NASA ने शेयर की बृहस्पति के Great Red Spot की चौंकाने वाली तस्वीर, धरती से दोगुना बड़ा है आकार

जूनो की ओर से ली गई ग्रेट रेड स्पॉट की यह तस्वीर करीबन 8,648 miles यानी 13,917km दूर से ली गई है. NASA की ओर से इंस्टाग्राम पर शेयर की गई इस तस्वीर में नारंगी, भूरे और लाल छींटों से घिरा हुआ एक स्पॉट नजर आ रहा है.  

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Mar 12, 2024, 02:23 PM IST
  • NASA ने शेयर की ग्रेट रेड स्पॉट की तस्वीर
  • धरती के आकार से दोगुना है ग्रेट रेड स्पॉट
NASA ने शेयर की बृहस्पति के Great Red Spot की चौंकाने वाली तस्वीर, धरती से दोगुना बड़ा है आकार

नई दिल्ली: NASA: स्पेस एजेंसी NASA (National Aeronautics and Space Administration)की ओर से अक्सर यूनिवर्स की कई तरह की आकर्षक तस्वीरें और वीडियोज शेयर की जाती रहती है.  वहीं अब एक बार फिर अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने इंस्टाग्राम हैंडल पर अंतरिक्ष यान जूनो की ओर से ली गई बृहस्पति पर ग्रेट रेड स्पॉट (Great Red Spot) की एक हैरतअंगेज फोटो शेयर की है. 

NASA ने शेयर की तस्वीर 
NASA की ओर से इंस्टाग्राम पर शेयर की गई इस तस्वीर में नारंगी, भूरे और लाल छींटों से घिरा हुआ एक स्पॉट नजर आ रहा है. वहीं बृहस्पति का क्षितिज यानी जूपिटर का हॉरिजोन फोटो के उपरी हिस्से में दिखाई दे रहा है. इसका रंग हल्का भूरा, बेज और थोड़ा नीला दिख रहा है. बता दें कि ग्रेट रेड स्पॉट की यह तस्वीर करीबन 8,648 miles यानी 13,917km दूर से ली गई है. 

धरती के आकार से दोगुना है  ग्रेट रेड स्पॉट 
तस्वीर के कैप्शन में NASA ने लिखा, 'वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्रेट रेड स्पॉट सोलर सिस्टम में सबसे आइकॉनिक तूफान है. यह धरती के आकार से दोगुना है और 350 सालों से अस्तित्व में है, हालांकि आंकड़ों के अनुसार जब से NASA के वोयाजर स्पेस्क्राफ्ट ने साल 1979 में इसे रिकॉर्ड किया था तब से तूफान की ऊंचाई 8 गुना कम हो गई है. वहीं इसकी चौड़ाई भी कम से कम 1 तिहाई कम हो गई है.' 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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NASA ने आगे लिखा,' ग्रेट रेड स्पॉट अभी भी धरती के आकार से दोगुना है और जूनो की कई नई इन्वेस्टिगेशन से पता चलता है कि तूफान लगभग 300km तक ग्रह के बादलों में गिरता है. ग्रेट रेड स्पॉट की हवाएं 643 kph की स्पीड से चलती हैं, क्योंकि बृहस्पति पर तूफान को धीमा करने के लिए कोई सॉलिड जगह नहीं है.' 

वैज्ञानिक अध्ययन करता है मिशन 
बता दें कि NASA का 1.1 बिलियन डॉलर का जूनो मिशन साल 2011 में शुरू होकर 4 जुलाई 2016 को बृहस्पति की कक्षा में पहुंचा था. इलिप्टिकल ऑर्बिट का इस्तेमाल करते हुए स्पेस्क्राफ्ट हर 53.5 अर्थ डेज में 1 बार गैस जाएंट्स की खोज करता है.  यह मिशन वैज्ञानिक अध्ययन करता है. 

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