पर कटता है. जब भी आप कहीं नौकरी जॉइन करते हैं, तो आपसे यूएएन नंबर मांगा जाता है, ताकि हर महीने आपके पीएफ का पैसा काटने के बाद आपके खाते में डाला जा सके. पीएफ अकाउंट में जमा पैसा हर व्यक्ति के लिए एक सेविंग है. ईपीएफओ के नियम के अनुसार कंपनी और कर्मचारी की ओर से पीएफ खाते में हर महीने बेसिक सैलरी और डीए का 12-12 परसेंट पैसा जमा कराया जाना चाहिए. सैलरी जारी होने के 15 दिनों के अंदर इसे जमा कराने का नियम है.
पैसा जमा करने के बाद दी जाती है जानकारी
काटे गए पीएफ का पैसा आपके अकउंट में भेजने के बाद आपको मैसेज के द्वारा उसकी जानकारी भी दी जाती है. इसके अलावा आप ईपीएफओ की वेबसाइट पर जाकर भी अपने पीएफ बैलेंस को चेक कर सकते हैं. लेकिन अगर आपको लगता है कि आपकी सैलरी से कट रहे पैसों को आपके पीएफ खाते में नहीं भेजा जा रहा है तो आपको परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. इस बारे में आप ईपीएफओ में शिकायत भी कर सकते हैं.
ईपीएफओ में कर सकते हैं शिकायत
अगर पीएफ का पैसा हर महीने कटने के बाद भी पीएफ अकाउंट में नहीं क्रेडिट हो रहा है, तो आप इस बात की शिकायत ईपीएफओ के पास दर्ज करा सकते हैं. ईपीएफओ में शिकायत दर्ज कराने के लिए आपको सबसे पहले epfigms.gov.in पर जाना होगा.
इस वेबसाइट पर आपको Register Grievance का विकल्प दिखाई देगा. आपको उस विकल्प पर क्लिक करना होगा. इसके बाद आपको PF मेंबर, EPS Pensioner, Employer में से किसी एक विक्लप को चुनना होगा.
इसके बाद आपको PF मेंबर का चुनाव करके UAN नंबर और Security कोड को दर्ज करना होगा. अब Get Details ऑप्शन पर जाकर क्लिक करके, फिर Get OTP ऑप्शन पर जाना होगा. इसके बाद आपको अपने निजी जानकारियों को फिल करना होगा भरने. इसके बाद शिकायत का विकल्प चुनें और शिकायत दर्ज करें. शिकायत से जुड़ा जरूरी डॉक्यूमेंट हो, तो उसके बारे में भी दर्ज करें. इसके बाद इसे सबमिट कर दें. आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और ईमेल पर शिकायत दर्ज हो जाएगी.
शिकायत पर तुरंत होगी कार्रवाई
शिकायत दर्ज होने के बाद ईपीएफओ द्वारा कंपनी से पूछताछ की जाएगी. अगर कंपनी की ओर से हर महीने कर्मचारी का पैसा काटने के बाद भी जमा नहीं कराया जा रहा है, तो ईपीएफओ की ओर से कानूनी कार्रवाई की जाती है. ऐसे में ईपीएफओ कंपनी के खिलाफ रिकवरी की कार्रवाई करता है. ईपीएफओ प्रोविडेंट फंड्स एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट, 1952 के तहत धारा 14-बी में मिले अधिकार के तहत कंपनी पर जुर्माना भी लगा सकता है.
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